परेशान रहते हैं आम इंसान पनप रहे कल्कि जैसे भगवान

एक तरफ मुम्बई की पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के द्वारा लोगों के अरबों रुपये मार लेने से सभी खाताधारक परेशान हैं। धरने पर बैठे हैं, आन्दोलन कर रहे हैं, सरकार और आरबीआई से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को राज़ी नहीं है। इनमें कई लोग ऐसे हैं, जिनकी स्थिति बहुत दयनीय है। अब तक छ: लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर स्वयंभू कल्कि भगवान उर्फ कल्कि महाराज उर्फ विजय कुमार के पास आयकर विभाग के छापे में 44 करोड़ रुपये के भारतीय नोट, 25 लाख अमेरिकी डॉलर, 90 किलो सोना और करोड़ों के हीरे-जवाहरात बरामद हुए हैं। सूत्रों की मानें, तो कल्कि महाराज के 40 ठिकानों और आश्रम पर 300 अधिकारी छापेमारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कल्कि महाराज के पास 500 करोड़ रुपये की अकूत सम्पत्ति मिली है। कभी एलआईसी में क्लर्क रहे कल्कि महाराज का साम्राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु से लेकर विदेशों तक फैला हुआ है। खुद को भगवान विष्णु का 10वाँ अवतार बताने वाले 70 वर्षीय कल्कि महाराज ने 1980 में वैकल्पिक शिक्षा देने के नाम पर जीवाश्रम नाम की संस्था बनायी थी और देखते-देखते यह इंसान कुबेर की तरह अमीर हो गया। आयकर विभाग की मानें तो बाबा का पैसा कई बड़ी फर्मों में लगा है। और टैक्स देने में हेराफेरी की जाती थी। कल्कि महाराज ने तमाम जगह ज़मीनें खरीदी हुई हैं।

सोचने की बात यह है कि एक तरफ देश में भुखमरी, गरीबी, बेरोज़गारी और किसानों की दर्जनों समस्याएँ हैं, वहीं कल्कि महाराज, दाती महाराज, आशाराम, रामपाल और रामरहीम जैसे लोग धर्म के नाम पर लोगों को भावनात्मक रूप से रिझाकर करोड़ों की ठगी कर लेते हैं। दूसरी ओर वे लोग हैं, जिनका पैसा अचानक ठग लिया जाता है। घोटालों में डूब जाता है। पीएमसी बैंक की बात करें, तो इस बैंक में हुए घोटाले के बाद अब तक छ: लोगों की मौत हो चुकी है। पीडि़तों का कहना है कि सभी लोगों की मौत सदमे से हुई है। बता दें कि पीएमसी बैंक घोटाले का खुलासा सितंबर, 2019 में हुआ था। तब वहाँ भाजपा और शिवसेना की संयुक्त सरकार थी। इस घोटाले की जाँच जब आरबीआई ने की, तो पता चला की पीएमसी बैंक ने एचडीआईएल के 6,700 करोड़ रुपये के 44 कर्ज़ खातों की जानकारी छिपाने के लिए फर्ज़ी खाते खोले थे।

यह अगल बात है कि इस बैंक पर 23 सितंबर, 2019 को ही आरबीआई ने प्रतिबंध लगा दिये थे, लेकिन सवाल यह उठता है कि खाताधारकों को क्या इससे न्याय मिल सका। क्या हालत है हमारे देश की? कभी लोगों के पैसे निवेश में डूबते हैं, तो कभी बैंकों में। तो दूसरी तरफ कल्कि महाराज जैसे बाबा उग आते हैं, जो बिना कोई मेहनत का काम किये ही करोड़ों के बारे-न्यारे कर लेते हैं। मज़े की बात है कि ऐसे स्यवंभू बाबा अपने आपको भगवान तक कह देते हैं और उन पर धर्मांधता के चलते कार्रवाई भी नहीं की जाती। ऐसे लोग बिना किसी डर के निरंकुश होकर अपना साम्राज्य स्थापित कर लेते हैं और शासन-प्रशासन देखता रह जाता है। क्या आप जानते हैं कि ऐसे कितने ही स्वयंभू बाबा अभी भारत में बहुत हैं। इन बाबाओं का इतिहास खंगाला जाए, तो कई का तो आपराधिक चिट्ठा निकल आएगा। कोई बलात्कार का आरोपी निकलता है, तो कोई हत्याओं में लिप्त मिलता है। आखिर कैसे संत हैं ये? यह आज भारतीय लोगों को समझने की ज़रूरत है। लोगों को सोचना चाहिए कि जिन स्वयंभू संतों-बाबाओं के पैरों में वे नाक रगड़-रगड़कर लाखों का चढ़ावा चढ़ा देते हैं, वे बाबा जीवन भर उस सम्पत्ति पर जीवन भर ऐश-ओ-आराम करते हैं। वहीं दूसरी ओर पीएमसी में अपने खून-पसीने की कमाई का एक-एक पैसा पेट काट-काटकर जोडऩे वाले वे लोग हैं, जो अचानक ही अपनी ही कमाई ऐसे गँवा देते हैं, जैसे उस पर उनका मौलिक अधिकार ही न हो। क्या अजीब विडम्बना है कि एक तरफ दूसरे के पैसों पर ऐश करने वाले लोग हैं और एक तरफ दिनरात मेहनत करके भी परेशान रहने वाले लोग।

जिन लोगों को सिर्फ राष्ट्रवाद के नाम पर शोर-शराबा करना आता है, क्या वे पीएमसी बैंक के पीडि़त ग्राहकों को समर्थन देने के लिए आगे आये? नहीं। इस बैंक के घोटाले की सज़ा पाने वाले ईमानदार लोग हैं, जो जीवन भर अपनी छोटी-सी कमाई में से पेट काट-काटकर एक-एक पैसा जोड़ते रहे। आज भी ये लोग आन्दोलनरत हैं, लेकिन कोई भी उनकी पीड़ा को देखना नहीं चाहता। सरकारों को इन पीडि़तों की आवाज़ सुनाई नहीं दे रही। कई लोग आत्महत्या करने की बात कर रहे हैं, फिर भी सरकार को किसी से कोई सरोकार नहीं। ऐसी स्थिति में क्या सरकार को इन लोगों के हक के पैसे को नहीं लौटा देना चाहिए? क्या सरकार को पीएमसी के पीएमसी बैंक के शेयर होल्डर्स को स्थापक संस्थापकों को और अधिकारियों की सम्पत्तियाँ नीलाम करके पीडि़तों के साथ न्याय नहीं करना चाहिए? क्या आरबीआई का कोई ऐसा नियम नहीं है, जिसके हिसाब से बैंक की सारी सम्पत्ति बेचकर बैंक के ग्राहकों का पैसा दिलाया जा सके? अगर सरकार चाहे तो सब कुछ सम्भव है। सरकार चाहे तो बैंक के करप्ट होने पर उसके ग्राहकों के पैसे बैंक की सम्पत्ति नीलाम करके लौटाये।

कांग्रेस की मुम्बई इकाई ने वित्तीय संकट में फँसी पीएमसी बैंक के ग्राहकों को न्याय दिलाने के लिए भीख माँगों आन्दोलन किया। जितने भी पीडि़त हैं, वो भी आन्दोलनरत हैं, पर कोई सुनवाई नहीं। दूसरी तरफ विदेशों से कालाधन नहीं आया, कोई भी कालेधन वाला नहीं रोया, नोटबंदी से आम लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ, इंडस्ट्री स्थापित नहीं हुईं। बाबाओं के पास अकूत सम्पत्ति, नेताओं के पास अकूत सम्पत्ति, उद्योगपत्तियों के पास अकूत सम्पत्ति, मर कौन रहा है? हर वह आदमी, जो दिनरात मेहनत करके एक-एक पैसा इकट्ठा करता है। समझने की बात है कि बाबाओं के पास से बरामद अकूत सम्पत्ति को पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं किया गया, क्यों? कल्कि महाराज को छोड़ दें, तो बाकी जितने भी कथित संत पकड़े गये, उनकी सम्पत्ति का पता ही नहीं चला कि वह सही मायनो में कितनी थी?

हैरत की बात है यह है कि सभी कथित संतों के लाखों भक्त निकले। कल्कि महाराज को तो उनके कई भक्त भगवान ही मानते हैं। आश्चर्य वाली बात यह है कि कल्कि महाराज के अनेक भक्त सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं कि कल्कि महाराज उनके भगवान हैं। ये भक्त आजकल कल्कि महाराज के बचाव में न केवल कैम्पेन कर रहे हैं, बल्कि उनके चमत्कार भी बता रहे हैं। जैसे- कोई कह रहा है कि उसे कल्कि भगवान के प्रताप से धन की प्राप्ति हुई, कोई कह रहा है कि उसे कल्कि भगवान की कृपा से नौकरी मिल गयी, कोई कह रहा है कि उसका डूबा हुआ पैसा मिल गया। और कोई तो यहाँ तक दावा कर रहा है कि उसके रात को रखे जूठे बरतन सुबह साफ मिले। हैरत होती है, ऐसी बातों पर; आज जब हम आधुनिकता के चरम पर पहुँचने की बात करते हैं, तब ऐसी भ्रम फैलाने वाली मानसिकता के लोग भी दिखाई दे जाते हैं, जो बिना सत्य और तथ्य समझे आँखें मूँदकर बाबाओं पर भरोसा करते हैं। हम यह नहीं कह रहे कि ईश्वर नहीं है, ईश्वर को नहीं मानना चाहिए; पर बाबाओं को बिना परखे हम भगवान तक मान लें, यह बात गले नहीं उतरती।

आिखर लोग उन बाबाओं पर अन्धविश्वास कैसे कर लेते हैं, जो अकूत सम्पत्ति के कुबेर बनकर ठाठ से जीवन बिताते हैं। क्या ऐसे लोग संत हो सकते हैं, जो सम्पत्ति जोड़-जोड़कर देश को खोखला करने की कोशिशों में लगे हैं। जिस तरह से कल्कि महाराज के पास अकूत सम्पत्ति मिली है, उस तरह तो केवल 10-15 बाबाओं को पकड़ लिया जाए, तो देश की आॢथक दशा में बड़ा सुधार हो सकता है।

पाखंड की हद तो यह है कि कल्कि महाराज आज भी कहने से नहीं चूक रहे कि वह स्वयं भगवान हैं। सवाल यह है कि अगर कल्कि महाराज भगवान विष्णु का अवतार हैं, तो देश की गरीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी और किसानों की तमाम समस्याओं को पलक झपकते ही ठीक कर सकते हैं। क्या एक ऐसे देश में ये समस्याएँ हो सकती हैं, जिसमें साक्षात् भगवान हो? कहा जाता है कि भगवान राम और भगवान कृष्ण के राज्य में कोई दु:खी नहीं था, कोई भूखा नहीं मर रहा था, कोई भी रोगी नहीं था, सभी प्रसन्न थे। क्या आज ऐसा है? वह भी तब जब स्वयंभू कल्कि भगवान हमारे सामने है। खुद को राधे माँ कहने वाली कथित साध्वी हमारे देश में है। हम कितने भ्रम में जी रहे हैं? हम कितने तर्कहीन हैं कि इन कथित भगवानों को बिना किसी सवाल और बिना अपनी सोच के घोड़े दौड़ाये उनके कदमों में गिर जाते हैं। क्या इससे हमारे अन्दर का भगवान अपमानित नहीं होता?