बीसीसीआई की कमान गांगुली के हाथ में दिखेंगे परिवर्तन

आखिर देश की क्रिकेट टीम के कप्तान रहने वाले सौरव गांगुली इसी खेल की सबसे बड़ी संस्था के अध्यक्ष भी बने गए। मुंबई में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए अध्यक्ष का पद जब गांगुली ने संभाला तो इसे भारतीय क्रिकेट के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन की संभावना के रूप में भी देखा जा रहा है। गांगुली बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष बने हैं। उनके अध्यक्ष पद संभालने के साथ ही करीब 33 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट की गठित की गयी प्रशासकों की समिति (सीओए) भी भंग हो गई है। गांगुली निर्विरोध चुने गए और वे 2020 की जुलाई तक इस पद पर  रहेंगे।

गांगुली के साथ गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय ने सचिव और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धूमल ने कोषाध्यक्ष का पद संभाला है। इनके अलावा उत्तराखंड के महिम वर्मा उपाध्यक्ष और केरल के जयेश जॉर्ज संयुक्त सचिव बने। जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने सीओए को भंग करने का आदेश दिया था। बीसीसीआई के संचालन के लिए चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की सिफारिशों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में सीओए का गठन किया था। गांगुली अब से 10 महीने तक बीसीसीआई के अध्यक्ष रहेंगे। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के अनुसार, कोई व्यक्ति राज्य या बीसीसीआई में लगातार छह साल से अधिक समय तक नहीं रह सकता और गांगुली 2014 से ही बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन (कैब) के अध्यक्ष रहे थे। बाद में उन्हें तीन साल के कूलिंग पीरियड पर जाना होगा। यानी वे तीन साल तक राज्य या बीसीसीआई में किसी पद पर नहीं रह सकते।

गांगुली ने अध्यक्ष पद सम्भालने के बाद कहा – ‘‘पिछले तीन सालों में जो कुछ भी हुआ, उसके बाद भारतीय क्रिकेट प्रशासन के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण समय है। एक ऐसी भूमिका में होना, जहां मैं टीम के साथ कुछ अलग कर सकता हूं, ये बेहद संतुष्टिदायक होगा। उम्मीद है अगले कुछ महीनों में हम सबकुछ ठीक कर देंगे और भारतीय क्रिकेट को सामान्य स्थिति में ले आएंगे।’’ एमएसके प्रसाद की अगुवाई वाली चयनकर्ताओं की किस्मत अब बीसीसीआई के नए अध्यक्ष सौरव गांगुली के हाथों में आ गई है। अब गांगुली यह तय करेंगे कि चयनकर्ताओं की पुरानी टीम बरकरार रहेगी या उन्हें बदला जाएगा।

बीसीसीआई के नए संविधान के अनुसार एमएसके प्रसाद की अगुवाई वाली चयनसमिति का कार्यकाल अभी बचा हुआ है, लेकिन बोर्ड के नए अध्यक्ष सौरभ गांगुली फैसला करेंगे कि क्या पैनल को पांच साल का कार्यकाल पूरा करना चाहिए या नहीं। पुराने संविधान के अनुसार चयनकर्ताओं का कार्यकाल चार साल था, लेकिन अब प्रभावी हो चुके संशोधित संविधान में अधिकतम पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान है। नए संविधान के अनुच्छेद 26 (3) के अनुसार किसी भी व्यक्ति जो किसी क्रिकेट समिति का कुल पांच वर्ष तक सदस्य रहा हो वह किसी अन्य क्रिकेट समिति का सदस्य बनने के योग्य नहीं होगा। प्रसाद और गगन खोड़ा को 2015 में बीसीसीआई की एजीएम में नियुक्त किया गया था और नए संविधान के अनुसार उनका कार्यकाल सितंबर 2020 में समाप्त हो जाएगा। इनके अलावा अन्य चयनकर्ताओं में जतिन परांजपे, सरनदीप सिंह और देवांग गांधी ने 2016 में शुरुआत की थी और उनका दो साल का कार्यकाल बचा हुआ है।

प्रशासकों की समिति के बोर्ड का संचालन करने के कारण 2017 और 2018 में कोई एजीएम नहीं हुई थी और इस तरह से पैनल बना रहा। गांगुली ने संकेत दिए हैं कि प्रसाद और खोड़ा की जगह नए सदस्य रखे जाएंगे।