जॉन मोरटाइमर ने क्लासिकल रमपोल श्रृंखला में लिखा है, ‘विवाह और कत्ल दोनों अनिवार्य रूप से आजीवन कारावास की ओर ले जाते हैं.’ इसका अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है कि वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक ठहराए जाने के सवाल पर पर होरेेस रमपोल की प्रतिक्रिया क्या होती बात को लेकर किसी को अचरज हो सकता कि यह बात रमपोल ने वैवाहिक बलात्कार के अापराधीकरण के सवाल पर क्या कहा होता? क्योंकि जिस हिल्डा रमपोल से उन्होंने शादी की थी उनके बारे में उनका कहना था कि वो एक ऐसी महिला थी जिसकी आज्ञा का पालन आपको करना ही होगा.
भारत के संदर्भ में देखें तो यहां महिला की सहमति के बिना उससे संबंध बनाने को ही मुख्यतः बलात्कार के रूप में परिभाषित किया जाता है. अगर बलात्कार का आरोप साबित हो जाता है तो अपराधी को दंडस्वरूप सात साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा सुनाई जा सकती है. हालांकि भारतीय कानून विवाहित लोगों के साथ अलग व्यवहार करता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुसार ‘किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ, जिसकी उम्र 15 साल से कम न हो, बनाया गया यौन संबंध बलात्कार नहीं है.’ वकीलों के बीच इस परिच्छेद को बलात्कार के वैवाहिक स्तर पर मिली रियायत के रूप में जाना जाता है.
यह तार्किक रूप से इस बात का अनुपालन करता है कि वर्तमान कानून के अनुसार पत्नी का बलात्कार नहीं किया जा सकता है. हालांकि आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2013 के बाद भारतीय दंड संहिता में शामिल की गई धारा 376 साथ ही एक अपवाद भी प्रस्तुत करती है. यह पति से अलग रह रही पत्नी के साथ बिना उसकी इच्छा के शारीरिक संबंध बनाने को सजा के दायरे में तो लाती है पर इसे बलात्कार नहीं कहती.
जस्टिस जेएस वर्मा समिति की रिपोर्ट में पति को बलात्कार के अपराध से मिली रियायत को रद्द करने का सुझाव दिया गया था. तात्कालीन यूपीए सरकार ने इस सिफारिश को पूरी तरह से स्वीकार करने से इंकार कर दिया और धारा 376 बी को कानूनी जामा पहना दिया, जो पति द्वारा जबरन शारीरिक संबंध बनाने को केवल उस परिस्थिति में अपराध मानती है जिसमें पत्नी, पति से अलग रह रही हो.