मैंने भी हाल ही मैं हिंदी में लुगदी कहे जाने वाले साहित्य को पढ़ना शुरू किया है। सुरेन्द्र मोहन पाठक, वेद प्रकाश शर्मा, रीमा भारती, अनिल मोहन और राजभारती को पढ़ा है। उपन्यास काफी मज़ेदार और कथानक पाठक को अपने में बाँधने की क्षमता रखता है। हाँ, लेकिन इस तरह के साहित्य को नुक्सान घोस्ट राइटर की परंपरा ने पहुंचाया है। दूसरा अब ग्लोबलाइजेशन के जमाने में पाठक के पास काफी विकल्प भी है और अक्सर वो उन कहानियों को पकड़ लेता है जो कि किसी अंग्रेजी उपन्यास से उठाई होती हैं। ये भी पाठक को निराश करते हैं। फिर भी मैं कहूँगा अगर लेखक एक अच्छा रोमांचकारी उपन्यास देता है तो पाठक उसको लेंगे ही। सुरेन्द्र मोहन पाठक और वेद प्रकाश शर्मा इसके उदाहरण हैं।
मैंने भी हाल ही मैं हिंदी में लुगदी कहे जाने वाले साहित्य को पढ़ना शुरू किया है। सुरेन्द्र मोहन पाठक, वेद प्रकाश शर्मा, रीमा भारती, अनिल मोहन और राजभारती को पढ़ा है। उपन्यास काफी मज़ेदार और कथानक पाठक को अपने में बाँधने की क्षमता रखता है। हाँ, लेकिन इस तरह के साहित्य को नुक्सान घोस्ट राइटर की परंपरा ने पहुंचाया है। दूसरा अब ग्लोबलाइजेशन के जमाने में पाठक के पास काफी विकल्प भी है और अक्सर वो उन कहानियों को पकड़ लेता है जो कि किसी अंग्रेजी उपन्यास से उठाई होती हैं। ये भी पाठक को निराश करते हैं। फिर भी मैं कहूँगा अगर लेखक एक अच्छा रोमांचकारी उपन्यास देता है तो पाठक उसको लेंगे ही। सुरेन्द्र मोहन पाठक और वेद प्रकाश शर्मा इसके उदाहरण हैं।
Surender Mohan Pathak is the only great writer
Vedprakash sharma ne apne upnyas RAMBAN me Hollywood film PAY-CHEQUE ko pura ka pura utar dia.
अभी वर्तमान में सुरेन्द्र मोहन पाठक ही एकमात्र ऐसे लेखक है जिनकी कहानियां काल्पनिक होते हुए भी काल्पनिक नही जान पड़ती।
सही कहा आपने, बिरेन्द्र पटेल जी. सुरेन्द्र मोहन पाठक बेहतरीन है.