राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) क्या है?
भारत में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति और तबादले के लिए प्रस्तावित निकाय का नाम राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग है. इस आयोग में कुल छह सदस्य होंगे. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) इसके अध्यक्ष और सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश इसके सदस्य होंगे. केंद्रीय कानून मंत्री को इसका पदेन सदस्य बनाए जाने का प्रस्ताव है. दो प्रबुद्ध नागरिक इसके सदस्य होंगे, जिनका चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में नेता प्रतिपक्षवाली तीन सदस्यीय समिति करेगी. अगर लोकसभा में नेता विपक्ष नहीं होगा तो सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता चयन समिति में होगा. आयोग सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट के न्यायाधीश पद हेतु उस व्यक्ति की नियुक्ति की सिफारिश नहीं करेगा, जिसके नाम पर दो सदस्यों ने सहमति नहीं जताई होगी.
क्या है विवाद?
आयोग को लेकर विवाद के कारण सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. मुख्य विवाद आयोग में कानून मंत्री को शामिल किए जाने को लेकर है. मामले में याचिकाकर्ता के वकील राम जेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट आयोग में कानून मंत्री की मौजूदगी पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि भ्रष्ट सरकार भ्रष्ट न्यायपालिका चाहेगी और भ्रष्ट जजों की नियुक्ति करेगी. नेताओं को जजों की नियुक्ति में शामिल नहीं होना चाहिए. नेताओं के हितों का टकराव हमेशा रहता है और ये सिस्टम पूरी न्यायपालिका को दूषित करेगा. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एचएल दत्तू का कहना है कि जब तक शीर्ष अदालत इस मामले में कोई निर्णय नहीं सुनाती तब तक वह इस आयोग में शामिल नहीं होंगे. आयोग बनाने के लिए नया कानून कॉलेजियम सिस्टम खत्मकर 13 अप्रैल से लागू किया गया.
पहले क्या थी व्यवस्था?
वर्तमान में न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण का निर्धारण एक कोलेजियम व्यवस्था के तहत होता है. इसमें सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं. यह प्रक्रिया वर्ष 1998 से लागू है. इसके तहत कोलेजियम सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की अनुशंसा करता है.