उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में हिंसा का बोलबाला

किसी भी चुनाव में धाँधली का आरोप लगना अब आम बात हो चली है। लेकिन कहा जाता है कि जहाँ आग होगी, धुआँ वहीं उठेगा। उत्तर प्रदेश में पहले ज़िला पंचायत चुनावों में काफ़ी कोशिशों के बावजूद मिली हार के बाद अब सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने निकाय चुनाव (ज़िला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनावों) में बड़ी जीत हासिल की है। उसने ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में 75 ज़िलों में से 67 पर क़ब्ज़ा कर लिया है। भाजपा के 21 प्रत्याशी पहले ही निर्विरोध जीत गये थे और 03 जुलाई को 53 पदों पर मतदान के बाद आये परिणाम में भाजपा ने 46 सीटों पर जीत हासिल कर ली। वहीं ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में उसने 825 में से 648 सीटें जीती हैं।
कहा जा रहा है कि पंचायत चुनाव के इस सेमीफाइनल में भाजपा ने बाज़ी मारकर यह बता दिया है कि उसे उत्तर प्रदेश की सत्ता से हटाना विपक्षियों के लिए अब बहुत मुश्किल हो गया है। लेकिन वह प्रदेश में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में 300 प्लस के जिस आँकड़े को छूना चाहती है, वह इतना आसान भी नहीं है। इधर ज़िला पंचायत चुनावों में अव्वल रही समाजवादी पार्टी (सपा) को ज़िला पंचायत अध्यक्ष के केवल पाँच सीटें ही मिली हैं। जबकि रालोद को एक, जनसत्ता दल को एक और एक सीट निर्दलीय को मिली है। वहीं समाजवादी पार्टी को 98, कांग्रेस को पाँच और निर्दलीयों को 96 सीटों पर जीत हासिल हुई है।

मतदान के दौरान झड़प, मारपीट
उत्तर प्रदेश में अब चुनाव हों और झड़प या दंगे न हों, अब यह मुमकिन नहीं रह गया है। प्रदेश में जब पंचायत चुनाव सम्पन्न हो गये थे, तब विजेताओं के नाम घोषित होने के समय पूरे प्रदेश में कई जगह दंगे हुए थे, जिनमें कई लोगों की मौत भी हो गयी थी। अब ज़िला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में सत्ताधारी पार्टी पर धाँधली का आरोप लगाने वाले समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मारपीट का आरोप है। इस मारपीट में पुलिस का शामिल होना प्रदेश की क़ानून व्यवस्था के लिए शर्मिंदगी की बात है। पुलिस पर समाजवादी पार्टी के लोगों पर सीधे लाठीचार्ज करने का आरोप लगा है। झगड़े की शुरुआत समाजवादी पार्टी के लोगों द्वारा प्रयागराज में हुए चुनाव में सत्ताधारी योगी सरकार पर धाँधली करने के आरोप से हुई। समाजवादी पार्टी के लोगों का आरोप है कि प्रयागराज में भाजपा डिवाइस के ज़रिये ग़लत मतदान (वोटिंग) करके जीती है। इसके बाद सपाइयों ने जमकर प्रदर्शन किया। प्रयागराज के आनंद हॉस्पिटल चौराहे पर धरना दिया और सरकार विरोधी नारे लगाये; जिसके चलते पुलिस और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई और पुलिस ने सपाइयों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिससे कई पार्टी के कई लोग घायल हो गये। हालाँकि पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के बीच सपाइयों ने भी पुलिस पर पत्थरबाज़ी की। इसके अलावा लखनऊ, मथुरा, सोनभद्र, हापुड़ और कुछ अन्य ज़िलों में भी ग़लत मतदान को लेकर झपड़ें हुईं।
इधर ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में उत्तर प्रदेश में कई जगह हिंसा देखने को मिली। सूत्रों की मानें, तो इटावा में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिले के एसपी संग बदसुलूकी की। इस मामले में भाजपा नेता विमल भदौरिया सहित 100 से अधिक अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ आईपीसी की धारा-78/21, 147,148,149, 332, 353, 307, 269, 270, 188 के तहत, सात आपराधिक अधिनियम-51/57, आपदा प्रबन्धन अधिनियम व तीन महामारी अधिनियम के तहत, बलवा एक्ट, धारा-144 के उल्लंघन की धारा-188, आपदा प्रबंधन अधिनियम, सरकारी काम में बाधा डालने समेत कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। वहीं उन्नाव के मियागंज ब्लॉक प्रमुख चुनाव की मतगणना के दौरान भाजपा समर्थित प्रत्याशी के कुछ लोगों ने एक पत्रकार को पीटना शुरू कर दिया। भीड़ को क़ाबू करने के बजाय सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कैमरामैन को ही पीट डाला। हालाँकि बाद में उसे अपने हाथ से मिठाई खिलायी, लेकिन यह तो कोई बात नहीं हुई। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिस पर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। लखीमपुर खीरी में इससे भी अभद्र घटना हुई। यहाँ कुछ लोगों ने एक महिला प्रस्तावक के कपड़े फाड़ दिए और हाथापाई की। हालाँकि इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्षेत्राधिकारी और थाना प्रभारी को बर्खास्त करने का निर्देश दिया है।

धाँधली का आरोप