
जब भी बहनें आतीं ससुराल से
वे दो चार दिनों तक सोती रहतीं
उलांकते हुए उनके कान में जोर की
कूंक मारते
एक बार तो लंगड़ी भी खेली हमने उन
पर
वे हमें मारने दौड़ीं
हम भागकर पिता से चिपक गए
नींद से भरी वे
फिर सो गईं वहीं पिता के पास…
जब भी बहनें आतीं ससुराल से
वे दो चार दिनों तक सोती रहतीं
उलांकते हुए उनके कान में जोर की
कूंक मारते
एक बार तो लंगड़ी भी खेली हमने उन
पर
वे हमें मारने दौड़ीं
हम भागकर पिता से चिपक गए
नींद से भरी वे
फिर सो गईं वहीं पिता के पास…