महाकाल, राजा विक्रमादित्य और कालिदास के नगर उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ महापर्व शुरू हो चुका है. उज्जयनी और अवंतिका के नाम से मशहूर क्षिप्रा तट पर स्थित धर्म और आस्था की इस नगरी में आयोजित सिंहस्थ में शामिल होने के लिए संन्यासियों के साथ गृहस्थों का भी रेला लगा हुआ है. रामघाट पर स्नान-ध्यान और पूजा-पाठ का सिलसिला अनवरत जारी है. 22 अप्रैल को पहले शाही स्नान पर अखाड़ों ने भव्य पेशवाई निकाली. इस सिंहस्थ में पहली बार किन्नरों की भी पेशवाई निकली. सिंहस्थ उज्जैन में लगने वाला पवित्र कुंभ स्नान पर्व है. 12 वर्षों के अंतराल के बाद यह पर्व तब मनाया जाता है जब बृहस्पति, सिंह राशि पर स्थित रहता है. क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान की विधियां चैत्र माह की पूर्णिमा से शुरू होकर पूरे महीने चलते हुए वैशाख पूर्णिमा के अंतिम शाही स्नान (21 मई) के साथ पूरी होंगी. सिंहस्थ के कुछ आध्यात्मिक क्षण.