‘इस बार सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को पता चलेगा कि सीमांचल की जनता में कितना आक्रोश है’

बिहार के सीमांचल में आपकी पार्टी चुनाव आखिर किस मकसद से लड़ रही है?

भारत एक जनतांत्रिक देश है और यहां हर दल कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है. जहां तक असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का चुनाव लड़ने का सवाल है तो सीमांचल के लोगों ने लगातार उनसे संपर्क किया. अपनी गरीबी, बदहाली, परेशानी को बताया. किशनगंज में बड़ी रैली करने के बाद जनता की भीड़ और भावनाओं को देखकर हमने यह फैसला किया कि हम चार जिलों किशनगंज, अररिया, कटिहार व पूर्णिया में चुनाव लड़ेंगे.

आपकी पार्टी का मुख्य मसला क्या होगा?

सीमांचल के इलाके में तो मसले ही मसले हैं. सीमांचल का मसला कभी उठा कहां? सीमांचल के जिले पटना से 500 किलोमीटर की दूरी पर है. पटना में तीन-तीन मेडिकल कॉलेज हैं. पटना से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुजफ्फरपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज हैं. 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गया में भी ढेरों संस्थान हैं. पटना में नीतीश कुमार ने तीन नए संस्थान खोले- आर्यभट्ट तकनीकी विश्वविद्यालय, चंद्रगुप्त प्रबंधन विश्वविद्यालय व चाणक्य नेशनल लॉ विश्वविद्यालय. सीमांचल के लिए क्या हुआ? सीमांचल में प्रति व्यक्ति आय 8000-9000 रुपये है जो कि राज्य में सबसे कम है. पूरे प्रदेश में किशनगंज में सबसे ज्यादा 79 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं. दूसरे जिलों में जहां 5-10 पंचायतों पर एक प्रखंड है वहीं हमारे इलाके में 25-30 पंचायतों पर एक प्रखंड है. किशनगंज की आबादी 17 लाख है और केवल दो मान्यताप्राप्त कॉलेज हैं. किशनगंज के नेहरू कॉलेज में तो दो हजार छात्रों पर एक शिक्षक हैं. अब खुद ही बताइए कि क्या यह न्याय है?

मुस्लिमों की हालत तो पूरे बिहार में ही ऐसी है, तो फिर सिर्फ सीमांचल में चुनाव क्यों लड़े रहे हैं, पूरे बिहार में क्यों नहीं?

हम पहले अपने आधार का विस्तार करेंगे, उसके बाद पूरे बिहार में भी जाएंगे.

आपकी पार्टी और ओवैसी पर तो सीधे आरोप है कि भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए आप लोग चुनाव लड़ रहे हैं?

ऐसी झूठी अफवाहों की परवाह नहीं. सीमांचल की जनता जानती है कि हम क्या हैं और सांप्रदायिकता के खिलाफ हमने क्या लड़ाई लड़ी है. और जहां तक राजद-जदयू के महागठबंधन की ओर से आरोप लगाने का सवाल है तो जदयू 17 साल तक भाजपा के साथ ही रही है, उसे तो भाजपा के खिलाफ बोलने का हक तक नहीं.

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क्या सीमांचल में आप अपनी पार्टी से सिर्फ मुसलमानों को ही टिकट देंगे या दूसरे समुदाय के लोगों को भी पार्टी का उम्मीदवार बनाएंगे?

ये हिंदू-मुसलमान का देश नहीं है. जो हिंदुस्तानी हैं, हम उनके साथ होंगे, वे हमारे साथ. हमारी पार्टी ने महाराष्ट्र में दलितों को टिकट दिया. औरंगाबाद में म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव में 29 में पांच दलित हैं और वे सभी हमारी पार्टी से हैं. हम संप्रदाय और जाति के आधार पर राजनीति नहीं करेंगे. हम सिर्फ जीतने के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे. हमारे लड़ने से सीमांचल में इस बार सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को पता चलेगा कि यहां की जनता में कितना आक्रोश है. सीमांचल की जनता दूध का दूध और पानी का पानी करेगी.

लेकिन एक बात तो तय है कि आपकी पार्टी चुनाव लड़ेगी तो वोटों का बंटवारा होगा और धर्मनिरपेक्ष ताकतें कमजोर होंगी. आप क्या सोचते हो?

याद रखिए, देखते रहिएगा. हम धर्मनिरपेक्ष को ही मजबूत करेंगे और तरक्की पसंद वोटों को बिखरने नहीं देंगे.