हॉलीवुड के निर्माता इस फिल्म में रुचि नहीं ले रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि इस फिल्म को दर्शक नहीं मिल सकेंगे. बहरहाल, एटनबरा ने पैसा जुटाने के 20 साल लंबे संघर्ष के बाद इस फिल्म को बनाया. गांधी के निर्माण के लिए एटनबरा ने लंदन के उपनगरीय इलाके में स्थित अपना घर गिरवी रख दिया और अपनी तमाम कलात्मक वस्तुएं बेच दीं. फिल्म में गांधी के अंतिम संस्कार के लिए 300,000 एक्स्ट्रा जुटाए गए थे. किसी ने नहीं सोचा था कि यह फिल्म 2.2 करोड़ डॉलर की अपनी लागत निकाल सकेगी लेकिन इस फिल्म ने अपनी लागत से 20 गुना अधिक आय अर्जित की.
गांधी के बाद एटनबरा ने कई फिल्में बनाईं लेकिन उन्हें वैसी कामयाबी नहीं मिल सकी. गांधी के रिलीज होने के 10 साल बाद सन 1992 में उन्होंने चार्ल चैपलिन के जीवन पर आधारित फिल्म चैपलिन बनाई. रॉबर्ट डाउनी जूनियर के शानदार अभिनय के बावजूद यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल न कर सकी.
एटनबरा ने अपने जीवन के आखिरी वर्षों में अमेरिकी राजनीतिक कार्यकर्ता थॉमस पेन के ऊपर गांधी की तर्ज पर एक फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन उनकी यह तमन्ना उनके निधन के चलते अधूरी रह गई.
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