आम आदमी पार्टी से हटाए जाने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और प्रो. आनंद कुमार समेत अन्य लोगों ने पिछले साल 14 अप्रैल, 2015 को स्वराज अभियान नाम का संगठन बनाया था. हाल ही में संगठन के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन में राजनीतिक दल बनाए जाने की घोषण की गई. प्रो. आनंद कुमार स्वराज अभियान के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए हैं. संगठन ने दो अक्टूबर तक राजनीतिक दल बनाने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अजीत झा की अगुआई में एक छह सदस्यीय समिति भी बनाई है. पार्टी के नाम की घोषणा गांधी जयंती के मौके पर की जाएगी.
स्वराज अभियान के गठन के समय तीन मुख्य मापदंड तय किए गए थे. पहला- लोकतांत्रिक ढंग से संगठन का निर्माण. दूसरा- देश के गंभीर मुद्दों पर जन आंदोलन चलाना और तीसरा- पारदर्शिता व जवाबदेही को सुनिश्चित करना. इस मौके पर प्रो. कुमार ने कहा, ‘स्वराज अभियान शुरू से आंतरिक लोकतंत्र, पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर प्रतिबद्ध रहा है. आंतरिक लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए 100 से ज्यादा जिलों व कम से कम छह राज्यों में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी थी. अब तक 114 जिलों व सात राज्यों में आंतरिक चुनाव के जरिए संगठन निर्माण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.’
दिल्ली में हुए राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के सम्मेलन में ‘राजनीतिक दल निर्माण के प्रस्ताव’ पर गहन विचार-विमर्श हुआ. प्रतिनिधियों के बीच सामूहिक चर्चा हुई, जिसके बाद प्रस्ताव पर सदस्यों की ओर से विधिवत वोटिंग भी हुई. प्रतिनिधि सम्मेलन में मीडिया की मौजूदगी में नतीजों की घोषणा हुई, जिसमें 92.5 फीसद के बहुमत ने राजनीतिक दल के प्रस्ताव पर मुहर लगाई. राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की ओर से कुल 433 वोट पड़े, जिसमें 405 लोग प्रस्ताव से सहमत, 26 असहमत और दो वोट अमान्य पाए गए. राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की सहमति के बाद स्वराज अभियान ने राजनीति की राह पर आगे बढ़ने का फैसला किया. इस अधिवेशन में राजनीतिक दल निर्माण की घोषणा के साथ देश में वैकल्पिक राजनीति की स्थापना के लिए आवाज बुलंद की गई. कहा गया कि पार्टी बनने के बाद भी स्वराज अभियान कायम रहेगा और इसके बैनर तले जन आंदोलन चलते रहेंगे. संगठन ने दावा किया कि पार्टी में लोकतंत्र, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी.
स्वराज अभियान नाम से आंदोलन चला रहे इन नेताओं का पार्टी बनाकर चुनाव में उतरना आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका है
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए स्वराज अभियान ने स्वेच्छा से खुद को सूचना के अधिकार के तहत रखा है और जन सूचना अधिकारी भी नियुक्त किया है. संगठन में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तीन सदस्यीय लोकपाल नियुक्त किया गया है. प्रतिनिधि सम्मेलन में प्रशांत भूषण ने स्वराज अभियान के लोकपाल के तौर पर कामिनी जायसवाल, सुमित चक्रवर्ती और नूर मोहम्मद का परिचय कराया. संगठन में शिकायत निवारण समितियां भी बनाई गई हैं. अधिवेशन को संबोधित करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा, ‘हमारे लिए पार्टी बनाने का मतलब है कि देश में सच्चाई और ईमानदारी की ऊर्जा जहां कहीं भी है, उसे जोड़ना. हम सच्चाई और ईमानदारी की ऊर्जा को संगठित करके वैकल्पिक राजनीति की एक मिसाल पेश करेंगे. स्वराज अभियान ने देश का पहला ऐसा राजनीतिक-सामाजिक संगठन होने का दावा किया है जिसने इतने बड़े पैमाने पर आतंरिक संगठनात्मक चुनाव संपन्न कराए हैं.’
ये दावे स्वराज अभियान की तरफ से किए जा रहे हैं, लेकिन हम आपको 2016 से कुछ साल पीछे ले जा रहे हैं जब अन्ना हजारे के नेतृत्व में लोकपाल आंदोलन के माध्यम से पूरे देश में एक बड़ी क्रांति आई. उसके दो परिणाम हुए. पहला- केंद्र में शासन करने वाली भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस रसातल में जा पहुंची. दूसरा- सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से जुड़े बहुत-से सहयोगियों ने आम आदमी पार्टी नाम से एक नए राजनीतिक दल का गठन किया. इस पार्टी ने अब दिल्ली में सरकार बनाई है. हालांकि अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि अरविंद केजरीवाल, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण समेत उनके दूसरे सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाए. इसके गठन की आधिकारिक घोषणा 26 नवंबर, 2012 को भारतीय संविधान अधिनियम की 63वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली के जंतर मंतर पर की गई थी. उस दौरान भी आज के स्वराज अभियान से जुड़े नेताओं ने आम आदमी पार्टी को सबसे अलग बताया था. हालांकि पार्टी के गठन के तीन साल के भीतर ही इन तमाम नेताओं का आम आदमी पार्टी से मोहभंग हो गया. इस दौरान एक बात गौर करने वाली है कि योगेंद्र यादव को आम आदमी पार्टी का ‘चाणक्य’ माना गया था.
इसके बाद केजरीवाल से नाराज योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर 14 अप्रैल, 2015 को स्वराज अभियान नामक संगठन बनाया और धीरे-धीरे उसे देश के सैकड़ों जिलों तक फैलाया. आम आदमी पार्टी से निकाले जाने के बाद ‘स्वराज अभियान संगठन’ के लिए इन नेताओं ने जमीनी स्तर पर काम किया. हालांकि इन नेताओं की व्यक्तिगत काबिलियत अपनी जगह है, लेकिन राजनीति के जानकार कुछ सवाल उठाते हैं. स्वराज अभियान राजनीति में आखिर ‘नया’ क्या करेगा? अभी जो धरातल पर काम करने की बात हो रही है उसकी चर्चा राजनीति के रंग में रंगने के बाद कौन करेगा? क्या दो अक्टूबर को गठित होने वाली नई पार्टी में प्रशांत भूषण या योगेंद्र यादव तानाशाही की स्थिति में नहीं होंगे? फिलहाल जो शुरुआती बातें सामने आई हैं, उसके अनुसार इस पार्टी का उद्देश्य भी आम आदमी पार्टी की तरह सच्चाई और ईमानदारी के साथ ‘आम आदमी’ की सेवा करना और किसान-मजदूर का हितों का ख्याल रखना है.
अभी स्वराज अभियान से जुड़े नेताओं का कहना है कि राजनीतिक पार्टी बनने के बाद वे बड़बोलापन नहीं करेंगे और झूठ व नौटंकी से दूर रहेंगे. उनका इशारा शायद दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की चल रही ‘नौटंकी’ ओर रहा होगा. हालांकि अरविंद की नौटंकी में भला उनका हिस्सा क्यों न माना जाए? जब अरविंद आंदोलन के दौर से ही अन्ना हजारे, किरण बेदी समेत दूसरी हस्तियों को अपनी महत्वाकांक्षा के लिए किनारे लगा रहे थे तब इन नेताओं ने विरोध क्यों नहीं किया?
इसके साथ ही एक सवाल पार्टी के चेहरे को भी लेकर है. इस पार्टी में योगेंद्र यादव एक लोकप्रिय व्यक्ति जरूर हैं, मगर उनकी पहचान भी सीमित प्रभाव वाली ही है. आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर वे हार का भी सामना कर चुके हैं. इसके अलावा ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने राजनीतिक पार्टी बनाने में थोड़ी जल्दबाजी कर दी है. अभी तक स्वराज अभियान संगठन की वेबसाइट ठीक ढंग से काम नहीं कर रही है. इस संगठन के फेसबुक पेज पर 24 हजार से भी कम लाइक हैं और ट्विटर पर मात्र 13 हजार फाॅलोवर हैं. ऐसा नहीं है कि वेबसाइट, फेसबुक या ट्विटर से ही राजनीति होती है लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि ये इसमें अहम भूमिका निभाते हैं.
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी से अलग होकर स्वराज अभियान नाम से आंदोलन चला रहे इन नेताओं का पार्टी बनाकर चुनाव में उतरना आप के लिए बड़ा झटका है. आप नेता अगले साल होने वाले पंजाब चुनाव की तैयारी में जुटे हैं. इस नई पार्टी की भी पंजाब में चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है. प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव दोनों पंजाब में खूब मेहनत कर रहे हैं. इसके अलावा आप से निकाले गए दोनों सांसद स्वराज अभियान के संपर्क में हैं. जिस कार्यक्रम में नई पार्टी बनाने का एेलान किया गया, उसमें भी आप से निकाले गए सांसद धर्मवीर गांधी मौजूद थे. बताया जा रहा है कि दूसरे सांसद हरिंदर खालसा भी योगेंद्र और प्रशांत भूषण के संपर्क में हैं. सूत्रों का कहना है पार्टी इन दोनों का चेहरा आगे कर सकती है.
हालांकि वोट के लिहाज से पार्टी की क्या स्थिति रहेगी, इस बारे में स्वराज अभियान के नेता कुछ नहीं कह रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि अवधारणा के स्तर पर वे आप को बहुत नुकसान पहुंचाएंगे. आप के बारे में ईमानदार होने की जो धारणा बनी है, उसे खत्म करने का अभियान चलेगा. वहीं जानकारों का कहना है कि स्वराज पार्टी का गठन शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी गठबंधन के लिए अच्छी खबर है. पार्टी के गठन के बाद सत्ता विरोधी मतों में विभाजन होगा. हालांकि स्वराज पार्टी के गठन से जमीन पर किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं जताई जा रही है.
फिलहाल स्वराज अभियान के बारे में उसकी वेबसाइट पर कहा गया है, ‘स्वराज अभियान शुभ को सच में बदलने की एक साझी कोशिश है. यह एक सुंदर देश और दुनिया के सपने को हमारी और आने वाली पीढ़ियों के लिए साकार करने का आंदोलन है. यह एक सिलसिला है जो बाहर की दुनिया को बदलने के साथ-साथ खुद अपने भीतर बदलाव के लिए भी तैयार है. यह राजनीति को युगधर्म मानकर स्वराज की ओर चला एक काफिला है.’ उम्मीद है कि नए राजनीतिक दल के गठन के बाद भी स्वराज अभियान से जुड़े नेता इन बातों को याद रखेंगे.