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देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या ४७ हुई, निजामुद्दीन स्थित मरकज पर कार्रवाई की तैयारी

कोरोना से देश में मरने वालों की संख्या ४७ पहुंच गयी है। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज (केंद्र) में घोर लापरवाही का मामला सामने आने के बाद उसपर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। देश में लॉक डाउन के बावजूद वहां सात देशों के करीब पांच सौ जमाती छिपे बैठे थे। वहां  पकड़े गए २०० जमातियों में से २४  को कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हुई थी। यहाँ से काफी लोग दूसरी जगह गए हैं।
अभी तक की जानकारी के मुताबिक मरकज में १४-१५ मार्च के बाद से विदेशी जमातियों की भीड़ जुटने लगी थी जबकि वहां १६ मार्च से तीन दिन का तब्लीगियों का सम्मेलन हुआ जिसमें देश भर से तब्लीगी और इस्लामी विद्वान और जानकार जुटे थे।  माना जा रहा है कि यह संख्या हजारों में थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक जब २४ मार्च की रात को देशव्यापी लॉकडाउन के वक्त मरकज में चीन, यमन, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, सऊदी अरब और इंग्लैंड के करीब १५०० जमाती मौजूद थे।
जानकारी के बाद लॉकडाउन के बाद समूह बनाकर ये तमाम विदेशी वहां से समूहों में निकल लिए। बाद में जब कुछ लोगों बीमार होने की खबर सामने आई तो स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने साझा अभियान चलाकर रविवार को तड़के साढ़े तीन बजे वहां  छापा मारा। उस समय वहां करीब ५०० जमाती मौजूद थे, जिनमें से २०० के करीब पकड़ लिए गए जबकि बाकी भाग गए।
दिलचस्प यह है कि अभी तक मरकज के खिलाफ कोइ कार्रवाई नहीं  की गयी है।
पकड़े गए २०० जमातियों को कोरोना संदिग्ध मानकर सोमवार को दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। पकड़े गए २०० जमातियों में से २४ को  कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हुई थी। यह संख्या बढ़ सकती है।
इस मामले में दिल्ली सरकार ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। हालांकि, अभी तक कोइ कार्रवाई नहीं हुई है।
भारत में अब कोरोना से मरने वालों की संख्या ४७ हो गयी है जबकि १२१३ लोग संक्रमण से ग्रसित हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा १० और गुजरात में ६ जबकि पश्चिम बंगाल में ४ लोगों की मौत हुई है।

बंगाल में समय रहते संभाल ली स्थितियां

कोलकाता : कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन के दौरान सोशिल मीडिया पर अफवाह के कारण अखबारों को तगड़ा झटका लगा। लोग अखबार लेने से डरने लगे थे। अफवाहों के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में अखबारों के प्रकाशन बंद करना पड़ा था, क्योंकि हॉकर अखबार लेने को तैयार नहीं थे। ऐसे समय में भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममताबनर्जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। हॉकर यूनियनों द्वारा अखबार नहीं उठाने की बात संस्थानों द्वारा मुख्यमंत्री तक पहुंचायी गयी। उन्होंने पूरी रपट ली तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया पर लाइव होकर कहा कि ‘मुझे जानकारी मिली है कि कई हॉकर अखबार नहीं ले रहे हैं। मैं उनसे कहना चाहूंगी कि इस आपात परिस्थिति में अखबारों को राहत दी गयी है। अखबार लोगों को पढ़ना जरूरी है वरना दैनिक जीवन से जुड़ी बातें लोगों को कैसे पता चलेंगी। पुलिस प्रशासन से पूरा सहयोग करने के लिए कहा गया है।’ इसके अगले दिन मुख्यमंत्री ने दोबारा कहा कि आप सभी सही खबरों के लिए अखबार पढ़िये। इस विकट समय में अखबार ही सही खबर आप तक पहुंचा सकते हैं। ममता बनर्जी का यह संदश मीडिया के लिए संजीवनी की तरह था। यह संदेश जब हॉकरों और आम लोगों तक गया तो हाकर भी वापस अपने काम पर आने लगे तथा अखबारों ने अपना नियमित प्रकाशन जारी रखा।

धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होती चली गईं, अन्यथा एक दो दिन के लिए स्थिति यह बन गयी थी कि छोटे छोटे कुछ अखबाराें ने प्रकाशन बंद कर दिया था तथा एक बड़े अखबार ने भी दो दिन प्रकाशन बंद रखा था।

मालवाहक विमानों से देश भर में पहुँचायी जा रही चिकित्सा सामग्री

नई दिल्ली। कोविड-19 से बचाव और इस महामारी की जाँच से जुड़े आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति के लिए मालवाहक विमानों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर रहा है। विभिन्न राज्यों की ओर से तत्काल ज़रूरत की माँग के आधार पर मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी आवश्यक चीज़ों की आपूर्ति के लिए आपूर्ति एजेंसियों की मदद ले रहे हैं, ताकि ऐसी सामग्रियों को उनके गंतव्यों तक आगे पहुँचाया जा सके। फ़िलहाल आवश्यक चीज़ों की आपूर्ति के लिए एयर इंडिया और एलायंस एयर की उड़ानें शुरू की गयी हैं। सरकारी सूत्रों की मानें तो नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अधिकृत एजेंसियाँ अपने क्षेत्र के सम्बन्धित अधिकारियों से सम्पर्क करती हैं और ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति और उसकी रसीद प्राप्त करने के लिए समन्वय स्थापित करती हैं।

देश के पूर्वी और उत्तर पूर्वी हिस्सों में आपूर्ति के लिए एलायंस एयर की एक उड़ान गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ और अगरतला के लिए चिकित्सा की ज़रूरी चीज़ें लेकर 29 मार्च, 2020 को दिल्ली से कोलकाता गयी। देश के उत्तरी क्षेत्र में आपूर्ति के लिए भारतीय वायुसेना के एक मालवाहक विमान के ज़रिये आईसीएमआर के वीटीएम किट और अन्य आवश्यक सामग्रियाँ दिल्ली से चंडीगढ़ और लेह भेजी गयीं। पुणे से दिल्ली लायी गयी आईसीएमआर किटों को (मुम्बई-दिल्ली-हैदराबाद-चेन्नई-मुम्बई और हैदराबाद-कोयम्बटूर) के मार्गों पर संचालित उड़ानों के ज़रिये शिमला, ऋषिकेश, लखनऊ और इम्फाल पहुँचाया जा रहा है। आईसीएमआर की किटें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी भी पहुँचाई गयी हैं। चेन्नई और हैदराबाद के लिए अलग से इनकी खेप भेजी गयी है। चेन्नई और हैदराबाद के लिए अलग से इनकी खेप भेजी गयी है। कपड़ा मंत्रालय की और से भेजी गयी खेप को कोयंबटूर पहुँचाया गया है।

समय पर ढंग से गंतव्यों तक आपूर्ति पहुँचाने के लिए सूचनाओं को साझा करने, प्रश्नों का उत्तर देने और ज़मीनी स्तर पर किया जा रहा काम 24 घंटे चल रहा है, ताकि कोविड-19 से निबटने के प्रयासों को और सशक्त बनाया जा सके और इनके लिए आवश्यक मदद दी जा सके।

अब जीना और मरना ही गाँवों में है

जब कभी भी देश दुनिया में कोई विपत्ति, आपदा या महामारी जैसी आयी तो वहां के लोगों और सरकारों ने बस एक ही बात कहीं कि मिलजुलकर सामना करना होगा और एकता का परिचय देते रहें। पर इस बार कोविड-19 कोरोना वायरस  महामारी ने सबको अलग -थलग कर दिया। इस महामारी में सोशेल डिस्टेंश यानि की सामाजिक दूरी में भला है। जो सामाज के लिये हितकर है। देश दुनिया में मचे हाहाकार और भय से लोगों में एक अजीब सा डर है कि ये महामारी कहीं काल बन कर धीरे से ठस ना लें। दिल्ली- एनसीआर में दशकों से जमंे लोग जोे दिहाड़ी मजदूरी के साथ-साथ सब्जी और फल बेंचने का काम करते थे। उनका आज पूरा काम- काज 14 अप्रैल तक लॉक डाउन  होने की वजह से बंद पड़ा है। ये हजारों की तदाद में अपने घरों यानि अपनें गांवों में जाने को मजबूर है। उनका कहना है कि अब उनके सामने रोजी रोटी का संकट है। काम धंधा बंद हो गया है। ऐसे में उनके सामने बस एक ही रास्ता बचा है कि वे अपने गांवों घरों में जाकर रहें।तहलका संवादाता ने उन लोगों से बात की जो कोविड-19 कोरोना वायरस के कारण आयी विपदा से वेहाल होकर अपने गांव जा रहेे है। तो उन्होंने बताया कि दिल्ली में सरकार जरूर कह रही है कि खाना और रहना मिलेगा। पर खाना और रहना से कोई जिदंगी नहीं चलेगी। तमाम काम ऐसे होते है जिसमें पैसा की जरूरत होती है। इन्हीं के कारण से वे अब अपने गांवों में जा रहे।  बिहार के रहने वाले जो गणेश नगर पुस्ता में रह रहे थे मनोज सिंह , संतोष कुमार और सुदेश रंजन ने बताया कि बीमारी का भय है कि वे कहीं इस बीमारी की चपेट में ना आ जाये तो ऐसे में उनको काफी दिक्कत होगी। उनके परिवार जनों का भी कहना है कि जो भी होगा वो अब अपने गांवों में आ जायें ऐसे में उनके सामने सामने बस एक ही बिकल्प है कि वे रेल और बसों के बंद होने के कारण ना जा सकतें तो वो अपने सब्जी बंचने वाले वाहन से गांव तो जा सकतें है।  ऐसे में वे दर्जनों लोगों के साथ सुबह सुबह से ही दिल्ली से अपने गांवों के लिये रवाना हो गयेें।
यहीं हाल उत्तर -प्रदेश के रहने वाले राजेन्द्र विनोद रघुवर और ममता ने बताया कि दिल्ली में रोजी रोटी का संकट अब उनके सामने दिन व दिन बढ़ता ही जायेगा । और बीमार होने का भय भी सता रहा है। ये लोग हापुड जिले के गांवों के  रहने वाले है मजबूरी में अब दिल्ली को फिलहाल छोड़ कर जा रहे है।
ऐसे में तहलका संवाददाता ने  इन लोगों से कहा कि वहां पर भी रोजगार का संकट होगा क्योंकि लॉक डाउनू तो पूरे देश में है तो उन्होंने कहा कि अब जीना और मरना ही अपने गांवों में है। दिल्ली में मजदूरी की है तो गांवों में जाकर ही मजदूरी करने में क्या दिक्कत है। ये कह कर चलतें चलें गयें।

कोरोना वायरस अमीर लाए और भुगत रहे हैं गरीब

आम लोगों के बीच ये अवधारणा बन रही है कि कोरोना वायरस विदेश से फ्लाइट में अमीर लेकर आये और अब देशभर में इसका खामियाजा गरीब भुगत रहे हैं। लॉकडाउन के बीच सड़कों पर उतरा गरीबों का हुजूम परेशान है। उसके पास न काम है, न ही साधन और सन्साधन। कोई ठोस आश्वासन भी नहीं है।
सब्जी भाजी और ज़रूरत कि चीज़ें दिन ब दिन और महंगी होती जा रही हैं। इससे गरीबों का परेशान होना और उनकी मजबूरी को नज़रअंदाज़ करना अच्छी संकेत नहीं हैं। अब ये मजदूर मेट्रो शहरों से निकलर बीच में फंस गए कुछ सीएमओं में। आगे इनका भगवान ही मालिक है। सरकार पर लोगों को भरोसा नहीं, हैं कुछ अच्छे लोग और अफसर ज़रूर हैं, जिनमें मानवता बाकी है। जिससे एक आस जगती है। आगे वही आस इनको ज़िंदा रखने में मददगार होगी। वाइरस से तो नहीं, सरकारों के तरीकों से ज़रूर लाखों जानें सांसत में आ गई हैं।
अमनावीयता : बरेली में लोगों को किया डिसइन्फेक्ट
जहां दुनिया भर में कोरोना का कहर बरपा है, अपने यहां संवेदनहीनता से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं। पुलिस प्रशासन के अमानवीय चेहरे का ताजा मामला उत्तर प्रदेश के बरेली का है। बरेली में कर्मचारियों ने दूसरी जगहों से आए बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को सैनिटाइज करने का अनोखा तरीका अपनाया। सभी को सड़क पर बैठाकर उनको डिसइंफेक्ट किया जा रहा है। इसका एक वीडियो सामने आया है, फिलहाल प्रशासन की ओर से अभी इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
बरेली ज़िले में दिल्ली, हरियाणा,नोएडा से आए सैकड़ों मज़दूरों और बच्चों को ज़मीन पर बैठा कर उनके ऊपर छिड़काव कर सनीटाइज़ किया गया। इससे बच्चों को बहुत दिक्कत हुई।

कराची-सिंध में राहत सामग्री में हिंदुओं से भेदभाव, भारत से मांग रहे मदद

कोरोना जैसे गंभीर संकट के दौर में भी पाकिस्तान हिन्दुओं के साथ दोहरा रवैया अपना रहा है। वहां कोरोना महामारी से हालात गंभीर हुए हैं और पाक सरकार लोगों को राहत सामग्री बाँट रही है। लेकिन पकिस्तान के सिंध प्रांत से खबर है कि वहां राशन और अन्य जरूरी सामग्री बांटने में हिंदुओं से भेदभाव किया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक सिंध प्रांत में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को राशन और दूसरी जरूरी देने में भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है। रिपोर्ट्स में बताया कि  स्थानीय प्रशासन ने कराची में जनता को राशन और दोसोस्री चीजें बांटी गयी लेकिन हिन्दुओं को यह राहत सामग्री देने से वहां के प्रशासन ने इंकार कर दिया।
जानकारी के मुताबिक हिंदुओं को खाली हाथ लौटा देने से उन्हें खाने-पीने की जरूरी चीजों के अभाव में जीना पड़ रहा है। गौरतलब है कि सिंध में करीब पोने पांच लाख हिंदु रहते हैं।
पाकिस्तान में भी लॉकडाउन चल रहा है और मजदूरों और कामगारों को प्रशासन और चंद एनजीओ राहत सामग्री बाँट रहे हैं। लेकिन यह लोग इसमें भेदभाव कर रहे हैं। एक राजनीतिक कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने स्वीकार किया है कि कराची सिटी और सिंध सूबे में हिंदुओं के सामने खाने-पीने की चीजों की बहुत कमी है और वे मुश्किल समय का सामना कर रहे हैं। इन लोगों ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है और कहा है कि पीएम मोदी राजस्थान के रास्ते सिंध के हिंदुओं को राशन और दूसरी जरूरी चीजें भिजवाएं ताकि उनके सामने मरने की नौबत न आये।

कोरोना से पतली हुई जर्मनी की आर्थिक हालत से दुखी हेसे राज्य के वित्त मंत्री ने आत्महत्या कर ली

कोरोना वायरस के संक्रमण से तो लोगों की जान जा ही रही है, जर्मनी के हेसे राज्य के वित्त मंत्री थॉमस शाएफर ने देश की खराब हो रही आर्थिक हालत से दुखी होकर आत्महत्या कर ली है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना के कारण हो रहे आर्थिक नुकसान की भरपाई को लेकर ”चिंतित” जर्मनी के हेसे राज्य के वित्त मंत्री शाएफर ने आत्महत्या कर ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका शव शनिवार को रेल पटरी पर मिला था। वीसबैडेन अभियोजक कार्यालय ने उनके आत्महत्या करने की आशंका जताई है। राज्य के  मुख्यमंत्री वॉल्कर बॉफियर ने एक बयान में इस घटना को लेकर कि ”हम स्तब्ध हैं,  हमें विश्वास नहीं हो रहा और हम अत्यंत दु:खी हैं”।
खबर से बेहद दु:खी नजर आ रहे बॉफियर ने कहा कि शाएफर इस महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से उबरने में कंपनियों और कर्मियों की मदद करने के लिए दिन-रात काम कर रहे थे। बॉफियर ने कहा – ”हमें आज यह मानना होगा कि वह बेहद चिंतित थे। खासकर इस मुश्किल समय में हमें उनके जैसे ही व्यक्ति की जरूरत थी।”
गौरतलब है कि हेसे का फ्रैंकफर्ट भारत के मुंबई की तरह जर्मनी की वित्तीय राजधानी कहा जाता है। वहीं ड्यूश बैंक और कॉमर्जबैंक के मुख्यालय हैं। यूरोपीयन सेंट्रल बैंक भी फ्रैंकफर्ट में ही है।

भारत में अब तक २७, दुनिया में ३० हज़ार लोगों की मौत

कोरोना का कहर दुनिया भर में जारी है। भारत में अब तक २७ लोगों की जान चली गयी है और ९३२ संक्रमित हैं। उधर दुनिया भर में मौतों का आंकड़ा ३० हजार के पार चला गया है।

भारत में अब तक कुल १०४५ (जनवरी से) मामले हुए हैं जबकि २७ की मौत हुई है। इनमें से महाराष्ट्र में ७, गुजरात में ५, कर्नाटक में ३, दिल्ली-एमपी में २-२, तेलंगाना, केरल, जेके, हिमाचल, तमिलनाड, पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार में १-१ मरीज की मौत हुई है। देश में अब तक ८६ मरीज ठीक भी हो गए हैं।

उधर दुनिया भर में अब तक ३०,९०१ लोगों की मौत कोरोना वायरस से हो गयी है। करीब ६,६५,२९५ लोग संक्रमण का सामना कर रहे हैं जबकि १,४२,४७४ लोग ठीक हो गए हैं।

इटली में सबसे ज्यादा १०,०२३ मरीजों की मौत हो गयी है जबकि अमेरिका में मरने वालों की संख्या २,२२९ पहुँच गयी है। चीन में कुछ दिन से संख्या स्थिर रहने के बाद मरने वालों की संख्या ३,३०० है जबकि स्पेन में लगातार मौतों के चलते आंकड़ा ५,९८२ पहुँच गया है। फ्रांस में बड़ी संख्या में मौत हुई हैं जहाँ अब तक २,३१४ लोगों की जान जा चुकी है। ईरान में २,५१७ लोगों,  १,०१९ और हॉलैंड में ६३९ लोगों की जान गयी है।

दुनिया भर में अमेरिका में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित हैं और उनकी संख्या १,२३,७८० पहुँच चुकी है जबकि इटली में ९२,४७२ और स्पेन में ७३,२३५ लोग, जर्मनी में ५७,६९५ और फ्रांस में ३७,५७५ लोग कोरोना संक्रमित हैं।

कोविद-19 : ग़ैर-वापसी ईपीएफ निकाल सकेंगे लोग

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ईपीएफ योजना में संशोधन के लिए अधिसूचना जीएसआर 225(ई) जारी की है। इस अधिसूचना के मुताबिक, ईपीएफ सदस्यों को अपने ईपीएफ खातों से ग़ैर-वापसी योग्य अग्रिम धननिकासी की अनुमति होगी। महामारी या वैश्विक महामारी के फैलने की स्थिति में यह अधिसूचना धननिकासी की अनुमति देती है, जो तीन महीनों के मूल वेतन तथा महंगाई भत्ते या सदस्य के ईपीएफ खाते में जमा धनराशि के 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह योजना देश में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लागू की गयी है।
कोविड-19 को उचित प्राधिकरणों द्वारा पूरे देश के लिए महामारी घोषित किया गया है इसलिए पूरे भारत के प्रतिष्ठानों और कारखानों के जो कर्मचारी ईपीएफ योजना के सदस्य हैं, वे सभी ग़ैर-वापसी योग्य अग्रिम के लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं। ईपीएफ योजना, 1952 के अनुच्छेद 68एल में उप-अनुच्छेद(3) जोड़ा गया है। संशोधित योजना-कर्मचारी भविष्य निधि (संशोधन) योजना, 2020 को 28 मार्च, 2020 से लागू किया गया है।
ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिये हैं कि ईपीएफ सदस्यों के आवेदनों पर त्वरित निर्णय लिये जाने चाहिए। ईपीएफओ ने निर्देश दिया है कि ईपीएफ सदस्यों के दावों पर अधिकारी और कर्मचारी जल्द निर्णय लें, ताकि कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में कामगारों और उनके परिजनों तक राहत पहुँच सके।

लॉक डाउन के बाद पैदल गांव जा रहे युवक की मौत, परिजनों का आरोप भूख से गई उसकी जान  

कोरोना वायरस की दहशत और अचानक लॉकडाउन से पैदा हुई स्थिति के बीच एक बहुत दुखभरी खबर आई है। दिल्ली से मध्य प्रदेश पैदल जा रहे एक मजदूर की २०० किलोमीटर पैदल चलने के बाद रास्ते में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी है। उसके परिजनों ने आरोप लगाया है कि उसकी मौत भूख से हुई है। रणवीर सिंह दिल्ली के एक होटल में टिफिन डिलीवरी का काम कर रहा था लेकिन लॉकडाउन के चलते होटल मालिक ने उसकी छुट्‌टी कर दी थी।

जानकारी के मुताबिक दिल्ली से पैदल गांव जाते समय रास्ते में जिस व्यक्ति की मौत हुई है उसका नाम रणवीर है। दिल्ली से पैदल मुरैना के बड़फरा गांव के लिए जा रहे करीब ३९ साल के रणवीर ने आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र में रास्ते में ही दम तोड़ दिया। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मौत से पहले रणवीर २०० किलोमीटर पैदल चल चुका था।

पता चला है कि रणवीर २७ मार्च (शुक्रवार) की शाम साथियों के साथ दिल्ली से गांव के लिए निकला था। शाम करीब छह बजे उसने अंबाह में ब्याही अपनी बहन पिंकी को फोन करके बताया कि वो फरीदाबाद पहुँच गया है और जल्द ही घर पहुंच जाएगा। अगले दिन (शनिवार) जब वे लोग आगरा पहुंचे तो उसके साथी आगे निकल गए। बताया आया है कि इसके एकाध घंटे बाद ही सिकंदरा थाना क्षेत्र में सड़क पर चलते हुए रणवीर की मौत हो गई।

रणवीर के परिवार में उसकी बूढ़ी माता, पत्नी और बेटी-बेटा हैं। परिवार के पालन पोषण के लिए तीन साल पहले रणवीर नौकरी की खोज में दिल्ली चला आया था। इस बीच रणवीर के परिजनों ने आरोप लगाया है कि रणवीर की मौत भूख और प्यास के कारण हुई है। सिकंदरा के थानाध्यक्ष ने मीडिया को बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रणवीर की मौत की कारण हार्ट अटैक बताया गया है। रणवीर सिंह दिल्ली में एक होटल में टिफिन डिलीवरी का काम करता था और लॉकडाउन के बाद होटल मालिक ने उनकी छुट्‌टी कर दी थी।