
गीतकार » कुमार, शब्बीर अहमद, मयूर पुरी
संगीतकार » हिमेश रेशमिया, हनी सिंह
चूंकि हम किक के गीतों को छोड़ कई तरह की बेजा बातें करेंगे, इसलिए यह जानना जरूरी है कि हम चार के चौदह किए गीतों की बात क्यों नहीं करेंगे. जब सलमान ने अपना पहला गाना गाया, ‘चांदी की डाल पर सोने का मोर’, यार-रकीबों ने कहा था, ‘भाई ने पिंक पैंट पहन क्या भन्नाट गाया है भाई मियां’. उन दिनों के बाद ही जाना कि भाई के गानों के बारे में गंभीरता से सोचने-लिखने से बेहतर है दोजख में बैठ चांदी की डाल सुनना. वक्त के साथ यह भी समझे कि जिन गानों में वे थे, और गाने अच्छे थे, वे सलमान के नहीं, लेखक/ संगीतकार/ गायक के गाने थे.
चांदी की डाल के वक्त की बात और थी. तब संगीत के सॉफ्टवेयर काफी हार्ड हुआ करते थे. आज के संगीत सॉफ्टवेयर की कोडिंग बेहद नफीस है.‘ऑटो ट्यून’ ऑटो की किरकिरी आवाज भी मधुर बना सकता है. इसलिए सलमान की असल आवाज को महसूस कर खड़े रोंगटों को दो-चार मील चलाना चाहते हैं तो चांदी की डाल अवश्य सुनें. किक के सलमान-गीतों में वैसी किक कहां!
एलबम आर्गेनिक केमिस्ट्री के संसार का भी अहम हिस्सा है. जितना मुश्किल वहां नामनक्लेचर हुआ करता था उतनी ही मुश्किलों के किले पार कर इस एलबम ने गानों के नाम रखे हैं. गाने के हर नाम के दो वर्जन हैं, और हर वर्जन का एक रीमिक्स. साथ रीप्राइस, हाउस मिक्स, एमबीए स्वैग भी हैं. तभी किक में सलमान के गाए तीन गाने छः अवतारों में प्रकट होते हैं, हाहाकार मचाते हैं.
फिल्म में एक खूबसूरत गाना भी है. नीति मोहन का ‘तू ही तू’. इसमें नीति को सुन दिन वैसा ही गुलजार होता है जैसा दिन-भर आंच पर तपते-तपते काले तवे का चंद ठंडे पानी के छींटे पड़ने के बाद होता होगा. अहा! शुक्रिया भाई!
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