बढ़ रहा है लिवर सिरोसिस का कहर

आयुर्वेद में कहा गया है कि स्वस्थ जीवन ही सुखी जीवन है। लेकिन आज के दौर में हर व्यक्ति किसी-न-किसी बीमारी से पीडि़त है। आज शहरों में काफी लोग अनेक गम्भीर बीमारियों से पीडि़त मिल जाएँगे। लेकिन इस बात पर शायद ही कोई गौर करता हो कि उसकी बीमारी की असली वजह पेट की गड़बडिय़ाँ हैं। पेट की बीमारियों की बड़ी वजह अस्वस्थ लिवर यानी हमारा यकृत है। हाल ही में फिल्म डायरेक्टर निशिकांत कामत का 50 वर्ष की उम्र में लिवर की खतरनाक बीमारी लिवर सिरोसिस के चलते ही निधन हुआ है। इस साल लिवर सिरोसिस दुनिया में होने वाली मौतों का 12वाँ सबसे बड़ा कारण बना है। लिवर से सम्बन्धित इस बीमारी और लिवर को स्वस्थ रखने के विषय में बता रही हैं कंचन :-

खानपान पर ध्यान न देना और लापरवाही बरतने से शरीर के कई अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस अनहेल्दी लाइफ स्टाइल को फॉलो करने के कारण अधिकतर लोग कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। हम जिस भी खाद्यान्न का सेवन करते हैं, हमारा लिवर (यकृत) उस खाद्यान्न को पचाकर उसे शरीर को पोषण देने वाले रस में परिवर्तित कर देता है। लिवर हमारे शरीर में मौज़ूद सभी अम्लीय-क्षारीय पदार्थों को बाहर निकालने के साथ-साथ हमारे पाचन तंत्र के सही से कार्य करने का भी खयाल रखता है। लिवर हमारे शरीर के कई कार्यप्रणालियों को बेहतरीन तरीके से चलाने का काम करता है।

हमारे शरीर में ज़रूरी पोषक तत्त्वों को विभिन्न अंगों तक पहुँचाता है। वैसे तो हमारे लिवर के आसपास फैट (वसा) जमा रहता ही है, परन्तु जब इसके सेल में फैट की मात्रा अधिक हो जाए, तब लिवर बीमारी से ग्रसित हो जाता है और सही से कार्य करने में मुश्किलों का सामना करता है। लिवर को क्षति खानपान व अनहेल्दी आदतों से होती है। हाल ही में दृश्यम और मदारी फिल्मों के डायरेक्टर निशिकांत कामत का 50 वर्ष की आयु में निधन हुआ है। वह लिवर की खतरनाक बीमारी ‘लीवर सिरोसिस’ से पिछले दो साल से पीडि़त थे। लिवर सिरोसिस एक गम्भीर चिकित्सा स्थिति है। इस स्थिति में लिवर को हुए दीर्घकालिक नुकसान के कारण यह अपना कार्य ठीक से नहीं करता। धूम्रपान, शराब हेपेटाइटिस इत्यादि कारकों का सेवन करने से लिवर को होने वाले नुकसान से होता है। इस स्थिति में यह स्वयं को ठीक करने की कोशिश में बने निशान ऊतक बनाता है। निशान ऊतक की संख्या बढ़ जाने से यह अपना कार्य करने में धीरे-धीरे काम करना बन्द कर देती है, और तब स्थिति घातक बन जाती है। इस बीमारी को विकसित होनें में महीनों व वर्षों का समय लगता है।

सन् 2015 में 2.8 मिलियन लोग सिरोसिस से प्रभावित हुए थे और 1.3 मिलियन लोगों की इसके कारण मृत्यु हो गयी थी। वैसे तो सिरोसिस को समय रहते उपचार द्वारा रोका जा सकता है, लेकिन लगभग 15-20 फीसदी लोगों को इस स्थिति के बारे में तभी पता चलता है, जब यह चरम स्थिति में होता है। विश्व गैस्ट्रोएंटरोलॉजी संगठन के अनुसार, वर्ष 2001 में लिवर सिरोसिस से होने वाली मृत्यु दर लगभग 771,000 थी। जहाँ तक लिवर सिरोसिस के उपचार का सम्बन्ध है। यह स्थिति आपके लिवर को हुए नुकसान पर निर्भर करती है। दवाओं को पहले निर्धारित किया जाता है और फिर अन्तिम चरण में एक लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की जाती है। इस साल (2020 में) सिरोसिस दुनिया में होने वाली मौतों का 12वाँ प्रमुख कारण बना है। लेकिन हमारे देश में लिवर ट्रांसप्लांटेशन करवाना बेहद मुश्किल कार्य है। हमारे देश में प्रत्येक वर्ष दो लाख से ज़्यादा लोग लिवर ट्रांसप्लांट का इंतज़ार करते हैं; लेकिन उनमें से केवल 1200-1500 लोग ही इसे प्राप्त कर पाते हैं।

इस बीमारी के लक्षण

वैसे तो शुरुआत में इस बीमारी से ग्रसित रोगी को किसी भी प्रकार के लक्षण का अनुभव नहीं होता है। लिवर को बड़े पैमाने पर क्षति हो जाने के बाद ही इसके लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसमें ग्रसित व्यक्ति थकान, मितली (जी मिचलाने), भूख न लगने, दिन-प्रतिदिन वजन घटने, खुजली होने, हथेलियों में लालिमा होने, पीले रंग की आँखें और त्वचा होने, महिलाओं में एब्सेंट पीरियड्स, भ्रम, सुस्त रहने, उलटी में खून आने, काले रंग का मल होने, गहरे पीले रंग का मूत्र होने, घुटनों व पैरों में सूजन होने जैसी परेशनियों का सामना करता है।

कैसे बचें

लीवर सिरोसिस से पीडि़त व्यक्ति शराब व धूम्रपान के सेवन से बचें, रोज़ाना कम-से-कम 3 से 4 किलोमीटर पैदल चलें, विटामिन-सी से भरपूर आहार लें, हरी पत्तेदार सब्जियाँ खाएँ, आहार में वसा का सेवन कम करें, नियमित रूप से व्यायाम करें और हेपेटाइटिस के जोखिम को कम करें।

योगासनों से लिवर होगा स्वस्थ

योगासन हमारे शरीर के लिए बेहद ज़रूरी हैं, परन्तु हम आलस के चलते या जानकारी न होने की वजह से योग नहीं करते या फिर मेहनत की वजह से योगासनों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन यदि प्रतिदिन योग किया जाए, तो योग करना एक स्वस्थ लिवर के लिए, बल्कि पूरे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद सिद्ध हो सकता है। लिवर को मजबूत बनाये रखने के लिए कुछ योगासन इस प्रकार हैं :-

नौकासन : इस आसन को करने के लिए शवासन की मुद्रा में लेटें। दोनों हाथों को कमर से सटाकर, धीरे से एड़ी व पंजों को मिलाएँ। हथेली व गर्दन को ज़मीन पर सीधा रखें। दोनों पैरों के साथ-साथ गर्दन और हाथों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएँ और पूरा वजन अपने हिप्स पर डालें। कम-से-कम 30 सेकेंड तक इस अवस्था में रहे और फिर वापस शवासन की मुद्रा में आ जाएँ।

उष्ट्रासन : वज्रासन की अवस्था में बैठने के बाद घुटनों के सहारे खड़े हो जाएँ। गहरी साँस लेते हुए पीछे की ओर झुकते हुए बायें हाथ से बायें पैर की एड़ी व दायें हाथ दायें पैर की एड़ी को पकड़ें। मुँह आसमान की तरफ रखें, तथ इस स्थिति में रहकर शरीर का भार हाथ और पैर पर डाले। कुछ मिनट तक इस अवस्था में बने रहें और इस आसन को तीन से चार बार करें।

भुजंगासन : पेट के बल सीधे लेटेें। पैर के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए उन्हें तंग रखें। हाथों को छाती के पास लाएँ और हथेलियों को नीचे टिकाएँ। गहरी साँस लेते हुए नाभि तक के हिस्से को ऊपर उठाते हुए आसमान को देखें। थोड़े समय यह आसन करने के बाद फिर प्रारम्भिक अवस्था में आएँ।

कपालभाति : इसे करने से पूर्व पद्मासन, वज्रासन व सिद्धासन में बैठें। गहरी साँस लें और आठ से 10 सेकेंड तक अन्दर रखें, फिर धीरे से नाक के द्वारा साँस छोड़ें। इस योग को रोज़ाना बारह से पंद्रह मिनट तक करें।

आयुर्वेदिक उपचार

भोजन में तेल, मसाले अधिक मात्रा में खाने और अत्यधिक शराब पीने से लिवर खराब होता है। पेट से सम्बन्धित सभी परेशानियों का कारण लिवर में गड़बड़ी होना है। खाने पर ध्यान न देना इसका सबसे बड़ा कारण है। इसके अंतर्गत लिवर फैटी होने के साथ-साथ सूज जाना और उसमें इंफेक्शन हो जाता है। इससे खाना भी ठीक से नहीं पचता। लिवर की अनदेखी करना बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए स्वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्सालय के प्रवक्ता डॉक्टर सुबोध भटनागर ने कुछ आयुर्वेदिक उपाय बताये हैं :-

एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर और शहद को एक गिलास पानी में मिलाकर दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करें। यह शरीर में विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।

पपीता रोज़ाना खाएँ। यह पेट सम्बन्धी सभी परेशानियों से निजात दिलाता है। खासकर लिवर सिरोसिस में यह बेहद लाभकारी है।

रोज़ाना चार से पाँच आँवले खाएँ। यह विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है।

रात को सोने से पहले दूध में हल्दी मिलाकर पीने से हैपेटाइटिस बी तथा हैपेटाइटिस सी के कारण होने वाले वायरस का बढऩे से रोकता है।

पालक और गाजर का रस मिलाकर पीने से भी लिवर सिरोसिस में फायदा मिलता है।