शोपियां मुठभेड़ की जांच से जाहिर, सेना जवानों ने शक्तियों का किया दुरूपयोग, उमर बोले जांच से साफ़, सेना परिवारों के आरोपों से सहमत

कश्मीर के शोपियां में जुलाई में सेना के हाथों तीन लोगों की मौत के मामले की अभी तक की जांच में सामने आया है कि सेना ने उन्हें आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) के तहत मिली शक्तियों का दुरुपयोग किया था। अब इसे एनकाउंटर बताकर इन तीन लोगों की मौत के मामले में इससे जुड़े जवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

सेना ने इस कथित एनकाउंटर पर सवाल उठने के बाद एक कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरी बैठाई थी। कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरी ने अपनी जांच में पाया है कि सेना के जवानों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। ये कथित एनकाउंटर 18 जुलाई को हुआ था जिसमें जवानों के हाथों तीन लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, इन लोगों के परिजनों और गाँववासियों ने इस पर गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि इन लोगों की हत्या की गयी है और वे आतंकी नहीं थे।

परिजनों के मुताबिक यह सभी चचेरे भाई थे और शोपियां में मजदूरी करते थे।

जांच में प्रथम दृष्टतया पाया गया कि जवानों ने इस मुठभेड़ में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट में मिली शक्तियों का बेजा इस्तेमाल किया। जांच के बाद अब सेना ने इस ऑपरेशन में शामिल सभी जवानों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। सेना ने कहा कि जो भी इस मामले में आरोपी हैं, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। जांच के दौरान जान गंवाने वाले युवकों के डीएनए मिलान के लिए नमूने लिए हैं, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी है।

सेना की आंतरिक जांच, जिसके नतीजे अब सार्वजनिक किए गए हैं, में कहा गया है कि कुछ निश्चित साक्ष्य सामने आए हैं। इनसे जाहिर होता है कि जवानों ने निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया। पुलिस फिलहाल इन तीन लोगों के किसी भी तरह के  आतंकवादी गतिविधि से जुड़ाव की जांच कर रही है।

सेना की जांच में पता चला कि जवानों ने सुप्रीम कोर्ट के स्वीकृत और सेना प्रमुख की ओर से बनाए नियमों का भी उल्लंघन किया है। रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने कहा – ‘सेना के अधिकारियों ने ऑपरेशन अमशीपोरा को लेकर जांच पूरी कर ली है। जांच में प्रथम दृष्टया कुछ सबूत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि इस ऑपरेशन के दौरान अफ़स्पा 1990 के तहत मिली ताक़तों का दुरुपयोग किया गया। इसके साथ ही पहली नज़र में जो लोग इसके लिए दोषी पाए गए हैं, उनके ख़िलाफ़ सेना के एक्ट के मुताबिक़ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।’

इन तीन लोगों की पहचान इबरार (17), इम्तियाज़ (25) और अबरार अहमद (20) के रूप में की गयी थी। परिजनों ने कहा था कि तीनों मज़दूरी करते थे और वे राजौरी क्षेत्र के धार सकरी गांव से शोपियां गए थे।

इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मसले पर ट्वीट किया है – ‘मार डाले गए तीनों लोगों के परिवार अपनी बेगुनाही का दावा करते रहे थे। सेना की शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई से लगता है कि सेना परिवारों से सहमत है। प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहनी चाहिए और दोषी को क़ानून का पूरी तरह सामना करना चाहिए।’

पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला का ट्वीट –
Omar Abdullah
@OmarAbdullah
The families of the three murdered men had continued to proclaim their innocence. Disciplinary action initiated by the army would suggest the army agrees with the families. The process must remain transparent & the guilty must face the full weight of the law.