मैंने पिछली बार यह चर्चा शुरू की थी कि ‘अच्छे डॉक्टर’ कौन होते हैं. अच्छे डॉक्टर की जो फिलॉसफी हम मानते हैं वही डॉक्टरी की ABC भी है- अर्थात डॉक्टर की Availability (क्या वह सहजता से तथा नियमित रूप से उपलब्ध रहता है), उसका Behaviour (डॉक्टर किस तरह आपको सुनता- गुनता है, उसका व्यवहार मरीजों से कैसा है आदि) तथा Craft (उसे अपने विषय का ज्ञान है भी कि नहीं, या कि मात्र हमेशा उपलब्ध रह कर और मीठी-मीठी बातें करके ‘अच्छा डॉक्टर’ बना हुआ है).
हम अच्छे डॉक्टर की कुंडली में तनिक और गहरा उतरें. तो हम अच्छे डॉक्टर में ये बातें भी देखें- क्या वह चिकित्सा विज्ञान की सीमाएं स्वीकार करता है? कहीं वह बड़े-बड़े दावे तो नहीं करता? वह आपका ऑपरेशन. एंजियोप्लास्टी या अन्य कोई भी इलाज करता है तो कहीं यह दावा तो नहीं करता कि इससे सब कुछ, ‘सौ प्रतिशत’ ठीक हो जाएगा? वह ऑपरेशन के विफल होने की संभावनाओं पर भी खुलकर बताता है कि नहीं? वह बीमारी के ठीक होने की संभावनाओं, और न ठीक होने के आपके डर को ठीक से स्पष्ट करता है कि नहीं? एक डॉक्टर में यह सब जानना, देखना, समझना बेहद जरूरी है.
चिकित्सा विज्ञान लाख दावे कर ले, मीडिया के जरिये यह मायावी भ्रम तैयार कर डाले कि अब तो शरीर का हर विकार ठीक करने की क्षमता डॉक्टरों के हाथ में आ गई है, पर वास्तव में ऐसा है नहीं. अच्छा डॉक्टर कभी भी हवाई दावे नहीं करेगा. वह बताएगा कि ‘बाईपास सर्जरी’ से आपकी उम्र नहीं बढ़ने वाली, एंजियोप्लास्टी (सफल एंजियोप्लास्टी) भी कुछ महीनों बाद काम करना बंद कर सकती है और ऐसा ही अनेक अन्य दवाओं तथा सर्जरी आदि का हाल है. अच्छा डॉक्टर ऊलजुलूल दावे नहीं करता.
क्या वह आपको आशा देता है?
चिकित्सा विज्ञान के विख्यात पूर्वज डा. विलियम ऑसलर का वह कथन उन डाक्टरों को चेतावनीनुमा सलाह है जो खुद को भगवान मानने लगते हैं. वे कहते हैं, ‘जज बनकर फांसी की टोपी मत पहनाओ- किसी भी मरीज से आशा छुड़ाने का अधिकार आपको नहीं है.’ मरीज अंतिम सांसें भी गिन रहा हो तब भी, डॉक्टर के प्रयास न केवल उसे बचाने के होने चाहिए, उसे आशा और सांत्वना का संदेश भी मिलना चाहिए.
एक अच्छा डॉक्टर उसी हद तक आशावादी होता है जितना स्वयं मरीज. वह मरीज से बीमारी की गंभीरता छिपाए बिना भी आशा का संदेश देता है. कैसी भी गंभीर बीमारी हो, वह मरीज में भरोसा तथा आशा जगाता है. वह कभी हाथ खड़े नहीं करता. वह मरीज देखने आता है तो मरीज और उसके रिश्तेदार भरोसे से भर जाते हैं. वह कभी झूठी बातें, दावे नहीं करता. झूठी आशाएं न जगाकर भी आशा जगाता है. वह मरीज को मानवीय, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक धरातलों पर समझने-समझाने की कोशिश करता है.
क्या वह मरीज की निजता का सम्मान करता है?