विकास के नाम पर कारमाइकेल लाइब्रेरी की बलि

इतिहास गवाह है कि जब भी कभी किसी जेल की इमारत को ध्वस्त किया जाता है तो वहां के कैदियों को रखने की वैकल्पिक व्यवस्था पहले से कर दी जाती रही है। यह आज़ाद भारत की विडंबना है कि आज जब काशी में कारमाइकेल लाइब्रेरी को तोड़-फोड़ दिया गया है तो उसमें रखी बहुमूल्य किताबों को लावारिस छोड़ दिया गया। इनमें वे किताबें भी हैं जिनकी आज शायद और कोई प्रति उपलब्ध ही न हो।

इस लाइब्रेरी की स्थापना आज से 147 साल पहले 1872 में संकठा प्रसाद खत्री ने तत्कालीन कल्कटर करमाइकल के नाम पर की थी। इसे बनाने में बनारस के तत्कालीन कल्कटर करमाइकल ने खासी मेहनत की थी। इसी वजह से लाइब्रेरी का नाम उनके नाम पर रख दिया गया था। राजा शिव प्रसाद सितार-ए-हिंद इस लाइब्रेरी के पहले अध्यक्ष रहे। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान यह लाइब्रेरी भी राष्ट्रीय आंदोलन की गतिविधियों और उसमें शामिल लोगों की गवाह बनी।

बनारस के साहित्यकारों का यहां कभी जमावड़ा हुआ करता था। जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद्र, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, भैय्या जी बनारसी आदि साहित्यकार भी अक्सर यहां आते-जाते थे। अनेक दुर्लभ पुस्तकों का यहां भंडार है।

इस भवन के निचले हिस्से में अनेक छोटी-छोटी दुकानें हैं। दुकानदार पिंटू बरनवाल ने बताया कि लगभग 28 लोगों की यहां दुकानें हैं। जिससे उनकी रोजी-रोटी चलती है। यहां की कुछ दुकानें तो 80-90  साल पुरानी हैं। इस भवन के  ध्वस्त हो जाने से अब उनके समक्ष बेरोजग़ारी का संकट खड़ा हो गया है।

कारमाइकेल लाइब्रेरी भवन गोदौलिया चौंक जाने वाले मुख्यमार्ग पर बांसफाटक के पास स्थित है।  यहां से बाबा विश्वनाथ मंदिर की दूरी लगभग 200 मीटर होगी। अब यह भवन विश्वनाथ का गलियारा और गंगा पाथवे की जद में आ गया है। इस भवन के कुछ दुकानदारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाया था, लेकिन उनकी याचिका खारिज होने के साथ ही लाइब्रेरी भवन को तोडऩे का काम अब शुरू हो गया है।

कारमाइकेल लाइब्रेरी की ऊपरी मंजिल का बहुत सा भाग ध्वस्त किया जा चुका है। 25 मई को दोपहर में कई मज़दूर भवन के ऊपरी हिस्से को हथौडे से तोड़ते हुए देखे गए। इस भवन को ध्वस्त किए जाने के बाद कॉरिडोर का बहुत सा हिस्सा मुख्यमार्ग से ही दिखाई देने लगेगा। विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर क्षेत्र में रहने वाले 7-8 लोग जो अभी तक प्रशासन को अपना घर नहीं बेचे थे उनकी भी हिम्मत अब कारमाइकेल लाइब्रेरी के ध्वस्तीकरण से टूट गई है। विकास के सामने अब उन्होंने आत्मसमर्पण कर देने का मन बना लिया है।