युवा कवि यतीन्द्र मिश्र के नए कविता संग्रह ‘विभास’ को नया कहने की कई वजहें हैं. एक तो यह अभी-अभी प्रकाशित हुआ है, लेकिन उससे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस संग्रह में यतीन्द्र ने कबीर बानी और कबीरी पदों के प्रचलित संदर्भों से अलग मायने पेश किए हैं.
गुलज़ार, अशोक वाजपेयी, लिंडा हेस, पुरुषोत्तम अग्रवाल, प्रह्लाद टिपान्या, मनीष पुष्कले की भूमिकाओं से इस पुस्तक की कविताओं को आधार प्रदान करने की कोशिश की गई है. ‘मां तो अब है नहीं’, ‘अपनी पुकार से उज्जवल’, ‘21 वीं और 15 वीं शताब्दी के कवि मिलते हैं’, ‘कवि का कवि से संवाद’, ‘खूब रंगी झकझोर’, ‘दरार की देहरी पर’ शीर्षकों के गद्य से यतीन्द्र की कविताओं की प्रकृति पर प्रकाश पड़ता है.