पूर्वानुमानों के ‘चाणक्य’

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4 दिसंबर, 2013. दिल्ली विधानसभा के मतदान का दिन. मतदान निपटते ही एग्जिट पोल जारी करने वाली एजेंसियों ने अपने-अपने आंकड़े प्रस्तुत किए. इन आंकड़ों में मुख्यतः आम आदमी पार्टी को 6 से 16 सीटें तक दी गईं. अगले तीन दिन तक राजनीतिक विश्लेषण इन्हीं आंकड़ों के आधार पर होता रहा. लेकिन आठ दिसंबर को जब अंतिम परिणाम घोषित हुए तो आम आदमी पार्टी के खास प्रदर्शन ने सभी को चौंका दिया. पार्टी ने कुल 28 सीटें हासिल कीं और पूरे भारत में यह चर्चा का केंद्र बन गई.

इन नतीजों ने आम आदमी पार्टी (आप) के साथ ही ‘टुडेज चाणक्य’ की तरफ भी लोगों का ध्यान खींचा. इसकी वजह यह थी कि इन चुनावों में यही एकमात्र ऐसी सर्वे एजेंसी थी जिसने अपने एग्जिट पोल में आप को 31 सीटें दी थीं. नतीजों से पहले सभी राजनीतिक विश्लेषक इन आंकड़ों को भी उतने ही हल्के में ले रहे थे जितना कि खुद आम आदमी पार्टी को. लेकिन नतीजों के बाद  आप के साथ-साथ ‘टुडेज चाणक्य’ भी विजेता की तरह उभरी. आप की कामयाबी ही नहीं बल्कि दिल्ली में कांग्रेस की दुर्गति को भी सबसे पहले इसी एजेंसी ने भांपा था. जहां अन्य एजेंसियों ने कांग्रेस को कम से कम 16 सीटें हासिल करते हुए दिखाया था वहीं ‘टुडेज चाणक्य’ ने कांग्रेस को मात्र 10 सीटें दी थीं. दिल्ली के साथ ही मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए भी इस एजेंसी के एग्जिट पोल ही सबसे सटीक साबित हुए हैं (सारणी देखें).

‘टुडेज चाणक्य’ मूल रूप से ‘आरएनबी रिसर्च’ नाम की कंपनी का एक हिस्सा है. पिछले 15 साल से यह एजेंसी राजनीतिक रुझान जारी कर रही है. ‘टुडेज चाणक्य’ के प्रवक्ता बताते हैं कि हालिया विधान सभा चुनाव समेत एजेंसी ने अब तक कुल 247 चुनावों में एग्जिट पोल जारी किए हैं. इनमें से 243 बार रुझान इस बार की तरह ही सही साबित हुए हैं. ‘टुडेज चाणक्य’ का पिछला रिकॉर्ड भी इसके सटीक रुझानों के बारे में कई संकेत देता है. इसी साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सिर्फ इसी एजेंसी ने  कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हासिल करते हुए दिखाया था. साथ ही 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनावों में भी इसके रुझान बाकियों के मुकाबले सटीक साबित हुए हैं. एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में होने वाले चुनावों में भी ‘टुडेज चाणक्य’ के रुझान नतीजों के ज्यादा करीब रहे हैं. ब्रिटेन में 2010 में हुए चुनावों में एजेंसी के एग्जिट पोल वहां की सर्वे एजेंसियों के मुकाबले ज्यादा सही साबित हुए थे.

चुनावी नतीजों के पूर्वानुमानों के बारे में अपनी इन सटीक भविष्यवाणियों पर  ‘टुडेज चाणक्य’ की टीम के सदस्य बताते हैं, ‘हमारे पास हर क्षेत्र का अलग डेटा होता है. इसमें वोटर की वह जानकारी होती है जो जनगणना से या कहीं और से प्राप्त नहीं हो सकती. हम कई सामाजिक-आर्थिक आधारों पर यह डेटा तैयार करते हैं.’ एजेंसी के फील्ड वर्कर जमीनी स्तर पर हो रही राजनीतिक गतिविधियों पर भी लगातार नजर रखते हैं. पहली बार चुनावों में उतरी आम आदमी पार्टी के बारे में एजेंसी के लोग बताते हैं, ‘हम लगभग पिछले छह महीने से  पार्टी की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे. आप की मतदाताओें पर मजबूत पकड़ बन रही थी.  20 से 24 नवंबर को हमने ओपिनियन पोल किए थे लेकिन परिणाम हमने जारी नहीं किए. वह हमारे आतंरिक प्रयोग के लिए ही थे. तब भी आप काफी मजबूत स्थिति में थी.’

जनता की राय समझने का ‘टुडेज चाणक्य’ का तरीका भी काफी विस्तृत है. एजेंसी के एक सदस्य बताते हैं कि इसके लिए मुख्य रूप से तीन तरीके अपनाए जाते हैं. पहला है पेन ऐंड पेपर. इसमें लोगों को एक फॉर्म भरने को दिया जाता है. इस फॉर्म में लोगों द्वारा दिए गए जवाबों के आधार पर उनका मत समझा जाता है. दूसरा तरीका है फेस टु फेस. इसमें आम लोगों से सीधे बातचीत के आधार पर उनका मत जानने की कोशिश की जाती है. और तीसरा तरीका है मिस्ट्री शॉपिंग. इसमें सर्वे करने वाले लोग जनता को यह एहसास नहीं होने देते कि वे उनका मत जानना चाहते हैं. किसी दुकान पर ग्राहक बन कर या किसी मोहल्ले में स्वयंसेवी संस्था का प्रतिनिधि बनकर ‘टुडेज चाणक्य’ के फील्ड वर्कर जनता से बात करते हैं और अप्रत्यक्ष सवालों के जरिए उनकी राय समझने की कोशिश करते हैं.

हालिया चुनावों में ‘टुडेज चाणक्य’ ने दिल्ली में 4,595, मध्य प्रदेश में 13,890, छत्तीसगढ़ में 6,520 और राजस्थान में कुल 11,280 लोगों को अपने रुझानों का आधार बनाया था. लाखों मतदाताओं की तुलना में यह संख्या रुझान जारी करने के लिए काफी कम लगती है. लेकिन ‘टुडेज चाणक्य’ के सीईओ वीके बजाज इसे स्पष्ट करते हैं, ‘भारत में लोग संख्या पर बहुत जोर देते हैं. रिसर्च में गुणवत्ता ज्यादा मायने रखती है. हम जिन आधारों पर अपना डेटा तैयार करते हैं उनमें संख्या से ज्यादा गुणवत्ता पर ही ध्यान दिया जाता है.’

कारण चाहे जो भी हों लेकिन आंकड़े तो यही बताते हैं कि आज के इस चाणक्य की हर नीति सही साबित हो रही है.