नवादा के निहितार्थ

वैसे तो बिहार में घटनाओं के घटित होने का सिलसिला पिछले डेढ़-दो माह से अनवरत जारी है लेकिन पिछले एक सप्ताह के अंदर हुई घटनाओं ने पूरी राजनीति को दूसरी दिशा में मोड़कर रख दिया है. एक घटना नवादा की और दूसरी पश्चिम चंपारण के जिला मुख्यालय बेतिया की. दोनों जगहों पर मामला एक जैसा. दो समुदाय के लोगों का आपस में टकरा जाना. बेतिया में अखाड़ा जुलूस पर पत्थरबाजी करने के बाद दोनों ओर से ईंट-रोड़े चलाने, गाली देने, कुछ गाड़ियों को आग के हवाले करने, एक-दूसरे को देख लेने की धमकी देने और पुलिस-प्रशासन को कुछ देर तक दुबक जाने को मजबूर करने के बाद बात आयी-गयी होने की राह पर है. नवादा ने दो हत्याओं, दो-तीन दिनों के कर्फ्यू, दर्जन भर दुकानों की लूट और आगजनी-फायरिंग में कुछ के घायल होने के रूप में कीमत चुकायी है. दोनों शहर अब भी भय के माहौल में है, नवादा में भय की परछाईं ज्यादा गहरी है. ईद के दिन मामला एक ढाबा मालिक और कुछ नवयुवकों के बीच पैसे के लेन-देन को लेकर गाली-गलौज, हाथापाई और तोड़-फोड़ से शुरू हुई थी और अब बात नेताओं की मिलीभगत तक पहुंच गयी.

पिछली घटनाओं में जाने के पहले इस बार ईद के दिन से मचे बवाल की वजह को ही जानते हैं. बताया जा रहा है कि ईद के दिन पांच लड़के नवादा के बाबा ढाबा में पहुंचे. खाने-पीने के बाद होटल मालिक ने पैसे मांगे. नशे में धुत लड़के पैसे देने को राजी नहीं हुए. दोनों ओर से बकझक हुई, हाथापाई हुई. लड़के वहां से भाग गये. अगले दिन 20-25  लड़के होटल पर फिर पहुंचे. तोड़फोड़-मारपीट की शुरुआत हुई. ढाबा के सामने गोंदापुर नामक एक बस्ती है. वहां के लोग होटलवाले के पक्ष में आ गये. फिर जमकर मारपीट हुई. लपट नवादा शहर तक पहुंची. रोड जाम  हुआ. नारेबाजी शुरु हुई. तीन दुकानों में आग लगी, एक दुकान की लूट हुई. पुलिस ने गोली चलायी. कुंदन रजक, रामवृक्ष, मनोज, अतुल नामक चार नौजवानों को गोली लगी.

थोड़ी देर के लिए नवादा में कफ्र्यू का एलान हुआ. फिर कफ्र्यू खत्म. कुंदन की हालत गंभीर थी. उसे पटना लाया गया, नहीं बचाया जा सका. अगले दिन शाम छह बजे कुंदन की लाश नवादा पहुंची. नवादा फिर से उसी आग में समाने लगा. थोड़ा बदलाव हुआ. इस बार कहीं-कहीं नीतीश कुमार मुर्दाबाद- नरेंद्र मोदी जिंदाबाद के नारे भी लगने लगे. अगले दिन तक खबर फैली कि मो. इकबाल नामक युवक की हत्या हो गयी. नवादा फिर से कफ्र्यू के आगोश में गया. पुलिस हवाई फायरिंग कर लोगों को चैकन्ना करती रही. हवाई फायरिंग में ही वकील श्रीकांत सिंह को गोली लग गयी. लेकिन कर्फ्यू होने की वजह से कोई सड़क पर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सका. खबरें उड़ती रही, अफवाहें टकराती रही. बयान भी आते रहे. सरकार की ओर से सीआईडी जांच के आदेश दिये गये. सूत्र बता रहे हैं कि दो नेताओं की मिलीभगत इसमें हो सकती है.

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