क्या रोहित ने हैदराबाद विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से मिली प्रताड़ना के बारे में कभी आप लोगों को बताया था?
रोहित का स्वभाव दूसरों को दोष देने का नहीं था. दोष देने की जगह रोहित गलत के खिलाफ लड़ते थे. इस तरह की लड़ाई लड़ने के लिए रोहित काफी समझदार थे. अपनी मौत के कुछ दिन पहले उन्होंने यह बताया था कि यूनिवर्सिटी में कुछ झमेला चल रहा है, लेकिन साफ-साफ कुछ नहीं बताया. हमने इसे गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि हमें यह लगता था कि वह सब कुछ संभाल सकते हैं. कुछ गलत हो रहा है, यह भांपने में हम नाकाम रहे.
राजनीतिक दलों से आपको कैसी प्रतिक्रिया मिली?
नेता आते हैं और आश्वासन देते हैं कि सरकार के खिलाफ लड़ाई में वे मेरे परिवार का साथ देंगे. जो सत्ता में हैं, वे भी घर आते हैं उसके बाद कोई संपर्क नहीं करता. कुछ चिंता जताते हैं और फोन करते हैं. मुझे नहीं पता इस सबका क्या नतीजा निकलेगा लेकिन हम अपनी लड़ाई नहीं छोड़ेंगे.
इस मुद्दे के राजनीतिकरण के बारे में क्या महसूस करते हैं?
नेता इसे राजनीति का मुद्दा बना रहे हैं लेकिन यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है. हम सच्चाई और सामाजिक बराबरी के लिए लड़ रहे हैं. समाज में बराबरी नहीं है, इसीलिए रोहित की जान गई. उसने काफी संघर्ष किया था. कुछ लोग कह रहे हैं कि हम दलित हैं ही नहीं, लेकिन हम दलित के रूप में ही बड़े हुए और अब तक जिए हैं. खुद रोहित की लड़ाई भी दलितों के लिए थी और दुर्भाग्य से आखिरकार वह दलितों के लिए लड़ते हुए मारा गया. यह सब ठीक नहीं है. सब जानते हैं कि आखिर हुआ क्या था, लेकिन कुछ लोग मुद्दे को भटकाना चाहते हैं. इन लोगों के पास ताकत है, इसलिए सच्चाई को बाहर लाने के लिए हमें इनके खिलाफ लड़ना ही होगा.
विरोध प्रदर्शन से आप कौन सी मांगें रख रहे हैं?
हमारी मांग है कि मेरे भाई की मौत में जिस व्यक्ति का हाथ है, उसे कड़ी सजा दी जाए. वाइस चांसलर से हमारा सवाल है कि जब रोहित को सस्पेंड किया गया तो उस समय हमें सूचित क्यों नहीं किया गया? एक शिक्षक के रूप में वाइस चांसलर का यह कर्तव्य है कि वह अपने विद्यार्थियों का ध्यान रखे. उन्हें अपने विद्यार्थियों से पिता की तरह व्यवहार करना चाहिए, लेकिन उन्होंने रोहित के निलंबन के बारे में हमें सूचित ही नहीं किया. मेरी मां की मुख्य मांग यही है कि वाइस चांसलर अपना पद छोड़ दें.
आप अपनी मां के साथ हैदराबाद विश्वविद्यालय क्यों आ गए?
हमने अपनी जान को खतरा महसूस किया इसलिए हैदराबाद विश्वविद्यालय आ गए. हम छात्रों के साथ रहें, तो हो सकता है कि वे हमारी सुरक्षा कर सकें. अब हमें किसी और पर विश्वास नहीं है. मेरे भाई काफी मजबूत इंसान थे, वे कायर नहीं थे जो आत्महत्या करते. ऐसे मजबूत इंसान को आत्महत्या करनी पड़ी. अगर मेरे भाई को जान देने को मजबूर कर दिया गया तो हम क्या चीज हैं! अगर मेरी मां को कुछ हो गया तो मैं दुनिया में अकेला रह जाऊंगा.