इस्लाम और इल्जाम?

इलस्ट्रेशनः आनंद नॉरम
इलस्ट्रेशनः आनंद नॉरम

मध्यकाल के अंधकारपूर्ण दौर में दो धर्मों के बीच लंबी लड़ाई चली थी. इतिहास में यह लड़ाई क्रूसेड या होली वॉर के नाम से दर्ज है. इस युद्ध को लेकर कई ऐतिहासिक मान्यताएं हैं, इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं. एक विचार कहता है कि यह पूरब में रोमन कैथलिक चर्च के विस्तार की कोशिशों का नतीजा था. रोमन कैथलिक चर्च इस युद्ध के जरिए जेरुसलम और उसके आसपास मौजूद पवित्र ईसाई स्थलों पर कब्जा करना चाहता था. एक मत यह भी है कि होली वॉर दरअसल इस्लाम के हिंसक विस्तार को रोकने की गरज से यूरोपीय देशों ने शुरू किया गया था, जिसका नेतृत्व रोमन कैथलिक चर्च ने किया था. सन 1050 से लेकर 1295 के दरम्यान लगभग ढाई सौ सालों तक दुनिया की दो धार्मिक सभ्यताएं निरंतर खून-खराबे में लिप्त रहीं. अंततः यह लड़ाई समाप्त हो गई. ईसाईयत ने खुद को यूरोप में सीमित कर लिया, इस्लाम अरब और यूरोप की सीमाओं तक जाकर रुक गया. वह लड़ाई भले ही खत्म हो गई थी, लेकिन उसकी जड़ें कहीं न कहीं शेष रह गईं. इन लड़ाइयों का केंद्र धर्म था.

आज एक बार फिर से दुनिया कमोबेश उन्हीं स्थितियाें में खड़ी है, जहां अलग-अलग धर्म अामने-सामने हैं. इस्लाम का एक उग्र चेहरा दुनिया के सामने देखने को मिल रहा है. आज की समस्या यह है कि क्रूसेड काल के विपरीत आज अब यह टकराव सिर्फ ईसाईयत और इस्लाम का नहीं रह गया है. जो सोच और धारणाएं बन रही हैं, उनमें इस्लाम आज बाकी दुनिया के दूसरे धर्मों और पंथों के साथ टकराव की हालत में दिखता है. यही नहीं विरोधी इस तर्क पर भी आते हैं कि खुद इस्लाम का अपने ही भीतर दूसरे विचारों से टकराव चल रहा है. इस्लामी आतंकवाद और इस्लाम के भीतर अतिवाद जैसी सोच पिछले कुछ दशकों में पूरी दुनिया में धड़ल्ले से चल निकली हैं. सिडनी में हमले हो रहे हैं, भारत में हमले हो रहे हैं, पेरिस में हमले हो रहे हैं, बाली, इंडोनेशिया में यही स्थिति है, यूरोप और अमेरिका भी इसकी चपेट में हैं.

Read More>

~Also Read~

[egpost postid=”18983″]

[egpost postid=”18988″]

[egpost postid=”18994″]

[egpost postid=”19005″]

[egpost postid=”19010″]

[egpost postid=”19015″]

[egpost postid=”19022″]

[egpost postid=”19028″]

[egpost postid=”19034″]

[egpost postid=”19039″]

[egpost postid=”19044″]

[egpost postid=”19102″]

[egpost postid=”19031″]