पीएम आवास योजना में सब्सिडी का फ़ज़ीर्वाड़ा!

– प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अमीर लोग ले रहे मकान का पैसा ?

इंट्रो-

जून, 2015 में केंद्र सरकार ने देश के उन लोगों के लिए पक्के मकान देने की योजना बनायी, जिनके पास घर नहीं हैं। इस योजना का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना रखा गया। लेकिन दूसरी योजनाओं की तरह ही इस योजना में भी भ्रष्टाचारियों और दलालों ने सेंध लगा दी। इस बार ‘तहलका’ एसआईटी ने मोदी सरकार की इस प्रमुख आवास योजना के तहत सब्सिडी प्राप्त करने के लिए अयोग्य लाभार्थियों द्वारा धोखाधड़ी के व्यापक उपयोग का ख़ुलासा किया है। तहलका एसआईटी की यह विशेष रिपोर्ट :-

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‘मैं प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) शहरी के तहत सब्सिडी के लिए अयोग्य था। इसलिए मैंने फ़र्ज़ी आयकर रिटर्न (आईटीआर) समेत फ़र्ज़ी दस्तावेज़ का इस्तेमाल किया और यह दावा करते हुए झूठी जानकारी दी कि मेरे पास भारत में कहीं भी कोई पक्का घर नहीं है। परिणामस्वरूप मैंने आगरा में ख़रीदे गये घर के लिए नक़ली सब्सिडी प्राप्त की।‘

आगरा के एक रियल एस्टेट एजेंट राजीव वर्मा ने इस प्रकार की डींगें हाँकीं। हालाँकि राजीव यहीं नहीं रुका। जब ‘तहलका’ के रिपोर्टर ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर लेने में रुचि रखने वाले एक काल्पनिक ग्राहक के रूप में सम्पर्क किया, तो राजीव वर्मा ने रिपोर्टर को उसी तरह की ग़लत जानकारी प्रस्तुत करने की सलाह दी, जो उसने योजना के तहत धोखाधड़ी से सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ख़ुद की थी।

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का एक प्रमुख मिशन है; जिसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। यह योजना 25 जून, 2015 को लॉन्च की गयी थी। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), निम्न आय समूह (एलआईजी) और झुग्गीवासियों सहित मध्य आय समूह (एमआईजी) के लोगों के बीच शहरी आवास की कमी को दूर करना था, ताकि सभी घर-विहीन लोगों के लिए पक्का घर देना सुनिश्चित किया जा सके। वर्ष 2022 तक पात्र शहरी परिवारों को मकान मिलना सुनिश्चित किया गया था, राष्ट्र की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर। पीएमएवाई-शहरी के कार्यान्वयन का समय अब ​​31 दिसंबर, 2024 तक बढ़ा दिया गया है।

इस मंत्रालय के अधीन दो प्रकार की पीएमएवाई योजनाएँ हैं- प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी। हालाँकि योजना के लिए आवेदन करने से पहले किसी को यह विचार करना चाहिए कि क्या वह सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पात्र है? किसी व्यक्ति की आय सीमा के आधार पर वह ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग), एलआईजी (निम्न आय समूह) या एमआईजी (मध्यम आय वर्ग) श्रेणियों में आएगा। यदि परिवार की वार्षिक आय एमआईजी समूह की आय सीमा, जो कि 18 लाख रुपये प्रति वर्ष है; से अधिक है, तो वह योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए अयोग्य होगा। पीएमएवाई योजना के तहत सरकारी मदद केवल ख़रीदी गयी नयी सम्पत्ति के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा उक्त क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के लिए आवेदन करते समय आवेदक के पास कोई अन्य पक्की सम्पत्ति नहीं होनी चाहिए, जिसमें व्यक्ति आवास योजना के तहत अपने गृह ऋण पर सब्सिडी का लाभ उठाता है।

पीएमएवाई योजना की शुरुआत के बाद से देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से (इस योजना में) भ्रष्टाचार की ख़बरें सामने आयी हैं। सन् 2021 में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने पीएमएवाई में कथित धोखाधड़ी के लिए दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया। सीबीआई ने डीएचएफएल के प्रमोटरों- कपिल और धीरज वधावन पर 14,000 करोड़ रुपये से अधिक के फ़र्ज़ी और काल्पनिक गृह ऋण खाते बनाने और भारत सरकार से ब्याज, सब्सिडी में 1,880 करोड़ रुपये का लाभ उठाने का आरोप लगाया। डीएचएफएल सिर्फ़ एक उदाहरण भर है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से भी पीएमएवाई में इसी तरह की गड़बड़ी की घटनाएँ सामने आयी हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना के आसपास धोखाधड़ी की कथित मामलों के बीच ‘तहलका’ एसआईटी ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रमुख आवास योजना में कथित धोखाधड़ी को उजागर करने के लिए एक गोपनीय पड़ताल अभियान शुरू करने का निर्णय लिया। इसकी जाँच के लिए ‘तहलका’ रिपोर्टर ने आगरा का दौरा किया, जहाँ उनकी मुलाक़ात एक रियल एस्टेट एजेंट राजीव वर्मा से हुई। रिपोर्टर ने राजीव वर्मा के सामने ख़ुद को एक संभावित ख़रीदार के रूप में पेश करते हुए उससे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर ख़रीदने में अपनी रुचि दिखायी, विशेष रूप से क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के माध्यम से; जो होम लोन पर सरकारी सब्सिडी प्रदान करती है। राजीव रिपोर्टर को एक रेडी-टू-मूव-इन हाउसिंग प्रोजेक्ट पर ले गया, जिसके बारे में उसका दावा था कि इस मकान को ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी जैसी योजनाओं के ज़रिये घरों की माँग को पूरा करने के लिए बनी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया है। राजीव वर्मा के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के 3 बीएचके का रेट 24 लाख रुपये था।

परियोजना का दौरा करते समय राजीव ने रिपोर्टर के ख़ुफ़िया कैमरे के सामने क़ुबूल किया कि उसने ख़ुद सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रधानमंत्री आवास योजना के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया था। पहले से ही एक पक्का घर होने और आयकर रिटर्न अधिकतम सीमा से अधिक होने के बावजूद उसने आगरा में ख़रीदे गये घर के लिए सब्सिडी प्राप्त करने की बात स्वीकार की। राजीव वर्मा ने बताया कि उसने अपनी मौज़ूदा सम्पत्ति के बारे में जानकारी छिपाकर एक मनगढ़ंत आयकर रिटर्न जमा किया था। राजीव ने स्वीकार किया कि वह पीएमएवाई सब्सिडी के लिए अयोग्य था और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), निम्न आय समूह (एलआईजी) या मध्यम आय समूह (एमआईजी) के भीतर किसी भी श्रेणी से सम्बन्धित नहीं था। हालाँकि फिर भी उसने एक फ़र्ज़ी हलफ़नामा प्रस्तुत किया, जिसमें दावा किया गया कि उसके या उसकी पत्नी के पास भारत में कहीं भी कोई पक्का घर नहीं है। इस तरह कुछ समय (लगभग एक-डेढ़ साल) में उसने पीएमएवाई योजना के तहत सब्सिडी प्राप्त की।

रिपोर्टर : प्रधानमंत्री आवास योजना की सब्सिडी आ गयी?

वर्मा : जी।

रिपोर्टर : कितने टाइम में आ गयी?

वर्मा : एक साल में…।

रिपोर्टर : और किस बैंक से लिया था आपने?

वर्मा : मेरा था एक्सिस से।

रिपोर्टर : जबकि आप एलिजिबिल (योग्य) नहीं हो?

वर्मा : हाँ; नहीं हैं।

रिपोर्टर : आप नहीं आते उस कैटेगरी में, …आपने कैसे ले लिया?

वर्मा : वो 100 रुपीज का एफिडेविट बनता है, स्टाम्प पेपर, …एक तो आईटीआर बहुत हल्के दिखाने पड़ते हैं।

रिपोर्टर : क्या दिखाने पड़ते हैं?

वर्मा : आटीआर बहुत हल्के दिखाने पड़ते हैं। एकदम मिनिमम, …आटीआर कम दिखाने पड़ते हैं। …और जो है इनकम भी बहुत कम दिखानी पड़ती है। …ये दिखाना पड़ता है कि हमारे और हमारी मैडम के नाम पर पूरे हिन्दुस्तान में कोई घर नहीं है।

रिपोर्टर : हमारे या हमारी मैडम के नाम पर?

वर्मा : हमारे या मैडम के नाम पर।

रिपोर्टर : अच्छा, आपका परिवार में किसी के नाम पर भी पक्का मकान न हो?

वर्मा : पक्का मकान न हो।

रिपोर्टर : हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में…?

वर्मा : जी; बस यही एफिडेविट में लिखा हो।

राजीव वर्मा ने दावा किया कि आधिकारिक घोषणाओं के बावजूद अधिकारी शायद ही कभी योजना के लिए आवेदकों द्वारा की गयी जानकारियों / घोषणाओं को सत्यापित करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें एक साल पहले सब्सिडी के रूप में 2.15 लाख रुपये मिले थे। लेकिन किसी ने कभी यह नहीं देखा कि उनके पास पहले से ही पक्का घर है या उनका आयकर रिटर्न असली है।

वर्मा : वैसे ये हिन्दुस्तान है ना! इतनी कोई इन्क्वायरी करता नहीं है। …हमारे पास तो कोई इन्क्वायरी आयी नहीं। मैंने एप्लीकेशन सबमिट कर दी। …मेरे पास ऑटोमैटिक एक साल बाद सब्सिडी आ गयी।

रिपोर्टर : कितने साल पहले आये पैसे आपके पास?

वर्मा : एक साल हुआ है अभी।

रिपोर्टर : 2 लाख 15 हज़ार?

वर्मा : हाँ।

रिपोर्टर : अप्लाई कितने के लिए किया था आपने?

वर्मा : अप्लाई नहीं किया था। …ये तो उनका मापदण्ड है। 2.15 लाख से लेकर 2.75 लाख तक आपको भेज देंगे।

ग़लत जानकारी देकर पीएमएवाई के तहत सब्सिडी प्राप्त करने की बात क़ुबूल करने के बाद राजीव ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को भी ऐसा ही करने की सलाह दी। उसने उसे पीएमएवाई के माध्यम से ख़रीदे गये घर पर सब्सिडी के लिए आवेदन करते समय एक झूठा हलफ़नामा देने का सुझाव दिया, जिसमें कहा गया हो कि उसके पास भारत में कोई पक्का घर नहीं है।

रिपोर्टर : मान लो, मैं ये मकान लेता हूँ। इसके लिए मैं सब्सिडी में प्रधानमंत्री आवास योजना में अप्लाई करूँ, बैंक से लोन लेकर; …मेरे पास तो पहले से मकान है नोएडा में?

वर्मा : आपके नाम पर?

रिपोर्टर : मेरे नाम पर भी है, मैडम के भी। दोनों ज्वाइंट हैं उसमें…।

वर्मा : फिर तो सब कह सकते हैं; …एक तरीक़े से जुआ ही है। वैसे इन्क्वायरी होती नहीं है, और भी लोगों ने लिये हैं। आज तक तो हुई नहीं है। एक बंदा भी चेक करने नहीं आया कि हमारे नाम पर या मैडम के नाम पर प्रॉपर्टी है कि नहीं।

रिपोर्टर : तो आप ये कह रहे हो, मैं अप्लाई कर दूँ?

वर्मा : अप्लाई कर दीजिए। …अप्लाई करने में कोई बुराई नहीं है।

रिपोर्टर : और एफिडेविट (हलफ़नामा)?

वर्मा : एफिडेविट बना दीजिए कि हम दोनों के नाम पर कोई मकान नहीं है।

रिपोर्टर : लेकिन मकान तो है नोएडा में, फिर?

वर्मा : कौन चेक करने आ रहा है? …हिन्दुस्तान में इतना टाइम है किसी के पास?

रिपोर्टर : मान लो, चेक हो गया तो?

वर्मा : तो ज़्यादा-से-ज़्यादा सब्सिडी नहीं आएगी, …और क्या आप मत दीजिए सब्सिडी।

रिपोर्टर : मतलब ऐसे कर रहे हैं लोग?

वर्मा : हाँ।

रिपोर्टर : मतलब जिनके पास घर है, वो भी प्रधानमंत्री आवास योजना में सब्सिडी ले रहे हैं?

वर्मा : जी-जी।

रिपोर्टर : और बिलो प्रॉपर्टी लाइन (ग़रीबी रेखा से नीचे) में भी नहीं आते वो लोग, सब अमीर हैं?

वर्मा : हाँ-हाँ सर! ये इन्वेस्टर हैं सब। सब अमीर हैं।

रिपोर्टर : इन्होंने सबने बुक करवाया हुआ है, …प्रधानमंत्री आवास योजना में?

वर्मा : सबने, …ये हिन्दुस्तान है सर! हिन्दुस्तान में हर चीज़ हो सकती है।

राजीव ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को पीएमएवाई में सब्सिडी के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए इस तथ्य को छिपाने की सलाह दी कि उनके पास पहले से ही नोएडा में एक पक्का घर है। फिर वह उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद में एक घर होने के बावजूद सब्सिडी प्राप्त करने का अपना उदाहरण देता है। उसने कहा कि बहुत-से लोग अपने सम्बन्धित बैंकों में शपथ-पत्र जमा करके ग़लत तरीक़े से सब्सिडी प्राप्त कर रहे हैं; यह झूठा दावा करते हुए कि उनके पास भारत में कोई अन्य पक्का घर नहीं है।

वर्मा : एक्चुअल (असल) में किसी भी प्लॉट पर या फ्लैट पे सब्सिडी मिलती है। आगे वाले फ्लैट्स में भी xxxxx वालों की उसमें भी सब्सिडी है। हर एक में सब्सिडी मिलती है।

रिपोर्टर : सरकार की तरफ़ से?

वर्मा : जी।

रिपोर्टर : उसकी कंडीशन होती है ना कुछ?

वर्मा : जी, वही कि आपके पास पक्का घर नहीं होना चाहिए।

रिपोर्टर : हमारा तो एक पक्का घर है नोएडा में।

वर्मा : वो छुपा सकते हैं सर! वो है नोएडा में, यहाँ आगरा की बात है। …चल जाएगा। कोई दिक़्क़त नहीं है।

रिपोर्टर : उसको कैसे छुपाएँगे आप बताओ?

वर्मा : वो आपसे एफिडेविट ही माँगते हैं 100 रुपीज का।

रिपोर्टर : कौन माँगते हैं एफिडेविट 100 का?

वर्मा : बैंक वाले।

रिपोर्टर : जिससे हम लोन लेंगे?

वर्मा : जी।

रिपोर्टर : वो क्या माँगते हैं एफिडेविट?

वर्मा : एफिडेविट माँगते हैं अप्लाई करने के लिए, …100 रुपीज का कि हमारे नाम पर कोई पक्का मकान नहीं है। बस और कुछ नहीं होता; सर्वे भी नहीं।

रिपोर्टर : आपने भी लिया हुआ है आगरा में ऐसा?

वर्मा : जी! कोई भी, आप ले सकते हैं। जब तक मोदी जी की गवर्नमेंट है, सब पर मिलेगी सब्सिडी।

रिपोर्टर : आपने ली हुई है सब्सिडी?

वर्मा : जी!

रिपोर्टर : आपका तो ऑलरेडी पक्का मकान था?

वर्मा : वो शिकोहाबाद में था। मैं अब आगरा में रहने लगा हूँ। एफिडेविट बन गया था। मेरी सब्सिडी आ भी गयी। …2 लाख 39 हज़ार आयी थी मेरी।

रिपोर्टर : 2.39 लाख्स?

वर्मा : जी।

राजीव ने ख़ुलासा किया कि कोई भी सरकारी अधिकारी यह सत्यापित करने के लिए शिकोहाबाद नहीं गया कि उसके पास पहले से ही पक्का घर है या नहीं? उन्होंने टिप्पणी की कि नौकरशाही प्रक्रियाओं में कोई भी तथ्यों को सत्यापित करने के लिए समय नहीं लेता है, और उसने ‘तहलका’ के रिपोर्टर को नोएडा में पक्के घर के मालिक होने के लिए पकड़े जाने के डर के बिना पीएमएवाई सब्सिडी के लिए आवेदन करने की सलाह दी। उसने उल्लेख किया कि उसके कई दोस्तों ने पीएमएवाई के तहत धोखेबाज़ी के तरीक़ों से सब्सिडी हड़प ली है। उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि इसके लिए बैंक को केवल 100 रुपये की लागत वाला एक साधारण हलफ़नामा जमा करना होगा, जिसमें कहा जाएगा कि किसी के पास भारत में कोई पक्का घर नहीं है।

रिपोर्टर : वहाँ शिकोहाबाद में सर्वे करने नहीं आया कोई? …वहाँ पक्का मकान है आपका?

वर्मा : नहीं, कोई नहीं आया। …वहाँ पक्का मकान है। इतना टाइम कहाँ है सरकार के पास कि चेक करे।

रिपोर्टर : सही कह रहे हैं आप। मैं क्या करूँ? ले लूँ सब्सिडी मैं? …कहीं बाद में दिक़्क़त न हो?

वर्मा : नहीं-नहीं, आप ले लीजिए; आँख बन्द करके ले लीजिए।

रिपोर्टर : ऐसा न हो बाद में सर्वे हो जाए?

वर्मा : सर्वे होता ही नहीं है सर! और भी लोगों ने लिये हैं। हमारे यार-दोस्तों ने भी लिये हैं।

रिपोर्टर : सबके पक्के मकान हैं पहले से?

वर्मा : और क्या; भाई! एफिडेविट ही बनवाएँगे एक, और क्या; …आप भर देना एफिडेविट। आपको आएस (रुपये) 100 का तहसील से लाना पड़ेगा स्टाम्प पेपर। और एक एप्लीकेशन लिखकर सबमिट कर देना बैंक को।

रिपोर्टर : ये तो आगरा में सब पर मिल जाएगी सब्सिडी?

वर्मा : जी सर! लगभग 40 लाख से ऊपर नहीं होना चाहिए बस।

रिपोर्टर : मतलब मकान की क़ीमत 40 लाख से ऊपर न हो?

वर्मा : जी!

रिपोर्टर : 30-35 लाख पर मिल जाएगी?

वर्मा : हाँ।

रिपोर्टर : उस पर सब्सिडी मिल जाएगी 2-2.5 लाख तक की?

वर्मा : जी सर!

रिपोर्टर : अगर आप लोन लेंगे, तो सरकार सब्सिडी वापस कर देगी एक साल के बाद?

वर्मा : एक साल, आठ महीना, नौ महीना। जितना प्रोसेस में होता है, …टाइम होता है। हज़ारों लोग भरते हैं ना!

रिपोर्टर : मतलब उतना पैसा अकाउंट में आ जाएगा?

वर्मा : जी! ऑटोमेटिक आ जाता है।

राजीव वर्मा के बाद ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर की मुलाक़ात बिहार के कटिहार ज़िले के इमरान हुसैन (बदला हुआ नाम) से हुई। पेशे से दर्जी इमरान ने क़ुबूल किया कि उसने पीएमएवाई के तहत अपने घर में शौचालय बनाने के लिए सरकार से 10,000 रुपये हासिल करने के लिए अपने ग्राम प्रधान को 3,000 रुपये की रिश्वत दी थी।

रिपोर्टर : आप घर बनवा रहे थे प्रधानमंत्री आवास योजना में?

इमरान : नहीं-नहीं; वो तो शौचालय के लिए बोला था। शौचालय के लिए 10 हज़ार रुपीज मिला था।

रिपोर्टर : अच्छा; शौचालय के 10,000 रुपीज मिले आपको?

इमरान : हाँ; दो शौचालय बनवाये थे। एक का पैसा मिला है।

रिपोर्टर : अच्छा आपने शौचालय बनवाया उसका 10 के (हज़ार) मिला सरकार से?

इमरान : हाँ।

रिपोर्टर : आराम से मिल गया था या कोई दिक़्क़त आयी?

इमरान : दिक़्क़त? …पूरी-पूरी दिक़्क़त आयी। 10,000 तो मुझको मिला; लेकिन उसके लिए 2-3 हज़ार तो मुझको देना पड़ा ना!

रिपोर्टर : 3,000 रुपीज रिश्वत के देने पड़े आपको?

इमरान : और क्या; ऐसे ही थोड़ी ही मिल जाता है। कोई भी चीज़ ऐसे नहीं मिलती है।

रिपोर्टर : फिर किसको दिये आपने रिश्वत के 3,000 रुपीज?

इमरान : वार्ड मेंबर को।

रिपोर्टर : वार्ड मेंबर को?

इमरान : हाँ; गाँव के मुखिया को।

इमरान के मुताबिक, रिश्वत के तौर पर दिये गये कुल 3,000 रुपये में से उसने शुरुआत में 1,000 रुपये पहले ही दे दिये थे। 6-8 महीने के बाद उसे पीएमएवाई के तहत अपने घर में शौचालय बनाने के लिए अपनी पत्नी के खाते में 10,000 रुपये मिले।

रिपोर्टर : कितना टाइम हो गया आपको पैसे मिले हुए, …शौचालय

के लिए?

इमरान : कोई तीन साल हो गये। …तीन साल या ढाई साल या दो साल, ऐसा ही हो गया।

रिपोर्टर : और 3,000 रिश्वत के दिये आपने?

इमरान : हाँ; लगभग 3,000; …2,000 बाद में, पहले 1,000 ख़र्चे बीच में।

रिपोर्टर : पहले पैसा मिला या रिश्वत दी आपने?

इमरान : पहले पैसा देना होता है। …बाद में मिलता है।

रिपोर्टर : पहले रिश्वत देनी होती है?

इमरान : हाँ।

रिपोर्टर : रिश्वत देने के कितने दिन बाद पैसा मिल गया आपको?

इमरान : पहले 6-8 महीने कहता रहा, …फिर बोला इतना पैसा दो; एकाउंट में पैसा डलवा देते हैं। …तो फिर पैसा दिया, फिर अकाउंट में डलवाया।

रिपोर्टर : तो रिश्वत के पैसे अकाउंट में डलवाये?

इमरान : रिश्वत के पैसे तो हाथ में दिये; पर वो जो मिलता है पैसा, वो अकाउंट में आता है; …किसी लेडीज के नाम से। अकाउंट में आया था।

रिपोर्टर : किसके? …आपने अपनी घरवाली के नाम पर लिया होगा?

इमरान : हाँ; लेडीज को ही मिलता है वहाँ पर।

रिपोर्टर : अच्छा; जेन्ट्स को नहीं मिलता?

इमरान : न।

रिपोर्टर : तो आपने अपनी घरवाली के नाम पर लिया होगा?

इमरान : हाँ।

रिपोर्टर : तो बन गया, …आपने टॉयलेट बनवा लिया?

इमरान : हाँ; मैंने बनवा लिया टॉयलेट।

रिपोर्टर : कितना ख़र्चा आया?

इमरान : हमारा लगभग 90,000 का ख़र्चा हुआ।

रिपोर्टर : 90,000…! …और 10,000 सरकार से मिला!

प्रधानमंत्री आवास योजना के भीतर कथित गड़बड़ियों की ‘तहलका’ एसआईटी की पड़ताल से एक परेशान करने वाली बात सामने आयी है कि बड़ी संख्या में अयोग्य लाभार्थी फ़र्ज़ी तरीक़ों से योजना का फ़ायदा उठा रहे हैं।

लोग मौज़ूदा पक्के मकानों के स्वामित्व को छिपाने के लिए झूठे आयकर रिटर्न तैयार कर रहे हैं और दस्तावेज़ में हेराफेरी कर रहे हैं, जिससे वे उन सम्पत्तियों के लिए सब्सिडी प्राप्त कर सकें, जिनके लिए वे अयोग्य हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी चिन्ताजनक है, जहाँ निवासियों को कथित तौर पर अपने उचित धन तक पहुँचने के लिए रिश्वत देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

इस चिन्ताजनक स्थिति को ठीक करने के लिए तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है। शोषण को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि पीएमएवाई योजना का लाभ योग्य लाभार्थियों तक पहुँचे, इसके लिए सख़्त निगरानी के उपायों और मज़बूत पारदर्शी तंत्र को लागू करने की ज़रूरत है।