कोरोना का कहर लगातार जारी, व्यापारी और लोग आने-जाने से रहे है डर

कोरोना का कहर लगातार जारी है। कोरोना को लेकर सियासत का बाजार गर्म है। लेकिन इस सब में अगर किसी को नुकसान है तो, वो है जनमानस आम लोग । कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर दिल्ली के लोगों का कहना है कि सरकार की लापरवाही का नजीजा है। जो दिल्ली में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है। आलम ये है कि लोग अब घरों से निकलनें से डर रहे है। एक राज्य से दूसरे राज्य में आने –जाने से डर रहे है, कि कहीं किसी राज्य में कोरोना के कारण लाँक डाउन ना लग जाये तो उनको आने-जाने में दिक्कत हो जाये।

दिल्ली के निवासी सरदार इन्द्रजीत का कहना है कि चाहे दिल्ली सरकार हो या केन्द्र सरकार दोनों ने मिलकर कोरोना को लेकर सियासत ही की है। कोरोना को लेकर कोई ठोस रोकथाम पर काम नहीं किया है, जिसके कारण आज कोरोना का कहर लोगों में तामाम तरह की आशंकायें पैदा कर रहा है। दिल्ली में नवम्बर माह के शुरू से ही कोरोना के मामले बढ़ने लगे थे, तभी अगर केन्द्र और दिल्ली सरकार ने मिलकर कोरोना रोको अभियान चलाया होता तो ये दिन ना देखने पड़ते जो आज देखने पड़ रहे है।

गत एक सप्ताह से 90 अधिक लोगों की कोरोना से मौत होने के कारण दिल्ली के लोग डरे हुये है।  डाँक्टर अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना के नाम पर सही तरीके से सरकार काम नहीं कर रही है ,बल्कि तानाशाही कर रही है जैसे बिना मास्क पर दो हजार रूपये का जुर्माना ठोकना । उनका कहना है कि बाजारों में लोग बिना मास्क लगाये हुये घूमते रहते है, किन –किन पर पुलिस जुर्माना ठोकेगी। इससे बेहत्तर तो ये होता कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करती और लोगों को सुविधाओं के साथ जागरूक करती तो कोरोना का कहर रूकता, वैसे सरकार को सर्दियों में कोरोना को लेकर सर्तकता की जरूरत है। अन्यथा घातक परिणाम सामने आयेगे।

दिल्ली के व्यापारी सुरेश और रघुराम गुप्ता का कहना है कि कोरोना की फिर से वापिसी दिख रही है। इसके कारण अब वे दिल्ली के बाहर मध्य-प्रदेश और गुजरात में अपने व्यापार करने से बच रहे है। क्योंकि उनको डर है कि कहीं कोरोना के कारण लाँकडाउन ना लग जाये जिससे फिर दिक्कत पड़ जाये जो मार्च –अप्रैल में पड़े थे।