बड़े ख़तरे का संकेत है यू्क्रेन-रूस का तनाव

दोनों देशों की सीमा पर हथियारबन्द सैनिकों की बड़े पैमाने पर तैनाती के बीच बढ़ रही गहमागहमी

यूके्रन में तनाव बढ़ रहा है। रूस ने उसकी सीमा पर क़रीब एक लाख अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित सैनिक तैनात कर दिये हैं और अमेरिका लगातार रूस को यूक्रेन पर किसी भी तरह की कार्रवाई के ख़िलाफ़ चेता रहा है। अमेरिका अपने मित्र देश यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई करता रहा है। अब अमेरिका ने अपने कई जंगी जहाज़ और हथियार यूक्रेन भेजे हैं। रक्षा जानकार यूक्रेन और रूस के बीच गम्भीर रूप से उभर रहे इस तनाव को दुनिया की शान्ति के लिए बड़े ख़तरे का संकेत मान रहे हैं। वैसे रूस ने बार-बार कहा है कि वह यूक्रेन पर हमले का इरादा नहीं रखता; लेकिन अमेरिका की ख़ुफ़िया रिपोर्ट बताती हैं कि फरवरी में रूस यूक्रेन पर आक्रमण कर सकता है। नाटो ने हाल में कहा था कि उसने पूर्वी यूरोप के इलाक़े में युद्धपोत और लड़ाकू विमानों को तैनात कर अपने दस्तों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल में कहा था कि अमेरिका यूक्रेन में सेना नहीं भेजेगा। हालाँकि जो गम्भीर बात उन्होंने कही वह यह है कि अगर रूस सीमा के पास तैनात किये गये अपने अनुमानित एक लाख सैनिकों के साथ यूक्रेन पर हमला करता है, तो यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक का सबसे बड़ा सैन्य आक्रमण होगा। बाइडेन ने कहा कि अगर रूस ऐसा करता है, तो इससे दुनिया बदल जाएगी। अमेरिकी सेनाएँ यूक्रेन नहीं जाएँगी।

दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच तनाव सन् 2014 में ही शुरू हो गया था, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला करके उसके क्रीमिया प्रायद्वीप पर क़ब्ज़ा जमा लिया था। रूसी सेना का तब यूक्रेन की सेना ने साहस से मुक़ाबला किया था; लेकिन उसे हार का मुँह देखना पड़ी थी। इस हमले के बाद क्रीमिया में रूस समर्थक विद्रोहियों और यू्के्रनी सेना के बीच जारी जंग में अब तक क़रीब 15,000 लोगों की जान जा चुकी है। दोनों के बीच तनाव बना हुआ है जो अब काफ़ी गम्भीर रूख़ अख़्तियार कर गया है।

अमेरिका यूक्रेन की खुले तौर पर मदद कर रहा है। दोनों देशों के बीच इस तनाव के चलते नाटो और पश्चिमी देश सक्रिय हैं। यूक्रेन को युद्ध की किसी भी स्थिति में मज़बूत करने की मंशा से ख़ुद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ब्रिटेन, स्वीडन और तुर्की आदि ने यूक्रेन को हथियारों सप्लाई करने शुरू कर दिये हैं। हालाँकि चुप रूस भी नहीं बैठा है और उसने हाल के दिनों में यूक्रेन की सीमा पर विमानभेदी (एंटी एयरक्राफ्ट) मिसाइल, टैंक, तोप, सशस्त्र वाहन (आम्र्ड व्हीकल) के अलावा क़रीब एक लाख सैनिकों की फ़ौज खड़ी कर दी है। चिन्ता की बात यह है कि रूस और अमेरिका के बीच इस मसले को हल करने और तनाव ख़त्म करने के लिए प्रयास नाकाम साबित हुए हैं।

जनवरी के दूसरे पखबाड़े अमेरिका ने यूक्रेन में अपना दूतावास $खाली कर दिया और  ब्रिटेन ने भी कीव स्थित अपने दूतावास के ज़्यादातर कर्मियों को वापस बुला लिया है। बहुत से रक्षा विशेषज्ञ इन स्थितियों को देखते आशंका जाता रहे हैं कि अगर यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस कोई कार्रवाई करता है, तो इससे पूरे पूर्वी यूरोप में युद्ध के हालत बन जाएँगे।

आक्रामक क्यों है रूस?

रूस यूक्रेन पर यूरोपीय संघ से अपने रिश्तों ख़त्म करने पर ज़ोर दे रहा है। सन् 2014 के बाद से यूक्रेन अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है। रूस इसे अपनी सुरक्षा के लिए ख़तरा मानता है; क्योंकि उसे भय है कि इससे नाटो की उसकी सीमा तक पहुँच हो जाएगी। रूस को लगता है कि यूक्रेन के कारण ही अमेरिकी सेना और उसके सहयोगी देश, जो रूस को पसन्द नहीं करते, रूस की सीमा तक पहुँच बना रहे हैं। हालाँकि जनवरी के आख़िर में पेंटागन के एक प्रवक्ता ने यह साफ़ कर दिया कि रूस को यूक्रेन के नाटो का सदस्य बनने की कोशिशों का विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन के नाटो का सदस्य बनने का समर्थन करता है।