अरुणाचल से लापता 5 युवक चीनी सेना ने किबितु में भारत को लौटाए, 14 दिन क्वारंटीन में रखे जाएंगे

चीन ने उन पांच युवकों को भारत को वापस सौंप दिया है, जो पिछले दिनों अचानक लापता हो गए थे। चीन सेना ने इन्हें शनिवार को किबितु में भारत को लौटा दिया। अरुणाचल के कांग्रेस विधायक निनॉन्ग एरिंग ने सबसे पहले इन युवकों के लापता होने का मसला पीएम मोदी से उठाया था। यह सभी पांच युवक भारत लौटने के बाद 14 दिन के क्वारंटीन में रखे जाएंगे।

करीब 10 दिन पहले लापता इन युवकों की पहचान टोच सिंगकम, प्रसात रिंगलिंग, डोंगटू एबिया, तनु बाकेर और गारू डिरी के रूप में की गयी है। पहले यह भी खबर थी कि चीन सेना ने इन युवकों को ‘अगवा’ किया है। हालांकि, अब कहा जा रहा है कि यह युवक ‘गलती’ से सीमा की दूसरी तरफ चले गए थे।

इन युवकों को शनिवार को चीन की सेना पीपल्स लिब्ररेशन आर्मी (पीएलए) ने भारत को सौंप दिया। तेजपुर में रक्षा प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की और कहा – ”सारी औपचारिकता पूरी करने के बाद सभी पांचों युवकों को किबितु में भारतीय सेना के हवाले कर दिया गया है। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत पहले उन्हें 14 दिन तक क्वारंटीन रहना होगा जिसके बाद उन्हें उनके परिवारों को सौंप दिया जाएगा।”

जब इन युवकों के लापता होने की बात कांग्रेस विधायक निनॉन्ग एरिंग ने सोशल मीडिया पर डाली थी और पीएम मोदी को भी इसमें टैग किया था तब शुरु में चीन ने भारतीय युवकों के बारे में जानकारी देने की जगह अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्‍सा बता द‍िया था। यहां तक कि चीनी मीडिया में इन युवकों को ‘जासूस’ बताया जाने लगा था।

एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने बताया था कि चाइनीज पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अरुणाचल प्रदेश से लापता सभी पांच युवकों को शनिवार को भारत को सौंपने के लिए राजी हो गयी है। एक ट्वीट में उन्होंने कहा था – ‘चीनी पीएलए ने भारतीय सेना के समक्ष युवकों की घर वापसी की पुष्टि की है”।

इन पांच लापता आदिवासी युवकों में से एक के भाई ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि ‘चीनी सेना नाचो के पास इंटरनैशनल बॉर्डर (आईबी) से भारतीय सेना के सेरा-7 पेट्रोलिंग इलाके से भारतीय युवकों को उठा ले गई है’। फिर कांग्रेस विधायक ने इसके हवाले से इस मसले को उठाया जिसके बाद जिला प्रशासन अलर्ट हुआ। वहां कुछ लोगों ने कहा कि लापता युवक पोर्टर के रूप में सेना से जुड़े हुए थे जो सामान की ढुलाई करते हैं और इलाके में सड़क और मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से गाइड के रूप में काम करते हैं