कुछ बाढ़ कथाएं

कथा नंबर एकसीबीआई बनाम बाढ़

            आप क्या कर रहे थे मंत्री महोदय, जब बाढ़ रही थी। 

            जी हमने तो पद और गोपनीयता की शपथ खायी थी इसलिए कि हम यह बात हमेशा गोपनीय रखेंगे कि हम क्या करते हैं। वैसे हम जो कर रहे थे, वो साफ है। पहले बाढ़ का इंतजार कर रहे थे, अब हैलीकाप्टर पर सर्वे कर रहे हैं। और हमें लगता है कि इन दोनों ही बातों पर सीबीआई को कोई आपत्ति नहीं है। 

            यह बाढ़ में सीबीआई कैसे घुस गयी। 

            जी हमसे पहले वाली सरकार के बंदों ने कुछ किया, तो सीबीआई ने धर लिया। सो हमने तय किया कि कुछ करना ही नहीं है। कुछ करो, सीबीआई जाती है। 

            और कुछ ना करो, तो बाढ़ जाती है। 

            पर जी बाढ़ सेफ है ना, इसमें सीबीआई को ना बताना पड़ता कि कैसे लाये। 

            पर इसमें पब्लिक मरती है, पब्लिक परेशान होती है। उसकी चिंता नहीं है आपको। 

            गोपनीयता की शपथ से बंधे हुए हैं, सो यह बात गोपनीय ही रखनी पड़ेगी कि हमको चिंता किस बात की रहती है। 

            आप बस हैलीकाप्टर में ही घूमिये। कभी सूखा का सर्वे और कभी बाढ़ का सर्वे कीजिये।

            नहीं, सिर्फ इतना ही नहीं, मंत्री को बहुत काम करना पड़ता है। सिर्फ हैलीकाप्टर नहीं, हवाई जहाज से बीचबीच में विदेश भी जाना पड़ता है एनआरआई को इनवाइट करने। 

            मंत्रीजी फिर हैलीकाप्टर पर उड़ लिये। 

            कहानी से शिक्षा

            करने और ना करने में चुनना हो, तो ना करने को चुनना चाहिए। तब ही बिहार में मंत्री बनने की काबिलियत अर्जित की जा सकती है। 

कथा नंबर दोएनआरआई करेंगे

            बाढ़ से पहले बिहार का माहौल एनआरआईमय हो लिया था।  

            ये परियोजना कौन पूरी करेंगे। 

            जी वो वाले एनआरआई। 

            ओके वहां की युनिवर्सिटी की परियोजना कौन पूरी करेंगे। 

            जी वो अमेरिका वाले एनआरआई। 

            जी बाढ़ के मसले पर कौन क्या करेगा।

            जी यहां भी सब कुछ एनआरआई के हाथों ही होना है। देखिये बाढ़ भी यहां देसी गंगा से नहीं आयी। नेपाल बेस्ड नान रेजिडेंट इंडियन नदी

कोसी से आयी है। 

            ओफ्फो, सब कुछ एनआरआई ही करेंगे, तो इंडियन क्या करेंगे। 

            जी अभी मंत्री गये हैं ना हैलीकाप्टर पर सर्वे करने, वह तो इंडियन हैं ना। कुछ ही एनआरआई करें, यह अच्छा नहीं ना लगता। कुछ काम इंडियन भी करेंगे। अभी बाढ़ राहत घोटाले की खबरें आने वाली हैं, वो सब भी इंडियन ही करेंगे। 

               कहानी से शिक्षा

            कामों को परस्पर बांट कर करना चाहिए। सभी कुछ एनआरआई के हवाले नहीं छोड़ना चाहिए। 

आलोक पुराणिक