गुमनामी बाबा उर्फ भगवन जी की ‘गुमनाम’ मौत के 42 दिन बाद फैजाबाद से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘नये लोग’ के दो पत्रकार राम तीर्थ विकल और उनके सहयोगी चंद्रेश कुमार ने गुमनामी बाबा के नेताजी होने का दावा करते हुए पहली खबर लिखी. इस खबर को अखबार के पहले
भगत सिंह को निर्दोष साबित करने का विचार कहां से आया? इसकी शुरुआत कैसे हुई? देखिए, भगत सिंह निर्विवाद रूप से आजादी के सबसे बड़े हीरो हैं. मेरे पूर्वजों ने भी आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी. वे आपके हरियाणा के सिरसा में रहते थे. वहां हमारे पूर्वज बाबा गुलाब
देश भर के कई विश्वविद्यालयों में जो टकराव चल रहे हैं, उसमें एबीवीपी एक पक्ष के तौर पर उभरी है. हैदराबाद, जेएनयू, बीएचयू, लखनऊ, इलाहाबाद सब जगह एबीवीपी की शिकायत पर कार्रवाई की गई. सेमिनार और व्याख्यान बाधित करने और प्रोफेसराें-छात्रों पर हमले करने में भी एबीवीपी का नाम आया.