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सीबीएसई ने बताया सुप्रीम कोर्ट को 12वीं के नतीजे का फार्मूला, 10वीं-11वीं के 30-30, 12वीं प्री बोर्ड के 40 प्रतिशत अंक जुड़ेंगे  

सीबीएसई ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह 12वीं के मूल्यांकन (नतीजे) के लिए 10वीं और 11वीं के अंकों पर क्रमशः 30-30 प्रतिशत वेटेज और 12वीं प्री बोर्ड के अंकों पर 40 प्रतिशत वेटेज का फार्मूला अपनाएगा। सीबीएसई ने  यह भी बताया है कि 12वीं के नतीजे 31 जुलाई तक घोषित कर दिए जाएंगे।

कोविड-19 महामारी और इसके कारण बार-बार लग रहे लॉकडाउन के चलते 12वीं   की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं कक्षा के लिए निष्पक्ष मानदंड तय करने के लिए तीन जून को केंद्र सरकार को दो सप्ताह का समय दिया था। सीबीएसई ने 4 जून को 13 सदस्यीय समिति का गठन करके उसे 10 दिन के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा था।

अब इस समिति ने सर्वोच्च अदालत के सामने 12वीं के नतीजे का अपना फार्मूला रखा है। इसमें यह भी गुंजाइश राखी गयी है कि यदि कोई छात्र नतीजे से संतुष्ट नहीं है तो वह इसके खिलाफ संभावित समिति के सामने अपील कर सकता है। वैसे छात्र चाहें तो घर बैठकर ही अपने रिजल्ट और मार्क्स का गुना-भाग कर सकते हैं।
सरकार के मुताबिक छात्रों की मार्कशीट 10वीं, 11वीं और 12वीं प्री बोर्ड के रिजल्ट को आधार बनाकर तैयार की जाएगी। इसके लिए कक्षा 10वीं के रिजल्ट के आधार पर 30 फीसदी, 11वीं के रिजल्ट के आधार पर 30 फीसदी और 12वीं प्री बोर्ड या यूनिट टेस्ट के आधार पर 40 फीसदी अंक जुड़ेंगे।

सीबीएसई ने कहा है कि कक्षा 10वीं के 5 विषय में से जिन 3 विषयों में सबसे अच्छे अकं होंगे, उन्हें लिया जाएगा। इसी तरह कक्षा 11वीं के 5 विषयों का औसत लिया जाएगा और कक्षा 12वीं की प्री बोर्ड परीक्षा और प्रैक्टिकल के अंक लिए जाएंगे। सौ  फीसदी रिजल्ट तैयार करने के लिए 10वीं के अंकों का 30 फीसदी, 11वीं के अंकों का 30 फीसदी और 12वीं के अंकों का 40 फीसदी लिया जाएगा और इसी के आधार पर फिर फाइनल रिजल्ट तैयार होगा।

सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई की ओर से कहा गया है कि समिति ने ये फैसला परीक्षा की विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए किया है। अब सीबीएसई के स्कूलों में एक परिणाम समिति का गठन होगा जिसमें स्कूल के दो वरिष्ठ शिक्षक और पड़ोसी स्कूल के शिक्षक ‘मॉडरेशन कमिटी’ के तौर पर काम करेंगे। ऐसा करके ये सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल अंकों को ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर न बताए। समिति छात्रों के बीते तीन साल का प्रदर्शन भी देखेगी।

सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना के अलावा अन्य रोगियों को तांता

कोरोना के मामले कम होते ही, दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में हार्ट रोगी, किडनी रोगी सहित अन्य रोग से पीड़ित अब बिना डर-भय के अपने इलाज कराने के लिये अस्पतालों में आ-जा रहे है। अस्पतालों में मरीजों का तांता लगा हुआ है। एम्स के डाक्टरों का कहना है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी के साथ घातक बीमारी है। इसमें जरा सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। एम्स के डाँ आलोक कुमार का कहना है कि कोरोना के साथ-साथ हमें अन्य बीमारियों का रूटीन चैकअप समय-समय पर करवाते रहना चाहिये। ताकि किसी अन्य प्रकार की स्वास्थ्य समस्या ना हो सकें।

डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल का कहना है कि जिन लोगों को हार्ट , अस्थमा, किडनी सहित अन्य बीमारी है। वे इलाज जरूर करवायें। क्योंकि इन रोगियों को कोरोना ज्यादा अटैक करता है।रोगियों को इलाज कराने में लापरवाही नहीं करनी चाहिये। कोरोना की जांच भी कराने में हिचकना नहीं चाहिये। क्योंकि कोरोना का इलाज भी है। जागरूकता और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने से कोरोना जैसी बीमारी को काबू पाया जा सकता है। हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ अनिल ढ़ल का कहना है कि जब से कोरोना के मामलें कम हुये है। तब से हार्ट रोग से पीड़ित मरीज इलाज कराने को अस्पतालों में आये है। सरकारी और निजी अस्पतालों में अन्य रोग से पीड़ित मरीज अब सावधानी और जागरूकता के साथ इलाज कराने में हिचक नहीं रहे है। जो स्वास्थ्य के लिये बेहत्तर है।

अनलाँक के बाद बाजारों में लौटी रौनक, व्यापारियों में खुशी

राजधानी दिल्ली के बाजारों भले ही रौनक लोटने लगी हो पर, लोगों में और व्यापारियों में अभी भी इस बात का डर है कि कोरोना का संक्रमण फिर से कोहराम ना मचा दे। बता दें कि 14 जून से दिल्ली के बाजारों को अनलाँक किया गया है। जिससे व्यापारियों में खुशी का माहौल है।

तहलका संवाददाता को व्यापारी पदम सिंह ने बताया कि कोरोना का कहर कम हुआ है। लेकिन कोरोना गया नहीं है। ऐसे में हमें व्यापार करते समय इस बात की सावधानी रखनी चाहिये ताकि, व्यापारी के साथ ग्राहक भी कोरोना जैसे संक्रमण से बच सकें। सरोजनी नगर मार्केट के अध्यक्ष अशोक रंधावा का कहना है कि कोरोना को काबू पाने के लिये हम सब को जागरूकता के साथ सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना होगा पर, साथ ही सरकार का दायित्व बनता है कि वो भी लोगों को लोगों मास्क और सेनेटाइज आदि वितरित करें।

दिल्ली के सदर बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव का कहना है कि जब से दिल्ली में बाजार खुले है। तब से व्यापारियों और आम लोगों में खुशी है। कि कोरोना का कहर कम हुआ है। उनका कहना कि रूका हुआ व्यापार तो धीरे-धीरे चलने लगा है। जिससे आर्थिक व्यवस्था पटरी पर आयेगी। ऐसे में उनका सरकार से कहना है कि सरकार बुनियादी तौर पर ग्राहकों और व्यापारियों के बीच एक राहत के तौर पर सोशल डिस्टेसिंग के नाम पर दिल्ली पुलिस या सरकारी अधिकारियों द्वारा तंग करने वालों को रोके ताकि व्यापार धड़ल्ले से चल सकें। उनका कहना है कि कोरोना के मामले कम होने से आशा की किरण जागी है कि आने वाले दिनों में व्यापार सही चलेगा।

चिराग और चाचा पारस में पार्टी को लेकर लंबी लड़ाई तय

बिहार में लोक जनशक्ति पाटी यानी लोजपा में टूट को लेकर लंबी लड़ाई तय है। संस्थापक रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमारपारस और चिराग पासवान के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। बुधवार को लोजपा  नेता चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने का विरोध किया है। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि यह लोजपा के विधान के विरुद्ध है।
पासवान ने लिखा कि उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने पारस समेत उन पांच सांसदों को लोजपा से निष्कासित कर दिया है जो उनके खिलाफ एकजुट हुए हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सदन में उन्हें लोजपा के नेता के तौर पर मान्यता देने का नया परिपत्र जारी करें।
बिहार के जमुई से लोकसभा सदस्य पासवान ने कहा कि लोजपा के संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत केंद्रीय संसदीय बोर्ड को यह अधिकार है कि वह यह फैसला करे कि लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा। ऐसे में पशुपति पारस को संसदीय दल का लोजपा का नेता बनाया जाना हमारी पार्टी के संविधान के प्रावधान के खिलाफ है।
बता दें कि पिदले दिनों लोजपा के छह सांसदों में से पांच ने चिराग पासवान की जगह पारस को अपना नेता चुना था। अब दोनों समूह यह दावा कर रहे हैं कि उनका गुट ही असली लोजपा है। इस पार्टी की स्थापना रामविलास पासवान ने की थी जिनका कुछ महीने पहले निधन हो गया था। वह चिराग पासवान के पिता और पारस के बड़े भाई थे।अब पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर भी जंग शुरू हो चुकी है। मंगलवार को पटना में चिराग समर्थकों ने पारस के आवास काघेराव भी किया गया।

सोनिया गांधी ने पंजाब का मसला हल करने के लिए अमरिंदर-सिद्धू को 20 जून को दिल्ली तलब किया  

कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह और उनसे जंग में उलझे नवजोत सिंह सिद्धू को 20 जून को दिल्ली तलब किया है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एक बैठक करके इन नेताओं से मुलाकात करेंगी। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सुनील झाखड़ और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत को भी बुलाया जा सकता है। बैठक में सोनिया गांधी अपने फैसले से इन नेताओं को अवगत करवा सकती हैं।
यह बैठक 20 जून को तलब की गयी है और सोनिया गांधी इस बैठक में पंजाब कांग्रेस को लेकर अपना फैसला नेताओं को बता सकती हैं। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक कैप्टेन और सिद्धू को सोनिया गांधी सख्ती से अपनी गुटबाजी ख़त्म करने और चुनाव से पहले पूरी ताकत झोंक देने को भी कहेंगी।
यह लगभग तय है कि नवजोत सिंह सिद्धू को सरकार या संगठन में बड़ा औहदा दिया जाएगा और अन्य नाराज लोगों को भी एडजस्ट किया जा सकता है। वैसे पार्टी ने सिद्धू को राष्ट्रीय स्तर पर भी पद की पेशकश की हुई है। कांग्रेस ने लगभग तय कर लिया है कि पंजाब में दूसरे समुदायों को सरकार में ज्यादा  प्रतिनिधित्व दिया जाए।
सिद्धू और कैप्टेन दोनों जट्ट सिख हैं। ऐसे में कांग्रेस वहां दो या एक उप मुख्यमंत्री पद सृजित कर दलित और गैर सिख को बड़ा प्रतिनिधित्व दे सकती है। ऐसी स्थिति में सिद्धू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं। अकाली-बसपा गठबंधन बनने से कांग्रेस के लिए यह बहुत ज़रूरी हो गया है कि दलित वर्ग को अपने साथ जोड़े रखने के लिए उपमुख्यमंत्री पद दिया जाए।
सिद्धू सरकार में जाना नहीं चाहते हैं। राष्ट्रीय राजनीति में जाने को लेकर भी वे अनिच्छा जता रहे हैं। ऐसे में उनके लिए प्रवाल संभावना प्रदेश अध्यक्ष या अगले विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब कांग्रेस की किसी बड़ी समिति – जैसे प्रचार समिति – का अध्यक्ष बनने की रह जाती है। इसके लिए वे तैयार भी हैं। सिद्धू को लगता है कि इससे वे अगले चुनाव में अपने ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफल  हो सकते हैं और कांग्रेस के जीतने के स्थिति में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में मजबूत दावेदार बन सकते हैं।
इस बैठक में राहुल गांधी सहित कुछ वरिष्ठ नेता भी बुलाये जाने का संभावना है। अहमद पटेल की मृत्यु के बाद कांग्रेस की संकट मोचक के रूप में उभरीं प्रियंका गांधी भी आएं, तो हैरानी नहीं। वैसे अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि सोनिया गांधी की मीटिंग में सिद्धू और कैप्टेन के अलावा पंजाब के वरिष्ठ नेता बुलाये जा रहे हैं या नहीं।
पिछले चुनाव के प्रचार में कैप्टेन अमरिंदर खुद कह चुके हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है, इसलिए उन्हें वोट देकर अवसर दें। ऐसा माना जाता है कि तब राहुल गांधी ने नवजोत सिद्धू से अगले चुनाव (2022) में उन्हें ‘बेहतर जगह’ देने की बात कही थी। हालांकि, जिस तरह कैप्टेन मैदान में डटे हैं, उससे लगता नहीं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। वैसे भी यह साफ़ है कि चुनाव तक पार्टी उन्हें सीएम पद से नहीं हटाएगी।
कैप्टेन अभी भी पंजाब में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं। सुखबीर बादल से लेकर वे किसी भी अकाली (प्रकाश सिंह बादल को छोड़कर) नेता, आप नेता और यहाँ  तक कि किसी कांग्रेस नेता पर भी लोकप्रियता के मामले में भारी पड़ते हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान कोई रिस्क नहीं लेगी। हाँ, सोनिया गांधी कैप्टेन को पंजाब के उन बड़े मसलों, जिनमें गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी और उसके बाद पुलिस फायरिंग की घटनाओं में न्याय की मांग भी शामिल है, को हल करने की हिदायत दे सकती हैं। यह सब मसले मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली कांग्रेस समिति के सामने भी रखे गए हैं।
पंजाब कांग्रेस का मसला सुल्ताने के लिए बनाई इस समिति में सोनिया गांधी ने
जेपी अग्रवाल और प्रभारी महासचिव हरीश रावत को भी शामिल किया था। इस समिति ने लगातार 5 दिन तक कैप्टेन, सिद्धू और अन्य सभी विधायकों-वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब किया था।
ज्यादा संभावना यही है कि पंजाब कांग्रेस का मसला हल करने की सोनिया गांधी की पूरी तैयारी है। वे प्यार और सख्ती दोनों से मसले हल करने के लिए जानी जाती हैं। वैसे भी न तो कैप्टेन और न सिद्धू आमने-सामने की बैठक में सोनिया गांधी की बात टालने की हिम्मत रखते हैं। ऐसे में निश्चित ही 20 जून की बैठक बहुत मायने रखती है।

साइबर अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई, आठ गिरफ्तार

देश में कोरोना काल में आॅनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ा है तो इससे खतरे भी बढ़ गए हैं। आए दिन किसी के खाते से या मोबाइल में धोखाधड़ी के करके लाखों की कमाई को सेकंडों में साइबर ठग उड़ा देते हैं। अब केंद्र सरकार ने साइबर अपराधियों के खिलाफ व्यापक अभियान छेड़ा है। देश के 18 राज्यों में सक्रिय साइबर ठगों के बड़े गिरोहों का पर्दाफाश किया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की साइबर सुरक्षा इकाई के साथ मिलकर कई राज्यों की पुलिस, फिनटेक यानी वित्तीय तकनीक कंपनियों और जांच एजेंसियों ने ऐसे 300 से ज्यादा ठगों की पहचान की है। इसी मामले में लिप्त आठ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है। आरोपियों के पास से 300 से ज्यादा मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। इन आरोपियों के 100 से ज्यादा बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं जिनमें संदिग्ध लेनदेन किया गया था। इसके साथ ही साइबर सुरक्षा यूनिट 900 मोबाइल फोन, 1,000 बैंक अकाउंट और सैकड़ों यूपीआई आईडी की पड़ताल कर रही है।

कई राज्यों में फैले गिरोह के सदस्य अलग-अलग भूमिका निभाते थे, जिससे किसी एक राज्य की पुलिस के लिए पूरी साजिश का पर्दाफाश करना मुश्किल हो जाता था। यह एक जगह टिककर काम नहीं करते थे, बल्कि अपना ठिकाना बदलते रहते थे या कहें कि वहां पर नई टीम तैयार कर लेते थे। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक गिरोह के सदस्यों के बीच ओटीपी फ्राॅड, क्रेडिट कार्ड फर्जीवाड़ा और फर्जी पते से हासिल सिम व अन्य कागजात भी जब्त किए गए हैं।

11 जून को साइबर सेफ वेबसाइट पर मिली एक शिकायत के आधार पर इस गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। राजस्थान के उदयपुर निवासी 78 साल के बुजुर्ग ने साइबरसेफ पर 6.5 लाख रुपये की ठगी की शिकायत की थी। कुछ देर में ही पता चल गया कि उनके खाते से उड़ाए गए पैसे भारतीय स्टेट बैंक के तीन कार्ड में जमा कराए गए हैं। इसी रकम से आॅनलाइन शाॅपिंग हब फ्लिपकार्ट पर 33 मंहगे मोबाइल फोन भी खरीद डाले गए। पड़ताल में पता चला कि ये महंगे मोबाइल फोन मध्य प्रदेश के बालाघाट में डिलीवर भी कर दिए गए।

मामला साइबर सेल के पास पहुंचने के बाद बालाघाट पुलिस को पहले ही अलर्ट कर दियाग या था। इससे वहां के एसपी ने आरोपी हुकुम सिंह बिसेन को हिरासत में लेकर सभी सभी 33 मोबाइल फोन भी बरामद कर लिए। ऐसे ही अन्य मामले देश के कई हिस्सों से सामने आए जिनमें किसी बड़े गिरोह का कारनामा दिखा। बालाघाट से हुकुम सिंह बिसेन समेत दो लोगों और झारखंड से संजय महतो समेत चार लोगों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। मामले में 350 से ज्यादा तकनीकी में जानकार लोगों से पूछताछ और जांच पड़ताल की जा रही है।

नाबालिग पति को बालिग पत्नी के साथ रखना एक अपराध

ऐसे मामले तो आपने पहले सुने होंगे कि पत्नी नाबालिग है और पति बालिग, जिसको लेकर ज्यादा बवाल भी नहीं मचता। लेकिन ऐसे मामले बेहद कम आते हैं जहां पर नाबालिग पति हो और बालिग पत्नी, उसमें भी मां चाहती हो कि उसका बेटा उसके साथ रहे। ऐसा ही मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा जिसमें अदालत ने अहम व्यवस्था दी है। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर पति नाबालिग है तो वो बालिग पत्नी के साथ रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती। नाबालिग पति को उसकी बालिग पत्नी को सौंपना पाॅक्सो एक्ट के तहत अपराध है। इसी के साथ कोर्ट ने नाबालिग पति को सरकारी आश्रय स्थल में भेजने का आदेश दिया। यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर की एकल पीठ ने दिया।

यह मामला आजमगढ़ का है। कम उम्र में शादी कर चुके लड़के की मां ने याचिका दायर कर अपने बेटे को पास में रखने की इजाजत मांगी थी। उसे अपने पास रखने के लिए ही उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में मां ने अपने नाबालिग बेटे की कस्टडी की मांग की थी। जबकि बेटा मां के साथ रहने को राजी नहीं था।

लेकिन मां बेटे को साथ रखना चाह रही थी। बताया गया कि लड़के की उम्र अभी महज 16 साल है। जब बेटा अपनी मां के साथ नहीं रहना चाहता तो हाईकोर्ट ने उसकी अभिरक्षा मां को भी नहीं दी। अदालत ने बेटे को उसके बालिग होने यानी अगले साल तक जिला प्रशासन को उसे सारी सुविधाओं के साथ आश्रय स्थल में रखने का आदेश दिया। साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि बालिग होते ही वह अपनी मर्जी के साथ रहने को आजाद होगा। इससे पहले एक मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं, तब भी उन्हें साथ रहने का अधिकार है। भले ही उनके पास विवाह का प्रमाण न हो।

चिराग ने 5 सांसदों को एलजेपी से निलंबित किया, बागियों ने उन्हें हटाया अध्यक्ष पद से

एलजेपी संगठन में बहुमत का दावा करते हुए एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने मंगलवार शाम पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाकर पार्टी के सभी 5 बागी सांसदों को एलजेपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इनमें उनके चाचा पशुपति पारस भी शामिल हैं जिनके नेतृत्व में पार्टी सांसदों ने बगावत की। अन्य में  प्रिंस राज, वीणा देवी, महबूब अली कैसर और चंदन सिंह शामिल हैं। उधर बागियों ने  आज सुबह चिराग को अध्यक्ष पद से हटाने का ऐलान कर दिया था।
इससे पहले आज सुबह पारस गुट ने चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने और सूरजभान सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की बात कही थी। हालांकि, इसके बाद चिराग ने दावा किया कि एलजेपी कार्यकारिणी का बहुमत उनके साथ है। साथ ही चिराग ने कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पाँचों बागी सांसदों को एलजेपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
कार्यकारिणी के इस फैसले के बाद यह सांसद पार्टी में किसी भी तरह के फैसले लेने के अधिकारी नहीं होंगे। इन सांसदों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप लगाकर उन्हें एलजेपी की सक्रिय सदस्यता से निलंबित किया गया।
इससे पहले चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने का दावा करने से गुस्साए चिराग समर्थकों ने लोक जनशक्ति पार्टी के ऑफिस में घुसकर सांसद पशुपति पारस के पोस्टर पर पहले कालिख पोती और फिर चिराग पासवान जिंदाबाद के नारे लगाए।
चिराग की बुलाई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक में 5 सांसदों को निलंबित करने के बाद अब पार्टी की राजनीति गरमा गयी है। मामला अब कोर्ट में भी जा सकता है। हालांकि, यह साफ़ है कि पार्टी अब टूट गयी है।

सीएए विरोधी आंदोलन के समय हिंसा के बाद गिरफ्तार नताशा, आसिफ, देवांगना को जमानत  

सीएए विरोधी आंदोलन के समय पिछले साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा मानने के आरोप में गिरफ्तार किये गए यूएपीए आरोपी नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और देवांगना कालिता को मंगलवार दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है।
दिल्‍ली हाईकोर्ट ने मंगलवार इन सभी को जमानत देते हुए कहा – ‘विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है।’ इन सभी को अदालने ने इस आधार पर जमानत दी है कि वे अपने पासपोर्ट अधिकारियों के पास सरेंडर करेंगे और किसी ऐसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे, जिससे जांच किसी भी तरह प्रभावित हो।
बता दें नताशा नारवाल और देवंगाना कलिता, दिल्‍ली स्थित महिला अधिकार ग्रुप पिंजरा तोड़’ के सदस्‍य हैं जबकि आसिफ जामिया मिल्लिया इस्‍लामिया के छात्र हैं। याद रहे नताशा नरवाल को मई में पिता महावीर नरवाल के अंतिम संस्‍कार में शामिल होने के लिए 30 मई तक अंतरिम जमानत मिली थी और 31 को वे वापस आ गयी थीं।  महावीर, जो कम्‍युनिस्‍ट पार्टी नेता थे, की कोरोना के चलते मृत्यु हो गयी थी।
हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भमभानी ने की। यहाँ बता दें फरवरी 2020 में दिल्‍ली में सीएए  विरोधी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और उस दौरान कई दुकानों को जला दिया गया था। सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था।  नताशा और देवंगाना को दंगों की साजिश के मामले में फरवरी में ही गिरफ्तार किया गया था। उन्हें इसी तरह के आरोपों पर दिल्‍ली के जाफराबाद इलाके में पहले गिरफ्तार करने के बाद जमानत दे दी गई थी लेकिन उसके बाद दिल्‍ली पुलिस ने नताशा और देवंगाना को फिर गिरफ्तार कर लिया था।

राज्यपाल के साथ बैठक में 24 विधायकों के नदारद रहने के बाद बंगाल भाजपा में हड़कंप    

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ऐन पहले टीएमसी से दलबदलकर भाजपा में गए सुवेन्दु अधिकारी के खिलाफ विद्रोह बढ़ता जा रहा है। भाजपा नेतृत्व ने अधिकारी को  तमाम वरिष्ठ नेताओं अंगूठा दिखाते हुए भाजपा विधायक दल का नेता बनवा दिया था। इसके बाद पार्टी में जबरदस्त नाराजगी है। सोमवार को जब अधिकारी राज्यपाल
जगदीप धनखड़ से मिलने गए तो 74 में से 24 विधायक नदारद रहे। इसके बाद बंगाल भाजपा विधायक दल में बड़ी टूट की चर्चा तेज हो गयी है। उधर राज्यपाल धनखड़ आज गृह मंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली आये हैं।
वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय और उनके बेटे सुभ्रांशु रॉय के भाजपा छोड़कर टीएमसी में वापस लौटने के बाद कई और नेता भाजपा छोड़ने की तैयारी में दिख रहे हैं। अब 24 विधायकों के अधिकारी के साथ राज्यपाल से न मिलने से इन सभी विधायकों को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है।
बंगाल भाजपा विधायक दल का एक बड़ा वर्ग सुवेन्दु अधिकारी को अपना नेता  (विधायक दल का नेता) मानने को कतई तैयार नहीं है। अधिकारी को यह पद देने के आलाकामन के निर्णय के बाद कई विधायकों ने टीएमसी नेतृत्व से संपर्क किया है। इन विधायकों में से कई का अंदरखाते कहना है कि सुवेन्दु अधिकारी को नेता मानने से तो बेहतर है, टीएमसी में ही चले जाएँ।
भाजपा के लिए मुकुल रॉय भी बड़ा संकट बनने जा रहे हैं। भाजपा में ऐसे कई नेता/विधायक हैं जो मुकुल रॉय को बहुत मानते हैं। मुकुल ने जब विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी छोड़ भाजपा का दामन थामा था, तो भी उन्होंने टीएमसी या ममता बनर्जी को लेकर कमजोर टिप्पणी नहीं की थी। इसके विपरीत सुवेन्दु अधिकारी ममता बनर्जी के खिलाफ कथित रूप से अपशब्दों का इस्तेमाल करने से भी गुरेज करते नहीं दिखे हैं।
ममता कह चुकी हैं कि वो ऐसे नेताओं को पार्टी में वापस नहीं लेंगी जो टीएमसी के खिलाफ आग उगल चुके हैं या पैसे या पद के लालच में भाजपा में गए थे। बेशक
भाजपा बंगाल में किसी बगावत की खबरों को अफवाह बता रही है, सुवेंदु के साथ राज्यपाल से मिलने न जाने वाले विधायकों की इतनी बड़ी संख्या से बेचैन है। यदि यह विधायक पाला बदलते हैं तो भाजपा से बाद में और लोग भी टूटेंगे।
वरिष्ठ नेता राजीव बनर्जी, दीपेंदु विश्वास आदि की जल्द घर वापसी की चर्चा पहले से  तेज है। मुकुल रॉय के विधायक पद से इस्तीफे की मांग कर रही भाजपा को फिलहाल बंगाल में पार्टी नेताओं को संभालना बड़ी चुनौती बन गया है।