बजट में मध्यम वर्ग को राहत न देने से चुनाव में नुकसान की भाजपा नेताओं को आशंका

विधानसभा चुनाव के नजदीक लोकलुभावन बजट न आने से भाजपा नेताओं, खासकर चुनावी राज्यों वाले नेताओं, को निराशा हुई है। पांच राज्यों में चुनाव के मौके पर बजट होने से उन्हें उम्मीद थी कि आम आदमी को राहत की घोषणा होगी, जिससे पार्टी को चुनाव में लाभ होगा। लेकिन ऐसा नहीं होने से उन्हें लगता है कि चुनाव में आम वर्ग से पार्टी को शायद उतना समर्थन नहीं मिल सके।

बजट में आयकर स्लैब में कोई परिवर्तन न होने से मध्यमवर्ग को बहुत झटका लगा है। उन्हें पक्की उम्मीद थी कि सरकार स्लैब में उन्हें राहत देगी। आयकर स्लैब बढ़ती तो मध्यमवर्ग को बड़ी राहत होती। इसमें बड़ी बात यह भी है कि देश में मध्यमवर्ग आबादी का बड़ा हिस्सा है। ऐसे में उसे राहत मिलती तो पार्टी को कम से कम इस चुनाव में तो लाभ मिल सकता था।

जानकारों का कहना है कि इस बजट से सबसे बड़ी निराशा मध्यमवर्ग को ही हुई है। मध्यमवर्ग हाल के सालों में चुनावों में भाजपा का समर्थन करता रहा है। ऐसे में बजट से उसकी निराशा भाजपा जो नुकसान में ही रखेगी। उनका कहना है कि मध्यमवर्ग को इस बजट से बड़ी राहतों की उम्मीद सरकार से थी।

उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने इस संवाददाता से बातचीत में नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि ‘केंद्र सरकार ने चुनाव को देखकर बजट नहीं रखा यह अच्छी बात है। लेकिन इसके यह मायने कि बजट में कुछ नहीं है। सरकार ने युवाओं को 60 लाख रोजगार की बात कही है। हाँ, जनता जरूर उम्मीद करती है कि उसे ज्यादा से ज्यादा राहत मिले। यदि मध्यमवर्ग को और राहत मिलती तो निश्चित ही इसका फायदा चुनाव में होता।’

किसानों को भी बजट में कोई राहत नहीं मिली है। किसानों ने एक महीना पहले ही  सरकार के भरोसे के बाद अपना एक साल पुराना आंदोलन स्थगित किया था। किसानों के लिए जो घोषणाएं की गयी हैं, उनमें एमएसपी का पैसा सीधे खाते में डालने की बात की गयी है।

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा – ‘आम बजट में मोदी सरकार  ने एमएसपी का बजट पिछले साल के मुकाबले कम कर दिया है। पिछले बजट (2021-22) के बजट में एमएसपी की खरीदी पर बजट 2,48,000 करोड़ रूपये था जिसे 2022-23 के बजट में घटाकर 2,37,000 करोड़ रूपये कर दिया गया है। टिकैत ने कहा – ‘यह भी सिर्फ़ धान और गेहूं की खरीदी के लिए है। इसे लगता है कि सरकार दूसरी फसलों की एमएसपी पर खरीदी करना ही नहीं चाहती।’

टिकैत का यह भी कहना है कि ‘किसानों की आय दोगुनी करने, सम्मान निधि, दो करोड़ रोजगार देने और एमएसपी, खाद-बीज, डीजल और कीटनाशक पर कोई राहत नहीं दी गयी है। उन्होंने कहा कि इससे जाहिर होता है कि सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है।

उत्तर प्रदेश के चुनाव के अलावा पंजाब और उत्तराखंड में भी किसानों का बड़ा रोल रहेगा। ऐसे में बजट में किसानों को राहत नहीं मिलने से भाजपा को चुनावी नुकसान से इंकार नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश की पश्चिम पट्टी में किसानों का वोट हर चुनाव में मायने रखता रहा है। इस बार किसान आंदोलन तो हुआ ही है, लखीमपुर खीरी में 4 किसानों के कथित तौर पर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री के बेटे की कार के नीचे कुचले जाने के बाद किसानों में काफी गुस्सा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता चुनाव में क्या फैसला करती है।