
‘आज केवल आदमी होने से काम नहीं चलता है.’
‘दद्दा, मुझे लगता है आदमी होना ही बड़ी बात है.’
‘अगर आदमी ही होना बड़ी बात होती तो, आदमी को मयस्सर नहीं है इंसा होना, गालिब ने फिर क्यों कहा!’
‘आदमी और इंसान एक ही बात है!’
‘तुम भ्रमित हो! फर्क है!’
‘अगर फर्क होगा भी तो रत्ती भर!’
‘नहीं, जमीन आसमान का फर्क है!’
‘चलिए तो एक पल को मान लेते है कि दोनों एक ही है’
‘तो फिर मैं कहना चाहूंगा कि मात्र आदमी होने से काम नहीं चलता.’
‘अच्छा एक बात बताओ!’
‘पूछिए!’
‘पुरुष कितने प्रकार के होते हैं!’
‘तीन प्रकार के’
‘कौन-कौन से!’
‘प्रथम पुरुष, उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष’
‘और विकास पुरुष, लौह पुरुष भूल गए!’
‘अरे!’
‘अब बताओ, पुत्र कितने प्रकार के होते है!’
‘दो… जैविक पुत्र, दत्तक पुत्र’
‘एक और होता है!’
‘कौन सा.’
‘मानस पुत्र’
‘यह कैसा पुत्र!’
‘जो आपका जैविक पुत्र न हो, मगर आपकी विचारधारा से एकमत हो!’
‘दद्दा एक पुत्र और होता है!’
‘कौन-सा!’
‘धरती पुत्र!’