असीम त्रिवेदी

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फोटोः विकास कुमार

‘मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना, अब तो सारा देश है अन्ना.’ साल 2011 में यह नारा लगभग सारे देश में गूंज उठा था. अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ देश के लाखों लोग ‘अन्ना’ हो गए थे. जनलोकपाल कानून की मांग का यह आंदोलन 2012 तक देश के कोने-कोने में फैल गया था. रैलियों, भूख हड़तालों और प्रदर्शनों के साथ ही पोस्टर, बैनर, लेख, कविताएं, कार्टून और कई अन्य माध्यमों से भी लोग भ्रष्टाचार का विरोध करने लगे थे. इसी बीच मुंबई में इस आंदोलन से जुड़े एक युवक को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. आरोप उन कार्टूनों का नतीजा था तो इस युवक ने बनाए थे. इस गिरफ्तारी की खबर फैलते ही देश भर में इसका विरोध होने लगा. नौ सितंबर, 2012 को मुंबई पुलिस को इस युवक को बांद्रा कोर्ट में पेश करना था. स्थानीय आंदोलनकारियों के साथ ही इस घटना के सीधे प्रसारण के लिए कई समाचार चैनल कोर्ट के बाहर मौजूद थे. इसी बीच मुंबई पुलिस इस युवक को लेकर वहां पहुंची. काला कुर्ता पहने लंबे बाल और बढ़ी हुई दाढ़ी वाला यह 24 साल का युवा पुलिस के घेरे के बीच ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे लगाता हुआ कोर्ट में पेश हुआ. इसी क्रांतिकारी अंदाज में देश की जनता ने पहली बार असीम त्रिवेदी नाम के इस युवा को देखा. असीम देशभर की सुर्खियों में आने के साथ ही आंदोलन के मुख्य चेहरों में से एक बन गया.

कार्टून बनाने के लिए हुई असीम की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना गया. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने असीम पर लगे देशद्रोह के आरोपों की खुलकर निंदा की. इस बीच असीम ने भी जमानत लेने से इंकार कर दिया. इसके बाद दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक असीम के समर्थन में लोग प्रदर्शन करने लगे. महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से असीम को दो दिन बाद जेल से रिहा किया गया. उन पर लगे देशद्रोह के आरोप भी सरकार को वापस लेने पड़े. अब तक असीम एक चर्चित चेहरा बन चुके थे. लेकिन उन्हें समाचार चैनलों के दर्शकों से इतर भी पहचान मिलना अभी बाकी था. यह पहचान उनको मिली मशहूर टीवी शो ‘बिग बॉस’ से. रिहाई के कुछ समय बाद ही असीम ‘बिग बॉस-6’ में शामिल हुए और इस शो के माध्यम से घर-घर तक पहुंच गए.

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