‘महाराष्ट्र-हरियाणा की तर्ज पर हम दिल्ली में भी बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ेंगे’

पिछले दिनों स्वच्छ भारत अभियान के दौरान आपके साथ एक बड़ा विवाद जुड़ गया. जिस तरह से कचरा फैलाकर उसे साफ करने की रस्म निभाई गई उससे यह पूरा अभियान ही बेमायने लगने लगा है.
इंडिया इस्लामिक सेंटर में जो घटना हुई उस कार्यक्रम के बारे में लोगों को ठीक से जानकारी नहीं है. लोगों को उसे समझना होगा. दो-ढाई सौ लोगों ने मिलकर वह कार्यक्रम आयोजित किया था. उसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज थे, तमाम वकील थे, दूसरी पार्टियों के नेता भी थे, मीनाक्षी लेखी भी थीं वहां. उन्हीं लोगों की तरह से मैं भी एक आमंत्रित सदस्य था. उसी कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मैंने कहा कि प्रधानमंत्रीजी का यह अभियान सिर्फ फोटो खिंचवाने का अवसर नहीं बनना चाहिए. इतने सारे आमंत्रित लोगों के बीच सिर्फ मुझे ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है. जैसे तमाम मेहमान उस कार्यक्रम में झाड़ू लेकर पहुंचे थे वैसे ही मैं भी था. जब आप किसी सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं तो आप आयोजक के प्रति कोई अविश्वास लेकर नहीं जाते, आप यह सोचकर नहीं जाते की कोई आपके साथ वहां गड़बड़ी की जाएगी. पता नहीं यह कोई इंसानी गड़बड़ी थी या जानबूझकर किसी ने किया, मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता.

आपको लगता है कि किसी ने जानबूझकर आपको फंसाया है?
मैं इस मामले में कुछ भी नहीं कह सकता. हो सकता है कि किसी ने बदनाम करने के लिए ही ऐसा किया हो तभी वो सारी फोटो खिंचवाई गई हों. पर मुझे कुछ भी नहीं पता. आप यह देखिए कि इस कार्यक्रम में मेरी भूमिका क्या थी, मैं कोई आयोजक तो था नहीं इसके बावजूद मीडिया में सिर्फ मेरा ही नाम उछाला गया. यह बहुत दुखद है.

पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं बढ़ रही हैं. पिछले 15-20 सालों में इस तरह की चीजें दिल्ली में देखने-सुनने को नहीं मिलती थीं. बवाना में ताजिये को लेकर हुआ विवाद हो या त्रिलोकपुरी में हुआ दंगा. कुछ जगहों पर भाजपा नेताओं के नाम भी सामने आए हैं. चुनावों से पहले ही अचानक से ये तनाव क्यों बढ़ गए हैं?
देखिए त्रिलोकपुरी की जो घटना थी वह दुकान में शॉर्टसर्किट से लगी आग के बाद हुई. मैं दिल्ली पुलिस को बधाई देता हूं कि उन्होंने दो दिन के भीतर उसे काबू कर लिया. अब अगर इस पर राजनीति करनी हो तो वहां के विधायक तो आम आदमी पार्टी के हैं वे क्या कर रहे थे, उनकी क्या भूमिका थी. पर हम इस तरह की राजनीति में नहीं पड़ते. बवाना में हमारे विधायक हैं गुगन सिंह. मैंने उन्हें फोन करके कहा कि आप ताजिए को सही-सलामत निकलवाने में मदद कीजिए. दोनों पक्षों की सहमति और सद्भावना के साथ ताजिया निकलवाने की व्यवस्था हमने की. हमारी भूमिका दोनों ही मामलों में एकदम साफ थी कि किसी तरह मामलों को बढ़ने न दिया जाय और उसे समय रहते सुलझा लिया जाय.

आपकी व्यक्तिगत राजनीति की बात करते हैं. लंबे समय से आप संगठन में थे. पहली बार आप पार्षद बने थे. और अब राज्य के मुखिया की जिम्मेदारी भी आपके ऊपर आ गई है. संगठन और चुनावी राजनीति के बीच तालमेल कैसे बिठाते हैं. कहीं आपकी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी के पीछे पार्षद की जिम्मेदारियां नजरअंदाज तो नहीं हो रहीं.
मेरी जो पार्षद की जिम्मेदारियां हैं वो बखूबी पूरी हो रही हैं. कल ही मैं अपने इलाके की सभी आरडब्लूए अधिकारियों से मिला हूं. उनके साथ दो घंटे लंबा कार्यक्रम रहा मेरा. वो जिम्मेदारियां भी बखूबी पूरी हो रही हैं. आरडब्लूए के एक भी सदस्य ने अपने इलाके में किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत नहीं की. नियमित अंतराल पर उनके साथ मेरा संवाद होता रहता है. अपने चुनाव के दौरान मैंने लोगों से कहा था कि मैं आप लोगों को काम करने के लिए अपने घर नहीं बुलाऊंगा बल्कि मैं खुद आपके यहां आऊंगा. अंतिम बात यह है कि लोगों के काम हो जाने चाहिए बिना परेशान हुए. जहां तक मेरी जिम्मेदारी का सवाल है तो यह मल्टीटास्किंग का मामला है, और जिम्मेदारियां इन्हीं चीजों को ध्यान में रखकर दी जाती हैं. अगर हम यह भी नहीं कर सकते तो फिर इतनी बड़ी दिल्ली को कैसे संभालेंगे.

इसी जिम्मेदारी से जुड़ा एक सवाल है. आपके एक कार्यकर्ता हैं, वे एक एमसीडी इंस्पेक्टर को भद्दी भाषा में धमकी देते हुए सुने जा रहे हैं. ऐसे लोगों से आप कैसे निपटेंगे. अगर ऐसे कार्यकर्ता होंगे तो फिर भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर पार्टी की बात का भरोसा कैसे करेगी जनता.
जिस ऑडियो की बात आप कर रहे हैं उसे मैंने सुना है. उसमें दो चीजें हैं. एक तो वे इस बात का विरोध कर रहे हैं कि अधिकारी वैध चीजों पर एक्शन ले रहे थे जबकि अवैध के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे थे. इससे वे आपे के बाहर हो गए. दूसरा पक्ष है उनकी भाषा. जिस तरह की भाषा वे इस्तेमाल कर रहे थे उसकी मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. हमारे कार्यकर्ता ने पार्टी के कड़े संदेश के बाद अपनी गलती के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है और आगे से इस तरह का व्यवहार न करने की बात कही है. पार्टी इस तरह की चीजों का कतई समर्थन नहीं करती है.

चुनाव के बाद सतीष उपाध्याय के मुख्यमंत्री बनने की क्या संभावना है.
इस सवाल की आवश्यकता नहीं है. यह गैर जरूरी है. हमारा विधायक दल तय करेगा कि कौन उसका नेतृत्व करेगा.

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