परमेश्वरी से हुई बातचीत में यह बात एक बार फिर से सामने आई कि वर्तमान एसपी अमित वर्मा ने गवाहों को धमका कर बयान बदलवाए हैं. मुस्लिम गवाहों को मंत्री रियाज अहमद द्वारा समझाए जाने की बात जब परमेश्वरी ने बताई तो हमने उनसे अगला सवाल पूछा कि हिंदू गवाहों को कैसे तोड़ा गया? इसके जवाब में वे कहते ह, ‘वो तो वैसे ही टूट गए…पुलिस दबाव में…एसपी बुलवाता था एसपी…एक गवाह था…एसपी ने बुलवाया…यहां आओ…एसपी ने कहा –पढ़े लिखे हो..? बोला साहब मैंने क्या-क्या पीएचडी-फीएचडी की है…पढ़ा-लिखा था बच्चा, पूछा क्या पे है.? तो उसने बताया पचीस हजार रुपये… तब बोले- फिर तो शादी अच्छी हुई होगी..? वो बोला हां साहब ठीक-ठाक हो गई…तब पूछा बीवी से प्यार करते हो..? वो बोला हां साहब….करते रहना चाहते हो या बंद कर देना चाहते हो? … तब जाओ…क्या कहना है कोर्ट में सोच लो…वापिस जाना चाहते हो कि नहीं? ‘
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तहलका के खुफिया कैमरे पर पीलीभीत में भाजपा के उपाध्यक्ष परमेश्वरी गंगवार ने कई चौंकाने वाली बातें कहीं. परमेश्वरी से तहलका की पूरी बातचीत
तहलका : तो गवाह वगैरह को कैसे मैनेज किया..?
परमेश्वरी: अरे…जैसे रियाज बाबू मंत्री हैं सपा से…और मुलायम सिंह से सीधे संबंध हैं गांधी जी के…उनके केस निपटाओ सारे…तभी वो…एक वो बुखारी दिल्ली वाले ने आवाज उठा दी…मुलायम ने तो बोल दिया था वापस लेने को लेकिन बुखारी ने आवाज उठा दी…
तहलका : हां उन्होंने तो बोला था बीच में वापिस लेने के लिए…
परमेश्वरी: फिर जो मंत्री था यहां का …रियाज …उसपे दबाव डाल दिया…कि सारे मुसलमान गवाह हैं, फटाफट लगाओ, फटाफट उठाओ, फटाफट हटाओ… तो सारे मुसलमान उसने एक कर लिए रियाज ने… मैं गया था उस तारीख में.
तहलका : अच्छा
परमेश्वरी: तो सारे गवाह भी साफ…ऐसा कुछ भी नहीं था…
तहलका : तो गवाहों को किसने कहा था…समझाया था..?
परमेश्वरी: पुलिस ने……..अरे मंत्री बनाना वरुण का काम है….
तहलका : और जो हिंदू थे गवाह …वो कैसे तोड़े..?
परमेश्वरी: वो तो वैसे ही टूट गए…पुलिस दबाव में…
तहलका : पुलिस दबाव में…अच्छा…
परमेश्वरी: एसपी बुलवाता था एसपी…
तहलका : अच्छा…
परमेश्वरी: एक गवाह था…एसपी ने बुलवाया… कहा –पढ़े लिखे हो..? बोला, साहब मैंने क्या-क्या पीएचडी-फीएचडी की है…पढ़ा लिखा था बच्चा, पूछा क्या पे है.? तो उसने बताया पचीस हजार रुपए… तब बोले- फिर तो तो शादी अच्छी हुई होगी..? वो बोला हां साहब ठीक ठाक हो गयी… तब पूछा बीवी से प्यार करते हो..? वो बोला हां साहब… करते रहना चाहते हो..? तो बोला हां साहब… तब जाओ…क्या कहना है कोर्ट में सोच लो…वापिस जाना चाहते हो कि नहीं..? ….ऐसा हुआ था…
……….
तहलका : ये कौन से वाली मीटिंग की बात है..? दो मीटिंग हुई थी शायद?
परमेश्वरी: ये 8 मार्च की शायद मीटिंग थी…होली से पहले की मीटिंग थी..
तहलका : बरखेडा में मीटिंग थी..?
परमेश्वरी: हां…उसमें साधु बुलवाए थे हमने डेढ़ दो सौ… यहां के लोकल थे, कुछ बाहर से थे… तो जिस हिसाब से संत रहे मैंने उस हिसाब से दक्षिणा बांटी…मैंने वरुण गांधी से कहा था…
परमेश्वरी: …तो ऐसा है आचार संहिता लग गयी थी तो सम्मलेन का नाम बदल दिया था… उसमंे ये…जब आचार संहिता लग गयी तो…हिंदू सम्मान सम्मलेन रख दिया था उसका नाम…उस मीटिंग का नाम बदल के…हिंदू सम्मान सम्मलेन… हिंदू सम्मान सम्मलेन तो संतों का होता है…तो सौ दो सौ संत बुलाए जाएंगे …बुलाया तो दूर-दूर से लोग आए तो मैंने गांधी जी से कहा…मैंने कहा कि इनको दक्षिणा भी देनी होती है…ये संत लोग हैं…इनकी खेती बाड़ी नहीं होती, महाराजा लोग हैं… तो बोले कि दे दो…
मेरे पास जितना रुपया था तीस-चालीस हजार रूपये…वो दे दिया…कम पड़ गया था तो मैंने फिर फोन किया तो बोले फलानी जगह से पैसे आ रहे हैं अभी…मैंने फोन किया तो पैसे आ गए…फिर बंट गए… वो भी सीडी में दिखाया जाता है लिफाफे जो दे रहे थे…
तहलका : वो अलग मामला था या उसी में था..?
परमेश्वरी: उसी में था…उसी मीटिंग में था…
……….
तहलका : वैसे वो क्या…मतलब क्या गड़बड़ बोल गए थे..?
परमेश्वरी: बोल तो ये गए थे…फूल बाबू मंत्री था बसपा का…हिंदू पर कुछ अत्याचार भी हो रहे थे…किसी की….ललना…भैंस-वेंस छुडवा लेना…कटवा लेना… …तो इस तरह की…. मुसलमान मजहब का कोई भी व्यक्ति अगर हिंदू की तरफ हाथ उठाता तो हाथ काट दो…सर उठाता तो सर काट दो…और सबसे ज्यादा बीमारी बीसलपुर में है, वहां एक पहले फैक्ट्री खरीदूंगा, पेट्रोल पंप…वो तेल की…फिर स्प्रे करवाऊंगा…उससे (गाली)…हैलीकाप्टर से …ओर फिर आग लगवा के बस्ती खाली करवाऊंगा…
तहलका : ये बोला था..?
परमेश्वरी: बहुत बोला था…हमारे यहां मोम्डन गांवों में नहीं जाते थे फेरी करने वाले…
तहलका : अच्छा…
परमेश्वरी: बंद हो गए थे… बहुत भयभीत, पूरा पीलीभीत… हाहाहाहा….
तहलका : जो मीटिंग थी…उसमें जितने भी लोग थे उसमे अधिकतर हिंदू ही रहे होंगे..?
परमेश्वरी: हां टोटल…
तहलका : टोटल हिंदू थे ..?
परमेश्वरी: टोटल हिंदू थे…
तहलका : अगर दो-चार रहे भी होंगे तो….
परमेश्वरी: नहीं दो- चार थे मुसलमान थे वो अपने थे…अपने थे…
तहलका : अच्छा…
तहलका : फिर वो मंत्री जिन्होंने मुसलमान गवाह तुड़वाए…वो भी मुसलमान थे..?
परमेश्वरी: हां वो भी मुसलमान थे…
तहलका : ये तो ऊपर के लेवल वाली बात है…
परमेश्वरी: फिर बात आ जाती है…वो कहते हैं कि- खुदा कसम पैसा खुदा तो नहीं, खुदा कसम पैसा खुदा तो नहीं, लेकिन खुदा कसम पैसा खुदा से कम भी नहीं…
……….
तहलका : तो यहां जो गवाह-वगैरह थे उनको भी कुछ पैसा-वैसा दिया या वो ऐसे ही मान गए थे..?
परमेश्वरी: अरे जब एसपी डाइरेक्ट बुलवा रहा है…मंत्री खुला कह रहा है…(गाली)
तहलका : उनको तो पैसे-वैसे की भी कोई जरुरत नहीं पड़ी होगी..?
परमेश्वरी: कुछ नहीं….कुछ नहीं….कुछ नहीं
……….
तहलका : गिरफ्तारी वाले दिन भी तो कितना भीड़ हो गया था यहां…
परमेश्वरी: ढाई लाख आदमी था…
तहलका : जब गिरफ्तारी…
परमेश्वरी: मैं तो साथ था भइया. जब एसपी की गाड़ी इधर आ रही थी तो लोगों ने इतनी…जिधर पब्लिक थी उधर कर दी…
तहलका : अच्छा..?
परमेश्वरी: हां… बहुत पब्लिक थी…वो तो गांधी जी ने समझा दिया था नहीं तो पता नहीं (गाली ) ना जाने कितनी (गाली ) धारा बह जाती…
तहलका : अच्छा…
परमेश्वरी: हां…तैयारी थी हम लोगों की फुल…
तहलका : अच्छा…
परमेश्वरी: हां…हम लोगों के पास फैक्स आ गया था पहले हे…बोले इतनी-इतनी भीड़ होनी है…हमने कहा होगी साहब…
तहलका : फैक्स कहां से..? उधर…
परमेश्वरी: दिल्ली से…
तहलका : दिल्ली से..?
परमेश्वरी: हां…पुलिस लग गयी थी गाजियाबाद से…नॉएडा से…लेकिन गांधी परिवार गांधी परिवार है यार…हम-तुम सोच ही नहीं सकते वो बात…
बीस…बीस सफारी गाड़ी…गाड़ी एंडेवर वगेरह (गाली)…एक ही सी…
तहलका : अच्छा
परमेश्वरी: एक ही सी.. एक-एक करोड़ की गाड़ी …उसमे से एक में बैठा था (गाली) पीछे से (गाली)…नौ चले गयी (गाली) रामपुर से मुरादाबाद से सीधी बरेली (गाली)…एक चली गयी (गाली ) सितारगंज (गाली)…
इधर आ रही पुलिस (गाली) इधर लगी हुई…(गाली) खटीमा होके आ रहे सितारगंज होके…मुरादाबाद जो हाई-वे पे बाई पास पड़ता है..?
तहलका : हां-हां…
परमेश्वरी: पुलिस लगी ही इतनी थी…
तहलका : अच्छा
परमेश्वरी: ठीक है… नौ सीधी जा रही… एक उसमे से कट हो गई…और जो, जहां से कट हुई उसके साथ और दस गाड़ियां खड़ी थीं और…
परमेश्वरी: काफिला बरेली में रोका गया तो वरुण गांधी गायब मिले साहब… तो मुझे फोन हो रहा है कि जेल गेट पहुंच गए हैं…
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मामला-3: भडकाऊ भाषण (मोहल्ला डालचंद, पीलीभीत)
घटना दिनाँक : 7 मार्च 2009
प्रथम सूचना रिपोर्ट : 18 मार्च 2009
आरोप पत्र : 11 दिसंबर, 2010
अंतर्गत धारा : 153(क), 295(क), 505(2) भारतीय दण्ड संहिता एवं 125 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम
कुल गवाह: 15
पीलीभीत के डालचंद मोहल्ले में जहां वरुण गांधी की सभा हुई थी वहां वाल्मीकि समाज के लोग ज्यादा रहते हैं. वरुण अपनी हर सभा में मुस्लिम समुदाय के बारे में कह रहे थे कि ‘मैं मुस्लिम को दुश्मन नहीं मानता, एक बीमारी मानता हूं जिसे हमें ठीक करना है.’ वाल्मीकि बहुल इस क्षेत्र में आयोजित अपनी इस सभा में भी वरुण ने इन्ही बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘समय आएगा तो इस बीमारी का अंत होगा. मैं जनरल नहीं बन सकता, नेता हूं, वाल्मीकि जनरल बनेगा और इसका अंत करेगा.’