सूर्यनाथ सिंह के नए कहानी संग्रह ‘धधक धुआं धुआं’ के केंद्र में गांव है. इस संग्रह में शामिल छह कहानियों को गांवों पर लिखी गई बेहद सशक्त कहानियां करार दिया जा सकता है. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि उदारीकरण के बाद के दौर में गांवों पर लिखने और बगैर अतीतजीवी हुए कटु यथार्थ लाने वाले कम ही रह गए हैं. ऐसा इसलिए हुआ है कि नए लेखकों के जीवन में ही गांव अनुपस्थित है. ये कहानियां उन गांवों की कहानियां हैं जो तेजी से परिवर्तित होते हमारे समाज में आधे बाहर और आधे भीतर हैं. ये बेहद तेज बदलावों से प्रभावित हो रहे हैं लेकिन उनसे कदमताल करने में कामयाब नहीं हैं.