सीबीआई सुलझा पाएगी धनबाद में हुई न्यायाधीश की मौत की गुत्थी!

तकनीक और इनाम के भरोसे आगे बढ़ रही सीबीआई के हाथ अब तक ख़ाली, गहन जाँच में लगे अफ़सर

झारखण्ड की राजधानी धनबाद शहर पूरे देश में कोयले के कारण विख्यात है। कोल नगरी से जाना जाने वाला यह शहर कोयले के साथ-साथ कुछ बाहुबलियों की वजह से भी देश में गाहे-ब-गाहे सुर्ख़ियों में रहा है। इन दिनों धनबाद के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन न्यायाधीश उत्तम आनंद की ‘संदेहास्पद मौत’ और ‘पुलिस के मुताबिक हत्या’ के कारण धनबाद एक बार फिर पूरे देश में चर्चा में है।

28 जुलाई, 2021 की सुबह एक ऑटो के टक्कर मारने से एडीजे उत्तम आनंद की मौत हो जाती है। यह मौत उनके परिजनों और पुलिस के द्वारा हत्या क़रार दी गयी है। हादसे की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में क़ैद हो जाती हैं। कुछ ही घंटों में वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है। पुलिस की तफ़्तीश हिट एंड रन से बदलकर हत्या के रूप में शुरू हो जाती है। हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण राज्य सरकार द्वारा आनन-फ़ानन में एसआईटी का गठन किया गया। न्यायाधीश की इस सन्देहास्पद मौत को सर्वोच्च न्यायालय और झारखण्ड उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया है। मामले की जाँच सीबीआई के हवाले कर दिया गया है। सीबीआई के हवाले जाते ही इस मामले के ख़ुलासे की एक उम्मीद जगी है। पर सीबीआई की आरम्भिक जाँच की कार्रवाई से मामले की गुत्थी को फ़िलहाल सुलझाती नहीं दिख रही है। अभी तक सीबीआई के हाथ ख़ाली हैं। सीबीआई के हाथ अभी तक कुछ ख़ास नहीं मिला है, जिससे इसके ख़ुलासे के आसार दिखायी दें। फ़िलहाल सीबीआई ने मामले को सुलझाने के लिए सूचनादाताओं को पाँच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। सीबीआई अब तक पकड़े गये दो आरोपियों के सत्य परीक्षण (ब्रेन मैपिंग) जाँच के लिए अहमदाबाद लेकर गयी है।

हत्या या हादसा?

पहले 28 जुलाई, 2021 की उस मनहूस सुबह पर आते हैं। एडीजे उत्तम आनंद प्रतिदिन की तरह अपने आवास से सुबह सैर के लिए निकलते हैं। सडक़ के किनारे चल रहे न्यायाधीश की एक ऑटो की टक्कर से मौक़े पर मौत हो जाती है। प्रथम दृष्टया यह हिट एंड रन का मामला लगता है। पर सीसीटीवी फुटेज देखने पर न्यायाधीश की सुनियोजित हत्या की ओर इशारा मिलता है। सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि एडीजे उत्तम आनंद सडक़ की बायीं ओर चहलक़दमीकरते जा रहे हैं। पूरी सडक़ ख़ाली पड़ी है। उनके पीछे बीच सडक़ पर चलता हुआ एक ऑटो आता दिखता है। वह ऑटो अचानक बायीं ओर मुड़ जाता है और न्यायाधीश को पीछे से धक्का मारता है। फिर पथ (लेन) बदलकर बीच सडक़ होते हुए निकल जाता है। न्यायाधीश उत्तम आनंद वहीं गिर जाते हैं। सुबह की सैर से घर नहीं लौटने पर घर वाले परेशान हो जाते हैं। उनकी खोजबीन शुरू होती है और अंतत: न्यायाधीश के साथ हुए हादसे का ख़ुलासा होता है। एक न्यायाधीश से मामला सम्बन्धित होने के कारण पुलिस तुरन्त हरकत में आती है। पुलिस आईपीसी की धारा-302 के तहत हत्या का मुक़दमा दर्ज कर मामले की तफ़्तीश शुरू कर देती है। अगले दिन की सुबह ही पुलिस को सफलता मिली। ऑटो बरामद हुआ और हत्या में शामिल ऑटो चालक लखन वर्मा और उसका सहयोगी राहुल वर्मा को गिरफ़्तार कर लिया जाता है।

उधर झारखण्ड सरकार भी एसआईटी का गठन कर देती है। हत्यारे के गिरफ़्तारी के बाद लगा कि मामला सुलझ गया; पर ऐसा नहीं हुआ। एसआईटी और पुलिस को कुछ भी हाथ नहीं लगा। हत्या में सबसे अहम होता है- हत्या का मक़सद। दोनों की गिरफ़्तारी के बाद भी हत्या का मक़सद पता नहीं चला। यहाँ तक कि दोनों आरोपियों ने एडीजे उत्तम आनंद को जानने से भी इन्कार कर दिया। नतीजतन पुलिस के सामने हत्या या हादसा यह पहेली अनसुलझी ही रही।

बयान भी नहीं आया काम

ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसका सहयोगी राहुल वर्मा ने नशे में होने की बात कही। सूत्रों के अनुसार पूछताछ में उन्होंने क़ुबूल किया कि जिस ऑटो को वह चला रहे थे, उससे एडीजी को टक्कर लगी थी। उन्होंने कहा कि एडीजी का हत्या नहीं किया। नशे में उनसे दुर्घटना हो गयी, जिसमें एडीजे साहब की जान चली गयी। इस बीच पुलिस ने ऑटो मालिक का पता कर लिया। ऑटो के मालिक रामदेव लोहार से पुलिस ने पूछताछ शुरू की। सूत्रों के मुताबिक, उसने कहा कि एडीजे की हत्या की तो उसे कोई जानकारी ही नहीं है। क्योंकि उसका ऑटो घटना से तीन दिन पहले ही चोरी हो गया था। वह तीन दिनों से थाने के चक्कर काट-काटकर थक चुका था। तब घटना वाले दिन ऑटो चोरी की रिपोर्ट लिखाने में कामयाब हो सका। यानी मामला फिर वहीं का वहीं पहुँच गया।

अब तक जो बयान सामने आये हैं, उससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ। न ही हत्या का कारण का पता चल पाया और न ही इसके पीछे के मस्टर माइंड का अता-पता चला। क्योंकि एक बात तो तय है कि अगर यह हत्या है, तो कम-से-कम केवल एक ऑटो चालक की इसमें भूमिका नहीं हो सकती है।

अपराधियों पर नकेल