बुढ़ापे में तो हड्डियां कमजोर हो ही जाती हैं, पर इस कमजोरी के तात्पर्य क्या हैं? इसका कारण तथा इलाज क्या है? क्या जवानी या अधेड़ उम्र में हड्डियां कमजोर हो सकती हैं? आजकल ‘हर डॉक्टर कह देता है’ कि ‘बोन डेन्सिटी’ की जांच करा लें जिससे पता चल सके कि आपकी हड्डियां कमजोर तो नहीं हो रहीं? हर मरीज को खून में विटामिन-डी का लेवल जांच करने को भी बोल देते हैं साहब- ये विटामिन-डी का क्या चक्कर है? बहुत-सी बातें हैं, बहुत-सी गलतफहमियां हैं, बहुत-सी धंधे वाली बातें हैं और बहुत सी ऐसी सूचनाएं हैं जिनको आप जानें तो बेहतर रहेगा.
मैं अगले एक-दो अंकों तक आपको हड्डी कमजोर होने का फंडा समझाने की कोशिश करूंगा.
इसे चिकित्सा शास्त्र में आस्टियोपोरोसिस कहते हैं. मतलब यह कि शरीर की हड्डियों की शक्ति इतनी कम हो जाए कि हड्डी टूटने का खतरा कई गुना बढ़ जाए. हड्डियां खोखली-सी होने लगें. ढांचा तो खड़ा हो और पलस्तर झर-सा जाए. फिर छोटी-सी चोट से, या कभी-कभी तो पता ही न चले और हड्डी टूट जाए. जी हां, ऐसा भी हो सकता है कि दर्द न हो और आपका मेरुदंड या रीढ़ की कोई हड्डी टूट जाए. आपने शायद कभी ध्यान दिया हो कि मीनोपॉज (रजोनिवृति) के बाद, बुढ़ापे में कई औरतों का कद छोटा हो जाता है. यह बौनापन कैसे? रीढ़ की कई हड्डियां धीरे-धीरे टूटकर पिचक जाती हैं तो रीढ़ छोटी हो जाती है. इससे कद कई इंच तक छोटा हो सकता है. प्राय: आस्टियोपोरोसिस में सबसे ज्यादा फ्रैक्चर रीढ़ की हड्डियों के ही होते हैं, या फिर कूल्हे की हड्डी के. रीढ़ की हड्डी का टूटना इस मामले में थोड़ा अनोखा है कि हड्डी टूटने से वैसा दर्द कभी नहीं भी होता है जैसा हम हड्डी टूटने पर होने की सोचा करते हैं.
हां, टूटी हड्डी से कोई नस दब जाए तब बहुत दर्द होगा, अन्यथा हल्का या तेज कमर दर्द हो सकता है. हो सकता है कि विशेष दर्द हो ही न, लेकिन रीढ़ के टूटने पर दर्द को छोड़कर अन्य बहुत सी और तकलीफें हो सकती हैं. मानो कि छाती की हड्डी यदि टूट जाए तो सांस फूलने की तकलीफ हो सकती है, पेट तथा कमर के हिस्से की हड्डी टूट जाए तो पेट की तकलीफें हो सकती हैं.
यदि आपको गैस से पेट फूला लगे, भूख लगे पर एक रोटी खाकर ही लगे कि बहुत सारा खा लिया, यदि आपको कब्जियत होने लगी हो- और आपकी जांच करके यदि डॉक्टर कहे कि यह सब इसीलिए हो रहा है कि आपकी रीढ़ की हड्डी टूट गई है तो आप विश्वास ही नहीं करेंगे. पर ऐसा हो सकता है फिर कमर टेढ़ी होना, कमर का झुक जाना आदि भी प्राय: रीढ़ की हड्डी कई जगह से टूट जाने के कारण होता है.
और यह सब कुछ रोका जा सकता था! कैसे?
वैसे तो बढ़ती उम्र में यह रोग पुरुष और स्त्री दोनों को हो सकता है परंतु स्त्रियों में यह बहुत आम है. 50 वर्ष से ऊपर की स्त्री को इसका खतरा होता है. और फिर बढ़ता ही जाता है. ऐसा मान लें कि 70-80 वर्ष की उम्र की हर स्त्री को आस्टियोपोरोसिस होता ही है.