डीके पांडा

DK-panda

सन् 2005 की बात है. लखनऊ के पुलिस मुख्यालय में प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक होने वाली थी. लगभग सारे अधिकारी पहुंच चुके थे. तभी मेन गेट से अंदर एक महिला दाखिल हुई. उसने बहुत भड़काउ मेकअप कर रखा था. मांग में इतना सिंदूर लगा था मानों सिंदूर की होली खेलकर आ रही हो. सिलवट पड़े माथे पर बड़ी-सी बिंदी थी तो मेहंदी लगे हाथों में कोहिनी तक रंग बिरंगी चूड़ियां सज रही थीं. पैरों में घुंघरु बंधे थे. कान में बाली और नाक में नथुनी उसे एक अजीब-सा डरावना और वीभत्स रूप दे रहे थे. पीले सलवार कुर्ते में वह महिला पुलिस मुख्यालय के गेट के अंदर जैसे ही दाखिल हुई वहां तैनात गार्ड ने उसे रोका. उसके रोकने पर महिला ने उसे देखते हुए कुछ शब्द बुदबुदाए. गार्ड रास्ते से हट गया. सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते हुए वह महिला उस मीटिंग रूम में दाखिल हुई जहां प्रदेश के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बैठे थे. उस औरत को कमरे में दाखिल होते देख सारे अधिकारी हतप्रभ रह गए. जैसे ही वे उसे बाहर खदेड़ने के लिए कि उसकी तरफ बढ़े, उस महिला ने हाथ से रुकने का इशारे करते हुए रौबदार आवाज में कहा, ‘परेशान मत होइए. अपनी जगह पर बैठे रहिए. हम आईजी पांडा हैं.’ इतना कहकर उसने जोर का ठहाका लगाया.

उस मीटिंग में मौजूद रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘ हम लोगों को आईजी पांडा के बारे में यह तो पता था कि उनके साथ कुछ ऊपर-नीचे चल रहा है लेकिन वे मीटिंग में उस वीभत्स गेटअप में आ जाएंगे इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. लोग उनकी इस हरकत से इतना डिस्टर्ब हो गए थे कि मीटिंग कैंसिल कर दी गई.’

मूलतः उड़ीसा के रहने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस अधिकारी देबेंद्र किशोर पांडा उर्फ डीके पांडा की 2005 की यह हरकत कोई अपवाद नहीं थी. उस साल खुद को दूसरी राधा और कृष्ण की प्रेमिका घोषित करते हुए पांडा ने अपने महिला होने की घोषणा कर दी थी. पांडा का कहना था कि वे तो 1991 में उसी दिन राधा बन गए थे जब एक बार उनके सपने में भगवान श्रीकृष्ण ने आकर कहा कि वे पांडा नहीं बल्कि उनकी राधा हैं, उनकी प्रेमिका. 1991 से 2005 तक पांडा का राधा रूप दबे छुपे चलता रहा लेकिन 2005 में आकर पांडा ने अपने हावभाव और परिधान से उसे सार्वजनिक कर दिया.

जैसे-जैसे आईजी पांडा का कृष्ण के प्रति प्रेम परवान चढ़ता गया उसी अनुपात में तत्कालीन प्रदेश सरकार की फजीहत बढ़ती चली गई. ड्यूटी में आईजी पांडा कहीं जाते तो पुलिस की वर्दी पहनने के साथ ही सोलह श्रंगार करना नहीं भूलते. प्रदेश के तमाम कनिष्ठ-वरिष्ठ पुलिसकर्मियों की तरफ से अपने से वरिष्ठ अधिकारियों और शासन के पास शिकायतें आने लगीं कि कैसे लोग पांडा की वजह से पूरे पुलिस प्रशासन का मजाक उड़ाने लगे हैं. पुलिस की टीम कहीं जाती तो लोग मजाक उड़ाते हुए कहते राधाएं आ रही हैं. लखनऊ के गोमती नगर स्थित विभूति खंड के अपने सरकारी आवास के बाहर पांडा ने अपने नाम की जगह ‘दूसरी राधा’ की नेमप्लेट लगा रखी थी जो पुलिस के लिए अलग से शर्मिंदगी का कारण बना हुआ था. आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार और पांडा के बीच चली एक लंबी खींचतान के बाद इस पुलिस अधिकारी ने अपना इस्तीफा दे दिया.

परिवार के स्तर पर पांडा की पत्नी और दो बेटों ने उन्हें खूब समझाया, उनके सामने मिन्नतें कीं लेकिन पांडा ने राधा का भाव और भेष छोड़ने के बजाय परिवार को ही छोड़ दिया. कुछ समय बाद ही उनकी पत्नी ने पति धर्म का निर्वाह नहीं करने का आरोप लगाते हुए पांडा से तलाक ले लिया. पत्नी का आरोप था कि देबेंद्र ने अपने परिवार पर ध्यान देना बंद कर दिया है और उनका समय घर के आंगन में लगे पीपल के पेड़ की पूजा और कृष्ण का गुणगान करने में बीतता है. दोनों बेटों ने भी पांडा से संबंध समाप्त कर लिए. पांडा से अलग होने के बाद उनकी पत्नी ने उनसे गुजारे भत्ते की मांग की जिसे देने से इस पूर्व पुलिस अधिकारी ने साफ इंकार कर दिया. पत्नी इलाहाबाद हाईकोर्ट गईं. पांडा ने कोर्ट में कहा ‘मैं कैसे पैसे दे दूं. मेरे पास कहां पैसा है.’ कोर्ट ने कहा जो पेंशन है वह क्या है ? इस पर कथित ‘दूसरी राधा’ का जवाब था, ‘सारी संपत्ति के स्वामी कृष्ण हैं, मैं नहीं. यह तो कृष्ण पर ही निर्भर करता है कि वे किसे कितना देते हैं. मेरा उस पर कोई अधिकार नहीं.’ कानूनन ये बातें बेमानी थीं. कोर्ट ने पांडा को अपनी पत्नी को सात हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दे दिया.

सार्वजनिक रूप से कथिततौर पर दूसरी राधा बनकर टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज के माध्यम से घरों और चौराहों पर चर्चित हुए पूर्व आईजी पांडा को आज लगभग 10 साल का वक्त बीत चुका है. बीते इस एक दशक में पांडा कई अन्य कारणों से भी चर्चा में रहे हैं. ऐसी ही एक घटना 2009 की है. पांडा को वैलेंटाइन दिवस के अवसर पर मुंबई स्थित एक पत्रकार मुकेश कुमार मासूम ने अपनी पुस्तक के लोकार्पण के लिए बतौर मुख्य अतिथि बुलाया था. पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में गए पांडा अपना उद्बोधन देने के लिए खड़े हुए. वे अपनी बातों में ऐसे डूबे की उन्हें समय का ख्याल ही नहीं रहा. तब तक पुस्तक का विमोचन भी नहीं हुआ था. जब पांडा को बोलते हुए डेढ़ घंटा बीत गया तो पुस्तक के लेखक मासूम, उनके पास गए और कंधे पर हाथ रखकर कहा ‘ सर, बहुत समय हो गया, प्रैस कॉन्फ्रेंस खत्म करनी है.’ पांडा साहब ने आव देखा न ताव मासूम साहब को एक थप्पड़ रसीद कर दिया. इस हिदायत के साथ कि अगली बार छूए तो पीटकर लाल कर देंगे. गाली देते हुए कहा कि मुझे छूने का अधिकार सिर्फ मेरे स्वामी कृष्ण को है.

पांडा यह भी दावा करते हैं कि ‘राधा’ बनने के बाद से उनके अंदर की कठोरता खत्म हो गई और उनके शरीर में स्त्रियोचित परिवर्तन आने लगे हैं

बीते इन सालों में पांडा यह कहते भी पाए गए कि राधा बनने के बाद से उनके अंदर की कठोरता खत्म हो गई और अब तो उनके शरीर में भी स्त्रियोचित परिवर्तन आने लगा है. पांडा का कहना था, ‘मेरे शरीर में पुरुष बताने वाली चीजें लुप्त हो गई. सब पिघल गया है’ इस दौर में किसी ने भी अगर पांडा को पुरुष के रूप में संबोधित किया तो उसे पांडा का कोप झेलना पड़ा. इलाहाबाद में उनके एक पड़ोसी राधेश्याम पाठक कहते हैं, ‘एक दिन वे घर से बाहर निकले तो उनके घर के सामने खड़े लोगों ने पांडा जी नमस्ते कह दिया. बस इतना सुनते ही उन्होंने लोगों पर मां-बहन की गालियों की बौछार कर दी. बोले कि, साला जब बोल चुके हैं कि हम राधा है तो क्यों परेशान कर रहे हो.’

साल 2010 में पांडा ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि उन्हें पता चल गया है कि उनकी मौत कब होगी. पांडा का कहना था, ‘ कान्हा मुझे अपने पास बुला रहे हैं. मैं दुनिया छोड़कर जाने के लिए तैयार हूं. मुझे मालूम है कि मेरी मृत्यु कब, कहां और कैसे होगी? मेरे मोक्ष का समय आ गया है और यह काम खुद कान्हा ने किया है.’ खैर इस भविष्यवाणी को चार  साल से अधिक समय बीत गया. पांडा स्वस्थ और जीवित हैं. पिछले सालों में पांडा फिल्म संगीत का विषय भी रहे. साल 2008 में नदीम श्रवण की जोड़ी वाले श्रवण राठौड़ ने अपनी पहली निर्देशित फिल्म ‘काश मेरे होते’ में डीके पांडा से प्रभावित एक किरदार को अपनी फिल्म में शामिल किया. जिसमें जॉनी लीवर ने आईजी डांडा नामक एक ऐसे पात्र की भूमिका अदा की थी जिसके शरीर में ऐश्वर्या राय की आत्मा प्रवेश कर जाती है. फिल्म में जॉनी लीवर को मॉरीशस का आईजी बताया गया था.

साल 2011 में डीके पांडा से प्रभावित होकर एक म्यूजिक कंपनी ने ‘आज की राधा’ नाम से एक भोजपुरी एलबम का निर्माण भी किया. राधा बनने के बाद अगले दो-तीन साल तक पांडा पूरे देश भर में दौरा करके कृष्ण की भक्ति के लिए लोगों को प्रेरित करते रहे. विभिन्न जगहों से कृष्ण से जुड़े कार्यक्रमों का उद्घघाटन करने और उसमें भाग लेने के लिए उनके पास आमंत्रण पत्रों का ढेर लग गया. भक्ति में लीन ‘दूसरी राधा’ पर उसी दौर में उत्तर प्रदेश के नोएडा समेत देश के कई अन्य शहरों में अपनी जमीन और मकान को बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप भी लगा. लोगों में आईजी पांडा की पहचान दूसरी राधा के रूप में धीरे-धीरे मजबूत हो रही थी कि एक दिन उन्होंने यह कहते हुए सनसनी फैला दी कि अब वे राधा से कृष्ण बन गए हैं. पांडा कहने लगे, ‘ मैं भगवान कृष्ण का अवतार मोहन हो गया हूं. क्योंकि भगवान ने मुझे ऐसा बनने को कहा है.’

आज पांडा इलाहाबाद के प्रीतमनगर स्थित अपने घर में अकेले रहते हैं. राधेश्याम पाठक बताते हैं, ‘ उनके घर के सामने पहले मीडिया की काफी भीड़ रहती थी. अब मीडिया वाले नहीं आते.’ अपने घर में पांडा अकले रहते हैं.  वे किसी से मिलते नहीं. न कोई उनसे मिलने उनके घर आता है. पांडा के करीबी लोग बताते हैं कि वे अब अपने परिवार के लोगों से मुलाकात नहीं करते. घर में अकेले रहते हैं और सामान्यतः उनका मोबाइल बंद ही रहता है. घर के कामकाज के लिए भी उन्होंने महिलाओं को ही रखा है. हालांकि पांडा के घर के बाहर कौतुहल या भक्तिभाव वश दर्जन भर लोग हमेशा खड़े देखे जा सकते हैं.

पांडा ने यू ट्यूब पर कई वीडियो अपलोड किए हैं जिनमें वे सनी लिओनी से लेकर गांधी, अंबेडकर, धर्म, सेक्स जैसे विषयों पर प्रवचन देते हुए देखे जा सकते हैं

भले ही भौतिक रूप से पांडा ने खुद को लोगों से काट लिया हो लेकिन वे सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. खासकर यू ट्यूब पर. प्रतिदिन विभिन्न विषयों प्रवचन देते हुए अपने वीडियो वहां अपलोड करते हैं. जिसकी समय सीमा कभी-कभी घंटे भर के पार चली जाती है. ऐसे कई दर्जन भर वीडियो पांडा ने अपने यू ट्यूब एकाउंट से डाले हैं. इनमें वे सनी लिओनी के काम और उसके चरित्र पर टिप्पणी करने से लेकर गांधी और सेक्स मैनेजमेंट, अंबेडकर, जाति व्यवस्था, धर्म, सेक्स, केजरीवाल, मोदी, रामदेव, वेद, बुद्ध, आध्यात्म, मनुस्मृति, सखी अपनी इज्जत अपने हाथ नामक कैप्शन के साथ कई वीडियो अपलोड किए हैं. इनमें से कई वीडियो की भाषा और उसमें व्यक्त पांडा के विचार इतने अश्लील हैं कि कोई भक्तिभाव वाला व्यक्ति वैसा सोच भी नहीं सकता.

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