बच्चों के खिलाफ होने वाले जघन्य अपराधों में गुमशुदा होने वाले बच्चों का मुद्दा कहीं गुम हो जाता है जबकि यह बात स्थापित हो चुकी है कि बच्चे केवल गुमते नहीं हैं बल्कि सुनियोजित ढंग से गुमाये जाते हैं. ऐसे बच्चे कहीं-किसी कारखाने में खट रहे हैं या फिर उनके अंग-भंग कर उनसे भीख मंगवाई जा रही है या फिर उन्हें देह व्यापार के धंधे में झोंक दिया जाता है. उनके अंग निकाल कर बेचे जा रहे हैं.
व्यथा कथा- 1
जून 2013 में गाजियाबाद जिले के मोदीनगर का 7 साल का वंश गुज्जर घर से एक किलोमीटर दूर रेल पटरी के आसपास खेल रहा था. अचानक एक ट्रेन आकर रुकी. वंश उसमें बैठ गया और ट्रेन चल दी. डर के कारण वह ट्रेन से उतर नहीं पाया. अंत में चेन्नई जाकर उतरा. घरवालों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. चेन्नई में घूमते-फिरते वंश को दो लोग मिले जो उसे सिलिगुड़ी ले आए और वहां से उसे पश्चिम बंगाल के सिंगला चाय बागान ले जाया गया. वहां से एक दंपति वंश को अवैध तरीके से गोद लेकर सिक्किम के दोदक गांव में ले गया. वहां दोनों उसके साथ मारपीट करने लगे. सितंबर 2015 में उनके पड़ोसी ने सूचना दी और चाइल्ड लाइन और स्थानीय स्तर पर काम कर रही संस्था ‘दृष्टि’ के प्रयास से बच्चे को वहां से बचाया गया.
‘दृष्टि’ संस्था के प्रमुख पासंग बूटिया बताते हैं, ‘वंश को उस परिवार के चंगुल से छुड़ाने के बाद हमने एक सप्ताह तक वंश को अपने आश्रय गृह ‘मंजुषा’ में रखा. बातचीत में उसने कई बार मोदीनगर का जिक्र किया था. हमारे काउंसलर ने इंटरनेट पर उसे मोदीनगर की कुछ जगहों की फोटो दिखाई. वंश ने उसमें से एक जगह ‘मोदी मंदिर’ काे पहचान लिया. इसके बाद हमने मोदीनगर के एसपी और एसएसपी को जानकारी दी. मेल भी किया लेकिन एक सप्ताह तक कोई जवाब नहीं आया. अंत में थक-हार कर संस्था ने वंश की पूरी जानकारी के साथ मोदीनगर थाने में फोन किया. यहां पर एसएचओ दीपक शर्मा ने जानकारी जुटाई और वंश को घर सौंपने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. आज वंश अपने घर पर है.’
व्यथा कथा- 2
14 अगस्त 2015 को सागर पब्लिक स्कूल, भोपाल में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला 11 वर्षीय निशांत स्कूल नहीं पहुंचा. गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई. गुम होने के तीन दिन बाद 50 लाख रुपये की फिरौती के लिए उसके घर फोन आया. मामला सुर्खियों में आया तो निशांत की जानकारी देने वाले व्यक्ति पर 50,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया. मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हस्तक्षेप करना पड़ा. इसके बाद पुलिस और प्रशासन की टीम खोजबीन में जुट गई. आखिरकार नौ दिन बाद निशांत की सकुशल घर वापसी हो गई. अपहरणकर्ताओं ने उसे रायसेन के जंगलों में छोड़ दिया था. लौटकर निशांत ने बताया कि उसे स्कूल जाते समय ही तीन अज्ञात लोगों ने अगवा कर लिया. कार में ही निशांत के कपड़े बदल दिए गए. इस घटना के डेढ़ माह बाद भी अपहरणकर्ता पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं.

व्यथा कथा- 3
मध्य प्रदेश के मंडला जिले के पड़वार गांव की रविता अपने घर से एक दिन अचानक गायब हो गई. साल-दो साल उसकी खोज हुई और फिर घरवालों ने मान लिया कि अब वह नहीं आएगी या वो इस दुनिया में नहीं रही. इस वाकये के पांच साल बाद रविता अपने घर लौट आई. घरवालों की खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन यह खुशी तब काफूर हो गई जब उन्हें यह पता चला कि रविता के साथ एक बेटा भी है. रविता ने जब अपनी आप बीती सुनाई तो घरवालों के पांव तले जमीन खिसक गई. उसने बताया कि नौकरी दिलाने के नाम पर गांव की कमलावती नवल नाम के एक व्यक्ति के साथ उसे दिल्ली ले गई थी. वहां पर अच्छी नौकरी की जगह एक घर में झाड़ू-पोंछा करने की नौकरी मिली. दो महीने बाद उसे ईरान के एक व्यक्ति के हाथ बेच दिया गया.
रविता के अनुसार, ‘दिल्ली में काम करते-करते कब मेरा सौदा हो गया, मुझे पता ही नहीं चला. जहां मैं रहती थी उस परिवार ने मुझे बेच दिया. फिर जहाज में ईरान ले जाया गया. वहां डेढ़ वर्ष तक मुझे कमरे में बंद करके रखा गया. मुझसे कोई काम ताे नहीं कराया जाता था, लेकिन उस बीच लगातार शारीरिक शोषण होता रहा.’
इसके बाद रविता को गर्भ ठहर गया और वह मां बन गई. रविता के दुख से पड़ोस का एक व्यक्ति वाकिफ था. एक दिन उस व्यक्ति ने उसे आजाद करा दिया. वह व्यक्ति उसे अपने साथ कोलकाता लाया. फिर किसी तरह वह दिल्ली पहुंची. दिल्ली में उसे दो दिन भटकना पड़ा. उसे याद था कि महाकौशल एक्सप्रेस जबलपुर जाती है. वह उससे जबलपुर आ गई. फिर जबलपुर से मंडला तक ट्रैक्टर में बैठकर आई. मंडला से अपने गांव के नजदीक स्थित गुढ़ली कस्बे (50 किमी) तक का सफर पैदल तय किया और किसी तरह घर पहुंची. रविता अभी भी पड़वार में ही है लेकिन आज तक न तो नवल पर कोई कार्रवाई हुई, न ही कमलावती पर.
व्यथा कथा- 4
इसी साल अगस्त महीने में हरियाणा के फरीदाबाद के पास बाटा चौक स्टेशन के पास रहने वाली 10 साल की चुनचुन अचानक गायब हो गई. घरवालों ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. इसके पांच दिन बाद चुनचुन मध्य प्रदेश के खजुराहो के एक होटल में मिली. इलाहाबाद की एक महिला चुनचुन को देह व्यापार के धंधे में उतारना चाह रही थी, इसलिए उसका सौदा करने खजुराहो ले गई थी. पुलिस और स्थानीय संस्था ‘अधर’ की कोशिशों से उस रैकेट का भंडाफोड़ किया जा सका.