गुड़गांव में रहने वाले सुमित नैन उन 34 मजदूरों में से एक हैं जो आज भी जेल में बंद हैं. सुमित के ससुर चतर सिंह उनकी एक झलक देखने और उनसे मिलने के लिए गुड़गांव जिला एवं सत्र न्यायालय में पेशी के लिए पुलिस हिरासत में आए हैं. दामाद की एक झलक देखने के बाद चतर सिंह इस मामले में मजदूरों की तरफ से पैरवी कर रहे वकील से बात कर रह रहे हैं. वो उनसे अनुरोध कर रहे हैं कि उनके दामाद को भी जमानत दिला दी जाए.
चतर सिंह किसान हैं. 2011 में उन्होंने अपनी बेटी की शादी सुमित के साथ की थी. तब उन्हें लगा था कि उन्होंने अपनी बेटी के लिए सही लड़का खोज लिया है लेकिन शादी के एक साल बाद ही हालात बदल गए. सुमित गिरफ्तार होकर जेल चले गए और चतर सिंह की बेटी अपने पिता के यहा वापस आ गई. सुमित की गिरफ्तारी के बाद से चतर सिंह की पूरी दिनचर्या ही बदल गई है. पहले वो दिन-दिनभर खेतों में और मंडियों में रहा करते थे लेकिन अब उनके दिन अदालतों और वकीलों के इर्द-गिर्द घूमते हुए बीत रहे हैं. दिनभर चक्कर लगाने के बाद जब वो शाम में अपने घर पहुंचते हैं तो बेटी की उदास आंखें यही पूछती हैं कि सुमित को जमानत कब मिलेगी? कब वो जेल से बाहर आएगा या आएगा भी कि नहीं?
सुमित के ससुर चतर सिंह से हमने बात करने की दो बार कोशिश की लेकिन वो बात नहीं कर पा रहे थे. अपनी बात रखते-रखते वो बार-बार रोने लगते.
हमने उनसे कुछ जानना चाहा तो वो बोले, ‘एक्के बात के बार-बार पूछ रहे से… देख्यो नहीं हमारी हालत. चले जाओ यहां से… हमें कुछ न बताना… देख ना रहा हमारी हालत… चले जा यहां से… हमें न करनी बात…’ चतर सिंह हमें चले जाने को कहते हैं लेकिन हमारे जाने का इंतजार किए बिना, खुद ही हमसे दूर चले जाते हैं. हम उन्हें जाते हुए देख रहे हैं. वो हमसे थोड़ी दूर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठे गए हैं. घुटनों के सहारे जमीन पर बैठे चतर सिंह के दोनों हाथ उनके िसर पर हैं. वो हमारी तरफ देख भी नहीं रहे हैं. कई कोशिशों के बाद हम में इतनी हिम्मत शेष नहीं है कि फिर से चतर सिंह के करीब जाएं और उनसे पूछें कि जब उनका दामाद जेल चला गया तो इससे उनकी जिंदगी किस-किस तरह से बदली.