
संपादन: राजशेखर व्यास
मूल्य: 400 रुपये
प्रकाशन: ज्ञानपीठ प्रकाशन, नई दिल्ली
हिंदी साहित्य में रुचि रखने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ से न परिचित हो. उनकी आत्मकथा ‘अपनी खबर’ को भला कौन भूल सकता है! वह एक अनूठी आत्मकथा है जहां ‘उग्र’ पूरी अलमस्त फकीरी के साथ समाज की तहों को खोलते हैं. इस तरह वे उनमें छुपी दुर्बलताओं, दोषों को निहायत अक्खड़पन से उजागर करते हैं. ‘अपनी खबर’ अपनी तरह की पहली रचना है जहां लेखक खुद की भी हजार बुराइयों को साहस के साथ स्वीकारता और प्रायश्चित करता नजर आता है. ऐसा नहीं है कि ‘उग्र’ ने ‘अपनी खबर’ के अलावा कुछ नहीं लिखा. उन्होंने तो अनेक महत्वपूर्ण रचनाएं कीं लेकिन विडंबना ही है कि उनकी पहचान उनकी आत्मकथा तक सिमट कर रह गई है.