दुनिया की बड़ी कम्पनियों में भारतीय सीईओ का डंका

जब पराग अग्रवाल को हाल में ट्विटर इंक का सीईओ नियुक्त किया गया, तो एक बार फिर कोई भारतीय-अमेरिकी प्रमुख वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गज बनकर सुर्ख़ियों में आ गया। अग्रवाल का जन्म 21 मई, 1984 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था और उनके पिता परमाणु ऊर्जा विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी थे, जबकि उनकी माँ शिक्षिका थीं। पराग ने 2001 में तुर्की में अंतरराष्ट्रीय भौतिकी ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता और आईआईटी बॉम्बे से कम्प्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और फिर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक पैट्रिक डोरसी ने 29 नवंबर, 2021 को घोषणा की कि वह ट्विटर के सीईओ के रूप में इस्तीफ़ा दे रहे हैं और अग्रवाल तत्काल प्रभाव से उनकी जगह ले रहे हैं।

यह नियुक्तियाँ भारत की शीर्ष स्तर की प्रबन्धन प्रतिभा को उजागर करती हैं। शीर्ष स्तर पर आईटी पेशेवरों का वैश्विक दिग्गजों के साथ नेतृत्व करना निश्चित ही बड़ी उपलब्धि है। इसने भारत की सॉफ्ट पॉवर को एक नया आयाम दिया है। माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला से लेकर अल्फाबेट के सुंदर पिचाई और एबोड के शांतनु नारायण और आईबीएम के अरविंद कृष्ण, माइक्रोन टेक्नोलॉजी के संजय मेहरोत्रा से पालो ऑल्टो नेटवक्र्स के निकेश अरोड़ा तक और वीएमवेयर के रंगराजन रघुराम से लेकर अरिस्टा नेटवक्र्स जयश्री उल्लाल तक, वैश्विक प्रौद्योगिकी सीईओ की सूची में भारतीयों का नाम हर देशवासी गौरवान्वित कर रहा है।

इसमें कोई शक नहीं कि सांसद शशि थरूर ने इस नियुक्ति के तुरन्त बाद ट्वीट किया कि जितना हमें भारत पर गर्व है, उतना ही भारत को हम पर गर्व है। साथ ही ट्वीट में उन्होंने वैश्विक प्रौद्योगिकी कम्पनियों का नेतृत्व करने वाले शीर्ष भारतीयों की सूची भी संलग्न की है। ग़ैर-तकनीकी क्षेत्र में कई भारतीय अग्रणी वैश्विक फर्म हैं। इनमें इवान मेनेजेस, डियाजियो के सीईओ; नोवार्टिस के वास नरसिम्हन, बाटा के संदीप कटारिया, डेलॉइट के पुनीत रेनजेन, रेकिट बेंकिज़र के लक्ष्मण नरसिम्हन, जीएपी के सोनिया सिंघल, बकार्डी मार्टिनी के महेश माधवन और परफेटी वैन मेल के समीर सुनेजा आदि हैं। भारतीय सीईओ का उदय इस तथ्य की एक मज़बूत पुष्टि करता है कि दुनिया प्रतिभा को पहचानती है, जिससे सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को शीर्ष पर पहुँचने में मदद मिलती है। भले ही नस्ल, राष्ट्रीयता या पृष्ठभूमि कुछ भी हो। दुनिया भर में वे योग्यता को पुरस्कृत करते हैं। यह भी ज़ाहिर होता है कि सभी के लिए एक अवसर है। यदि आप अपनी कड़ी मेहनत करते हैं और परिणाम देते हैं, तो वे आपको शीर्ष पर ले जाएँगे। नब्बे के दशक तक, कॉरपोरेट क्षेत्र के शीर्ष क्षेत्रों में बहुत कम भारतीय अमेरिकी थे; लेकिन नब्बे के दशक के मध्य में यह सिलसिला बदल चुका था। सन् 2000 के दशक तक काफ़ी अधिक भारतीय अमेरिकी सीईओ के पद पर नियुक्त हो गये थे।

सन् 2001 में जब पेप्सिको ने इंद्रा नूयी को अपना सीईओ नियुक्त किया, तो वह फॉच्र्यून 100 कम्पनी का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय अमेरिकी महिला बनीं। नूयी, जिनका जन्म मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ; ने पेप्सिको का अध्यक्ष और सीईओ बनकर देश को गौरवान्वित किया था। उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में स्नातक की डिग्री और आईआईएम, कोलकाता से स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्राप्त किया। सन् 1978 में नूयी को येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में दाख़िल कराया गया और वह संयुक्त राज्य अमेरिका चली गयीं, जहाँ उन्होंने सन् 1980 में सार्वजनिक और निजी प्रबन्धन में मास्टर डिग्री हासिल की। भारत में अपने करियर की शुरुआत करते हुए नूयी ने जॉनसन एंड जॉनसन में उत्पाद प्रबन्धक और बोस्टन में रणनीति परामर्श समूह में बतौर सलाहकार के पद पर कार्य किया। वह लगातार दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में स्थान पाती रही हैं।

दरअसल सन् 2014 में फोब्र्स की दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में नूयी को 13वें स्थान पर रखा गया था और सन् 2015 में फॉच्र्यून सूची में उन्हें दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का दर्जा हासिल हुआ। फिर सन् 2017 में उन्हें फोब्र्स की व्यापार में 19 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में, फिर दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का दर्जा दिया गया। राजस्व पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि कई भारतीय अमेरिकी सीईओ अमेरिकी कम्पनियों का नेतृत्व करते हैं, जिन्होंने इस स्तर पर संयुक्त राजस्व जुटाया, जो कई देशों के सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक था। यह भारतीय सीईओ के लिए अपने सपनों को जीने का शुभ संकेत है। बैंकिंग एक और स्थान है, जहाँ भारतीयों की नेतृत्व में महत्त्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति है- अक्सर इस संख्या का श्रेय भारतीयों के तेज़ दिमाग़ को दिया जाता है। याद करें विक्रम पंडित को, जो सन् 2007 से 2012 के बीच सिटी के ग्लोबल सीईओ रहे। कुछ साल पहले तक ड्यूश बैंक चलाने वाले अंशु जैन को हटाकर सिंगापुर के डीबीएस बैंक का सीईओ पीयूष गुप्ता को बनाया गया। इसी तरह सुंदर पिचाई को जो गूगल के सीईओ हैं। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था और वह इसी शहर में पले-बढ़े। पिचाई ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-खडग़पुर से बी.टेक की डिग्री हासिल की और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग और मटीरियल साइंस में एमएस और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया है। वह सन् 2015 से गूगल का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने तत्कालीन सीईओ और संस्थापक लैरी पेज का स्थान लिया था।

माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष के रूप में स्टीव बाल्मर की जगह लेने वाले सत्य नडेला का जन्म 19 अगस्त, 1967 को हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने सन् 1988 में मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कर्नाटक से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में स्नातक स्तर तक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने सन् 1990 में अमेरिका के विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की और सन् माइक्रोसिस्टम्स में अपना करियर शुरू किया। सीईओ बनने से पहले उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड एंड एंटरप्राइज ग्रुप के कार्यकारी उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। हैदराबाद में जन्मे नडेला ने सन् 1992 में माइक्रोसॉफ्ट में शामिल होने से पहले सन माइक्रोसिस्टम्स में काम किया। उन्होंने भारत में मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी विश्वविद्यालय से एमएस और शिकागो बूथ स्कूल विश्वविद्यालय से एमबीए किया।

एडोब के सीईओ शांतनु नारायण का जन्म हैदराबाद में हुआ। वह सन् 2007 से एडोब इंक के सीईओ रहते हुए कम्पनी में बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं और इसके रचनात्मक और डिजिटल दस्तावेज़ सॉफ्टवेयर फ्रैंचाइजी को आगे बढ़ा रहे हैं। सन् 1998 में दुनिया भर में उत्पाद विकास के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में एडोब में शामिल होने से पहले नारायण ने सन् 1986 में सिलिकॉन वैली स्टार्ट-अप मेजऱक्स ऑटोमेशन सिस्टम के साथ काम किया और बाद में सन् 1989 से 1995 तक ऐपल में रहे। सन् 1996 में उन्होंने पिक्टरा इंक नाम की कम्पनी की सह-स्थापना की, जिसने इंटरनेट पर डिजिटल फोटो शेयरिंग की अवधारणा का बीड़ा उठाया। नारायण पूर्व अमेरिकी राष्टट्रपति बराक ओबामा के प्रबन्धन सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, उस्मानिया यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक, यूसी बर्कले से एमबीए और बॉलिंग ग्रीन स्टेट यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

अरविंद कृष्ण भी भारतीय मूल के हैं और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के पूर्व छात्र हैं। सन् 1990 के दशक में कम्प्यूटर हार्डवेयर कम्पनी आईबीएम में शामिल हुए। उन्हें जनवरी, 2020 में गिन्नी रोमेट्टी के स्थान पर आईबीएम के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया था। आईबीएम के सूचना प्रबन्धन सॉफ्टवेयर और सिस्टम और प्रौद्योगिकी समूह में महाप्रबन्धक की भूमिका निभाने के बाद वह आईबीएम रिसर्च के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बाद में आईबीएम के क्लाउड और संज्ञानात्मक सॉफ्टवेयर डिवीजन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने। अब वह कृष्णा कम्पनी के निर्माण के लिए अग्रणी हैं और उसका विस्तार कर रहे हैं।

पालो ऑल्टो नेटवर्क के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी निकेश अरोड़ा ने सॉफ्टबैंक कॉर्प के उपाध्यक्ष और सॉफ्टबैंक इंटरनेट एंड मीडिया, इंक. (सिमी) के सीईओ के रूप में भी कार्य किया है। उन्होंने सन् 1989 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वाराणसी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी।