‘तहलका’ ने 2009 में ही इन तस्वीरों के जरिये किया था फर्जी मुठभेड़ का खुलासा

जुलाई, 2009 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एक पूर्व आतंकी चोंग्खम संजीत मेइतेई को मणिपुर पुलिस के हेड कांस्टेबल हेरोजित सिंह ने मुठभेड़ के नाम पर मारा था. एक अंग्रेजी दैनिक की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक हेरोजित ने माना है कि ये मुठभेड़ नहीं थी बल्कि उन्होंने संजीत को अपने वरिष्ठ अधिकारी के कहने पर गोली मारी थी. चौंकाने वाली बात ये रही कि इस फर्जी मुठभेड़ को न केवल दिनदहाड़े, सरेबाजार अंजाम दिया गया बल्कि जहां ये हुई वह जगह भी राज्य विधानसभा से बमुश्किल 500 मीटर दूर है.

आगे की तस्वीरों में संजीत की पुलिस के साथ फर्जी मुठभेड़ में हुई मौत का दुखद मंजर कैद है, जिन्हें ‘तहलका’ ने अगस्त, 2009 के अंक में प्रकाशित किया था.

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27 वर्षीय चोंग्खम पीसीओ में है जहां एमपीसी के जवान उसे घेरे हुए हैं. कुछ जवान फॉर्मेसी के पास खड़े हैं (लाल तीर का निशान देखें)

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जवानों से घिरे होने के बाद भी संजीत किसी तरह का प्रतिरोध या भागने की कोशिश करते हुए नहीं दिख रहें हैं

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एमपीसी जवानों के साथ जाते हुए संजीत

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एमपीसी का एक जवान अपनी रिवॉल्वर निकाल रहा है जबकि संजीत चुपचाप खड़े हैं

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संजीत पहले विद्रोही संगठन पीएलए के सदस्य थे, लेकिन बाद में वे इससे अलग हो गए थे

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एमपीसी जवानों ने अचानक संजीत को एक तरफ धकेलना शुरू कर दिया

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संजीत को फॉर्मेसी के अंदर खींचकर ले जाते एमपीसी के जवान

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कुछ देर के बाद संजीत का शव फॉर्मेसी से बाहर लाया गया

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शव को बाहर खड़े ट्रक में डाल दिया गया, इस समय भी कैमरे से फोटो ली जा रही थीं लेकिन एमपीसी जवानों ने फोटो खींचने का कोई प्रतिरोध नहीं किया

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ट्रक में पड़े संजीत के शव की फोटो लेने पर भी एमपीसी जवानों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई

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ट्रक में एक महिला रबीना देवी का भी शव पड़ा है, जिसके बारे में पुलिस का कहना है कि यह महिला इस आतंकवादी का पीछा करते समय पुलिस फायरिंग में मारी गई, रबीना उस समय गर्भवती थी

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स्ट्रेचर पर पड़ा संजीत का शव

संजीत के परिवारवालों का कहना था कि संजीत प्रतिबंधित विद्रोही संगठन पीएलए से अपने संबंध तोड़ चुका था.

सभी फोटो: तहलका आर्काइव