मां बनने के बाद क्यों लगते हैं महिला खिलाडिय़ों के करिअर पर प्रश्न चिन्ह?

अंतरराष्ट्रीय लॉन टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा मां बनने के एक साल बाद ‘कम बैक’ कर रही है। सानिया मिर्जा जनवरी 2020 में अंतरराष्ट्रीय मैच खेलेगी। हाल ही में सानिया ने अंग्रेजी के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया कि एयरपोर्ट पर लोग उसे अकेले देख सवाल करते हैं कि आप यहां हैं तो आप के बेटे इजहान के पास कौन है? सानिया मिर्जा बताती है कि यह सवाल किसी ने उसके पति व इजहान के पिता यानी पाकिस्तान के मशहूर क्रिकेटर शोएब मलिक से तब नहीं पूछा होगा जब वे करीब एक माह के लिए आईपीएल खेलने विदेश गए हुए थे। यह खिलाड़ी सेल्फलेस पैरेंट व सेलफिश एथलीट के बीच संतुलन बना रही है। वह मां बनने के बाद भी अपना खेल जारी रखना चाहती है क्योंकि उसका मानना है कि उसके अंदर अभी भी खेल बचा हुआ है और ओलापिंक मेडल जीतने की भावना उसे प्रोत्साहित करती रहती है।

हाल ही में मेरीकॉम वल्र्ड चैम्पियनशिप में आठ मेडल जीतने वाली दुनिया की पहली मुक्केबाज बनी हैं। मेरीकॉम ने क्यूबा के फेलिक्स सेवोन का सात मेडल का रिकॉर्ड तोड़ा है। मेरीकॉम ने मां बनने के बाद खेल जगत में जो रिकार्ड बनाए,उसे दुनिया जानती है। दरअसल एक पुरुष खिलाड़ी शादी करता है या पिता बनता है तो उसके खेल करिअॅर को लेकर कोई सवाल जेहन में ही नहीं आता लेकिन जैसे ही एक पेशेवर महिला खिलाड़ी गर्भधारण करती है, मां बनती है तो उसके सामने अनके सवाल खड़े कर दिए जाते हैं। उसे अच्छी विवाहिता, मां या खिलाड़ी बने रहने के विकल्प में से किसी एक को चुनने के लिए दवाब डाला जाता है। यह सवाल व हालात कमोवेश पूरी दुनिया के खेल जगत के हैं। बीते दिनों दोहा वल्र्ड एथलेटिक्स चंैपियनशिप में जमैका की प्राइस, अमेरिका की ऐलिसन फेलिक्स और चीन की लियू हांग नामक तीनों महिला खिलाडिय़ों ने मां बनने के बाद खेल में वापसी कर स्वर्ण पदक जीते और विश्व रिकॉर्ड बनाए। एनी प्राइस ने गर्भवती होने के कारण 2017 विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लिया था लेकिन मां बनने के बाद 2019 दोहा चैंपियनशिप में प्राइस ने हिस्सा लिया और गोल्ड जीता। यही नहीं 32 साल की प्राइस स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे उम्रदराज महिला खिलाड़ी हैं। अमेरिका की एलिसन फेलिक्स ने बेटी को जन्म देने के 10 महीने बाद ही दोहा में हिस्सा लिया व 12वां गोल्ड जीतकर उसैन बोल्ट के 11 गोल्ड का रिकॅार्ड तोड़ा। चीन की लियू होंग डिलिवरी के 6 महीने के बाद ही ट्रैक पर लौट आई और दोहा में अपने से उम्र में छोटी खिलाड़ी को हराकर गोल्ड अपने नाम किया।

इन महिला खिलाडिय़ों की ऐसी उपलब्धियों ने एक बार पुन: उस धारणा को मजबूती से तोड़ा है कि एक महिला खिलाड़ी गर्भ धारण के दौरान व शिशु को जन्म देने के बाद अपने खेल कॅरिअर में पिछड़ जाती है। उसमें वह शारीरिक दमखम और मानसिक एकग्रता नहीं रहती, जो खेल प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन की अनिवार्य शर्त है। लिहाजा अधिकांश महिला खिलाडिय़ों के सामने एक दौर ऐसा भी आता है जब उन्हें खेल, कॅरिअर और शादी-परिवार में से किसी एक को चुनने की दुविधा परेशान कर देती है क्योंकि समाज, खेल प्रशासन व संस्थाएं यानी खेल तंत्र ने खेल को पुरूष-खेल के रूप में तवज्जो दी, जब आधी दुनिया ने इस क्षेत्र में अपने जौहर दिखाने शुरू किए तो महिला खिलाडिय़ों के लिए बंद रास्ते धीरे-धीरे खुलने लगे। पर यह बंदिशें भी लगा दी कि गर्भ धारण किया, मां बनी तो इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा। अधिकांश महिलाओं को यह डर सताता रहता है कि वे खेलेगीं नहीं तो पैसा नहीं कमा पाएंगी। दरअसल इस सवाल का समाधान केवल पारिवारिक-सामाजिक स्तर पर मिलने वाला सहयोग ही नहीं है बल्कि इस संदर्भ में आधिकारिक घरेलू व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा महिला खिलाडिय़ों के लैंगिक हितों को साधने वाले नियम, कायदे-कानूनों की भूमिका अधिक महत्व रखती है।

बेशक भारत में मेरीकॉम ने इस संदर्भ में एक मिसाल पेश की और सेरेना विलियम ने भी मां बनने के बाद खेल में वापसी कर महिला खिलाडिय़ों को इस दुविधा से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित किया। महिला क्रिकेट खिलाडिय़ों की दुनिया में झांके तो पता चलता है कि शादी के बाद बहुत ही कम महिला खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान में पहले की तरह सक्रिय दिखाई देती हैं। उन्हें -एक स्पोर्टसपर्सन, विवाहित महिला और मां में से एक को चुनने के लिए विवश किया जाता है। भारत क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने महिला खिलाडिय़ों के लिए मेटरनिटी लीव व पेरेंटल लीव का कोई नियम नहीं बनाया हुआ है। जबकि भारत में 2017 में मेटरनिटी एक्ट में संशोधन कर कामकाजी महिलाओं के लिए इस अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते यानी 6 माह कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन व कई मेडिकल शोध भी 6 माह की मातृत्व देखभाल व स्तनपान की अनुशंसा करते हैं,क्योंकि यह शिशु व मां दोनों के हित में है। शिशुु को जल्दी संक्रमण व रोगों की चपेट में आने से संरक्षण मुहैया कराता है और मां के लिए ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करता है।

हाल ही में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने नई पेरेंटल लीव पॉलिसी लांच की है। नई नीति के अनुसार गर्भवती महिला खिलाडिय़ों को 12 माह की पेड लीव मिलेगी। पुरुष खिलाड़ी को पिता बनने पर तीन हफ्ते की पेड लीव मिलेगी। अगर खिलाड़ी बच्चे को गोद भी लेता है तो उसे पेड लीव मिलेगी। गौरतलब है कि 2016 में क्रिकेट आस्ट्रेलिया उस समय विवादों में आया था, जब उसने महिला खिलाडिय़ों से सेंट्रल कांन्टेऊक्ट साइन कराने से पहले यह बताने के लिए कहा था कि वे गर्भवती तो नहीं हैं। करीब तीन माह पहले न्यूजीलैंड के क्रिकेट बोर्ड ने भी गर्भवती महिला खिलाडिय़ों के लिए सुविधाओं का एलान किया और न्यूजीलैंड महिला क्रिकेट टीम की कप्तान एमी सदरवेट इसका लाभ उठाने वाली पहली महिला है।

गर्भवती व मां बनने वाली महिला खिलाडिय़ों का खेल में आसानी से ‘कम बैक’ नहीं होता है। इसके लिए महिला खिलाडिय़ों ने लंबा संघर्ष किया है और खेल नीतियों को लैंगिक बराबरी के चश्मे से देखने के लिए लामबंदी भी की है। खेल सामग्री बनाने वाली विश्व प्रसिद्व कंपनियों पर भी महिला खिलाडिय़ों को ऐसे हालात में पैड लीव व अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का दबाव तो पड़ा है और एक बड़ी खेल कंपनी ने इस साल अपने नियमों को अधिक महिला मैत्री बनाने का दावा तो किया है लेकिन विश्व प्रसिद्व महिला एथलीट कहती हैं कि ऐसे क्लाज सीधे महिला खिलाडिय़ों के पक्ष में खड़े नहीं दिखाई देते क्योंकि अगर एक महिला खिलाड़ी अपने कम बैक में उच्च मानकों पर खरा उतरने वाला प्रदर्शन करने से चूक जाती है तो उसे स्कीम का पूरा लाभ मिलने की संभावना भी क्षीण हो जाती है। यूं तो कई अमेरिकी कानून गर्भवती कर्मचारियों को संरक्षण देते हैं लेकिन जहां तक महिला खिलाडिय़ों का सवाल है, वे पेशेवर खिलाड़ी स्वतंत्र कांन्ट्रेक्ट साइन करती हैं तो उन पर ये कानून लागू नहीं होते।