कोई इन्हें कुत्ता कहे या कुछ और… फुटपाथ इनका बसेरा था, है और जो हालात नजर आ रहे हैं, ये आगे भी रहेगा. फुटपाथ पर कोई शौक से नहीं साेता, ये इनकी मजबूरी है. अकेले राजधानी में ही हजारों लोग फुटपाथ पर गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक देशभर में 17.7 लाख लोग बेघर हैं. कई बार केंद्र और राज्य सरकारें इन तथ्यों की अनदेखी करती हुई दिखती हैं. फुटपाथ पर सोने वाले ये लोग जानते हैं कि देश में क्या चल रहा है और कौन लोग इन्हें कुत्ता कह रहे हैं. इनके मुताबिक बॉम्बे हाईकोर्ट को सलमान की सजा पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी. इन घटनाक्रमों को लेकर इस वर्ग में गुस्सा है.
चंदू ब्यास | मधुबनी, बिहार
होटल में खाना बनाते हैं
‘मैं सन 1986 से दिल्ली में हूं. कुछ नहीं बदला है. उस समय भी ऐसे ही सड़क किनारे सोए रहते थे और आज भी सो रहे हैं. आप मीडियावाले आते हैं, फोटो लेते हैं और चले जाते हैं. पता नहीं आप लोग फोटो खींचकर क्या करते हैं? कुछ होता तो दिखता नहीं. ये सरकारी रैनबसेरे बने हुए हैं… जाइए उसमें और वहां की फोटो लीजिए… पटरी पर सोएं तो सलमान खान या कोई दूसरा अपनी गाड़ी चढ़ा देगा. रैनबसेरों में सोया नहीं जा सकता. इसके बाद कहेंगे कि पटरी पर कुत्ते सोते हैं… हद है… करोड़ों लोग हैं इस देश के अंदर जो पटरी पर सोते हैं… क्या इतने लोग कुत्ते हैं..?
आखिर गरीब करे तो क्या करे? जाएं तो कहां जाए? जाइए… आप अपना काम कीजिए… हमको कुछ नहीं कहना है… आपसे कहने से कुछ बदलेगा तो नहीं न… जाइए..जाइए… सोने दीजिए…’
बिशनू पंडित | पश्चिम बंगाल
बेरोजगार
‘सलमान खान ने जो किया या कहा वो गलत है. आप मेरी सुनिए. मैं 4 साल पहले अपने गांव से दिल्ली आया था. कुछ समय पहले तक रोज 400-500 रुपये कमाता था… आज बेकार हूं. दाहिना हाथ सूख गया है और दाहिने पैर का घुटना काम नहीं करता. पिछले साल अगस्त की बात है. यहीं सो रहा था. एक गाड़ीवाले ने फुटपाथ पर गाड़ी चढ़ा दी. किसी तरह जान बच गई. कोर्ट में केस चल रहा है. गरीब आदमी हूं. पुलिसवाले भी कुछ नहीं बताते. तारीख पर कोर्ट जाने के लिए पैसे भी नहीं रहते हैं. जिन्होंने गाड़ी चढ़ाई वो अमीर लोग हैं. पता नहीं कोर्ट में क्या फैसला होगा. हम तो चाहते हैं कि उन्हें सजा न दी जाए… हमें मुआवजा मिल जाए… अगर उन्हें सजा मिल भी गई तो उससे मेरे
हाथ-पैर काम तो नहीं करने लगेंगे न? मैं कमा तो सकूंगा नहीं. मेरा जीवन तो बर्बाद ही हो गया न?
राजकुमार | रायपुर, छत्तीसगढ़
रिक्शा चालक
‘वर्ष 2000 में दिल्ली आ गया था. हाथ रिक्शा चलाता था. कुछ ही दिन पहले एक बसवाले ने मेरा पैर कुचल दिया. ये देखिए बैंडेज लगा है. रात में बस अड्डे के पास पटरी पर सो रहा था. नींद में पैर थोड़ा नीचे आ गया. बसवाले ने गाड़ी पीछे करते समय चढ़ा दी. अभी तो कोई काम नहीं कर पाता हूं. कभी मंदिर से लेकर खा लेता हूं तो कभी कोई दोस्त-यार खिला देता है. सलमान खान हो या कोई और. जब तक ड्राइवर लापरवाही नहीं करेगा तब तक गाड़ी पटरी पर चढ़ ही नहीं सकती. अब जब उन्हें सजा मिली है तो वो और उनके साथी लोग बेकार की बातें बना रहे हैं. उन्हें चुपचाप अपने किए की सजा भुगतनी चाहिए.’
ताहिरा | आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
‘मेरा लड़का है, शमीम. उसे खून की उल्टी आती है. इसी का इलाज करवाने आई हूं. 14 फरवरी 2015 को दिल्ली आए थे. डॉक्टर आज-कल कर रहे हैं. भर्ती ही नहीं कर रहे हैं. भर्ती होने का इंतजार कर रहे हैं. हर रात इसी बस स्टैंड पर सोते हैं. दिन में भी यहीं रहते हैं. जब यहां धूप आ जाती है तो किनारे चले जाते हैं. क्या करें?’
Ye patient aur pareshan lady kahan milegi Sir, iska mujhe Adress Pata bata De plz
Regards
Fazil Khan
+91-9818344175