उन्होंने बताया कि इस साल गत 22 अगस्त को उच्चतम न्यायालय द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिये जाने के बाद देश में तीन तलाक के 68 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें उत्तर प्रदेश अव्वल है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा पाबंदी लगाये जाने के बावजूद देश में तीन तलाक के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने ‘मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज बिल’ का मसविदा तैयार किया है। इसे विभिन्न राज्य सरकारों के पास विचार के लिये भेजा गया है। इस मसविदे को केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाले अन्तरमंत्रालयी समूह ने तैयार किया है।
प्रस्तावित कानून केवल तलाक-ए-बिदअत की स्थिति में ही लागू होगा और इससे पीड़ित महिला अपने तथा अपने बच्चों के भरणपोषण के लिये गुजारा भत्ता पाने के लिये मजिस्ट्रेट का दरवाजा खटखटा सकेगी।
प्रस्तावित विधेयक के तहत ईमेल, एसएमएस तथा व्हाट्सएप समेत किसी भी तरीके से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी माना गया है।