मैं मूल रूप से अनेकल तालुक के बोम्मासांद्रा गांव का रहने वाला हूं. मेरा परिवार किसानी का काम करता था. मेरी पढ़ाई-लिखाई कन्नड़ माध्यम के एक स्कूल में हुई. सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग करने के बावजूद कन्नड़ साहित्य हमेशा मेरी जिंदगी से जुड़ा रहा. अमेरिका में रहने के बावजूद मैं अपनी जड़ों से जुड़ा रहा. सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में नौकरी मिलने के बाद 2000 में मैं अमेरिका चला गया था. कैलीफोर्निया में रहने के बावजूद 2003 तक मेरी कन्नड़ भाषा के लेखक के तौर पर थोड़ी पहचान बन गई थी.
2010 में मैं अमेरिका से वापस आया. मकसद था कर्नाटक के समाज और राजनीति में कोई सार्थक दखल देना. शुरुआत करने के बाद हमने भू अधिसूचना रद्द करने के एक मामले में भाजपा नेता बीएस येद्दियुरप्पा के खिलाफ एक मामला दायर किया. हमने विक्रांत कर्नाटक नाम का एक प्रकाशन भी शुरू किया. मैं बैंगलोर में स्थानीय निकाय का चुनाव भी लड़ चुका हूं. मुझे लगा कि आप उन लोगों के लिए सबसे बढ़िया विकल्प है जो जाति और समुदाय की राजनीति से तंग आ चुके हैं.
कर्नाटक में चुनावों के नतीजे लगभग पूरी तरह से जाति के समीकरणों पर निर्भर करते हैं. हमारा यकीन है कि हम एक नई परंपरा शुरू करेंगे. कांग्रेस हो या भाजपा या फिर जद (से), इन पार्टियों में सभी लोग या तो सांप्रदायिक हैं या जातिवादी या फिर भ्रष्ट. अगर आप 2012 के विधानसभा चुनावों के नतीजे देखें तो वोक्कालिगा समुदाय ने जद (से) का समर्थन नहीं किया जैसी संभावना जताई जा रही थी. उधर, लिंगायत समुदाय ने येद्दियुरप्पा को समर्थन नहीं दिया जिनकी पार्टी केजेपी सिर्फ छह सीटें जीत सकीं. इसका मतलब यह है कि लोग जाति को लेकर उतने आग्रही नहीं है जिनता राजनीतिक पार्टियां हमें बताती हैं.
दूसरी पार्टियों की तरह हमारे पास न तो पैसे की ताकत है न एसी गाड़ियां. हम दानदाताओं पर निर्भर हैं. निश्चित रूप से यह थकाने वाला अनुभव है लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं. भूलिए नहीं कि मैं एक गांव से ताल्लुक रखता हूं. मेरे निर्वाचन क्षेत्र में किसानों की बहुत सी दिक्कतें हैं. भूजल, रेशम की खेती की बेहतरी और किसानों को न्यूनतम समर्थन कुछ ऐसे अहम मुद्दे हैं जिन पर मैं ध्यान केंद्रित कर रहा हूं. राष्ट्रीय राजनीति में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है और उसका असर यहां भी देखा जा सकता है. आप एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनने जा रही है जिसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती.
(जी विष्णु से बातचीत पर आधारित)