सरकार या भू-माफिया !

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के लिए अति की पराकाष्ठा क्या है? जवाब है: माया के देश में पराकाष्ठा जैसी कोई चीज़ है ही नहीं. बहनजी की स्वप्निल परियोजनाओं और उनकी सुरक्षा के नाम पर कुछ भी जायज़ ठहराया जा सकता है. सुरक्षा कारणों से लखनऊ के अंबेडकर स्टेडियम पर गाज गिरने के बाद उत्तर प्रदेश के खेल प्रेमी एक बार फिर से सकते में हैं. राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री के लिए हेलीपैड बनाने के वास्ते प्रतिष्ठित लखनऊ गोल्फ क्लब (एलजीसी) की 1.15 एकड़ ज़मीन के अधिग्रहण का फैसला किया है. फिर भी लखनऊ के गोल्फर्स को भाग्यशाली कहा जा सकता है कि वे सस्ते में ही छूट गए. मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद पेश किए गए मूल प्रस्ताव में तो गोल्फ क्लब की पूरी 54 एकड़ ज़मीन को ही कब्जाने की बात थी. 

लगभग एक साल पहले लखनऊ के ज़िला मजिस्ट्रेट चंद्रभानु और एसएसपी अखिल कुमार ने तहसील के तमाम अधिकारियों के साथ क्लब का दौरा किया था. इससे पहले कि क्लब के सदस्यों को कुछ समझ आता दौरे पर आए अधिकारियों ने इस क्लब को-जो कि मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के ठीक सामने ही स्थित है-मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर की लैडिंग के लिए चुन लिया. ज़मीन की पैमाइश शुरू हो गई और क्लब के अधिकारियों को भूमि छोड़ने का आदेश दे दिया गया.

लखनऊ के बीचोबीच स्थित 150 साल पुराना ये क्लब लखनऊ मार्टिन चैरिटी (एलएमसी) से पट्टे पर ली गई ज़मीन पर बना है. आज इसके 1300 सदस्य हैं जिनमें 250 वरिष्ठ नौकरशाह, हाईकोर्ट के तमाम जज और शहर के बहुत से गणमान्य लोग शामिल हैं. क्लब से समय-समय पर विजय कुमार झुम्मन, संजय कुमार, लाल चंद चांदी, भूप सिंह जैसे कई नामी गोल्फर भी निकलते रहे हैं. इनमें से ज्यादातर दलित समुदाय के हैं. पास ही के गांव मार्टिनपुरवा के रहने वाले ये खिलाड़ी गोल्फ खेलने से पहले क्लब में ही काम किया करते थे. क्लब ही उनके जीवनयापन का जरिया है. दिल्ली से कोलकाता के बीच एलजीसी एक मात्र सिविलियन गोल्फ कोर्स है जहां पर हर साल राष्ट्रीय स्तर के तमाम टूर्नामेंट और प्रशिक्षण कैंप आयोजित किए जाते हैं. इससे पहले कि क्लब के सदस्यों को कुछ समझ आता दौरे पर आए अधिकारियों ने इस क्लब को-जो कि मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के ठीक सामने ही स्थित है-मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर की लैडिंग के लिए चुन लिया.

पिछले छह महीनों से एलजीसी प्रबंधन के ऊपर लखनऊ के डीएम का जबर्दस्त दबाव बना हुआ था. उन्हें ही हेलीपैड के लिए ज़मीन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. पहले क्लब में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित करने पर रोक लगा दी गई. इसके बाद क्लब के सदस्यों द्वारा यदाकदा दी जाने वाली पार्टियों पर गाज गिरी. अगले चरण में क्लब के बार का लाइसेंस रद्द कर दिया गया और बाद में इस शर्त पर इसका नवीनीकरण किया गया कि उसे हर महीने बार लाइसेंस का नवीनीकरण करवाना होगा. 

हालांकि निर्णायक प्रहार अभी नहीं हुआ था. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने डीएम के पास एलजीसी के अधिग्रहण संबंधी एक प्रस्ताव भेजा जिसे डीएम ने कुछ स्पष्टीकरण के लिए वापस भेज दिया. इस बीच एलजीसी के ऊपर दोहरी चोट करते हुए सरकार नियंत्रित लखनऊ नगर निगम ने क्लब को ज़मीन खाली करने के लिए क़ानूनी नोटिस भिजवा दिया. नोटिस में स्पष्ट किया गया कि पट्टे की अवधि 12 मार्च 2008 को खत्म हो चुकी है. उधर ट्रस्ट ने भी सालाना फीस के रूप में क्लब प्रबंधन द्वारा भेजा गया 1,56,250 रूपए का चेक वापस कर दिया और स्थानीय अख़बारों में क्लब की ज़मीन खाली करने संबंधी इश्तहार दे दिया. इसके बाद 27 जून को ट्रस्ट के संपत्ति अधिकारी एल्टन डिसूज़ा ने क्लब प्रबंधन को 15 दिन के भीतर ज़मीन खाली करने का नोटिस जारी कर दिया और साथ में नुकसान के लिए एक करोड़ रूपए का हर्जाना, पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद हर दिन के 50 हजार रूपए और क्लब द्वारा होर्डिंग से कमाई गई राशि में से एक लाख रूपए प्रति माह की मांग भी रख दी.

लेकिन एलजीसी के मानद सचिव देवेश रस्तोगी कहते हैं कि नगर निगम के साथ हुए लीज़ एग्रीमेंट में हमें दस-दस साल के दो विस्तार दिए जाने का प्रावधान है. हम गोल्फकोर्स के रख-रखाव और शहर में खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए करोडो़ रूपए खर्च करते हैं. गोल्फ कोर्स शहर की शुद्ध आबोहवा के लिए फेफड़े जैसा काम करता है और ज्यादातर सदस्य ज़मीन का कोई टुकड़ा दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं. रस्तोगी कहते हैं. उन्हें उम्मीद हैं कि ट्रस्ट और सरकार के साथ बैठकर इस मामले का हल निकाला जा सकता है. 

कुछ सदस्यों को इसमें साजिश नज़र आती है, उनका मानना है कि संपत्ति अधिकारी सरकार के हाथों में खेल रहे हैं. क्लब के एक सदस्य आरोप लगाते हैं, कुछ सरकारी अधिकारी ट्रस्ट पर तब तक क्लब के पट्टे का नवीनीकरण नहीं करने का दबाव डाल रहे हैं जब तक कि क्लब प्रबंधन हेलीपैड के लिए ज़मीन देने को तैयार नहीं हो जाता. पूछने पर डिसूजा सिर्फ यही कहते हैं, अगर राज्य सरकार इस तरह का कोई क़दम उठा रही है तो उसे करने दीजिए. जब हमारे सामने मामला आएगा तब हम आधिकारिक रूप से इसका जवाब देंगे. 

सरकारी अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. फाइल अभी तक हमारे पास क़ानूनी सलाह के लिए नहीं आई है ये कहना है राज्य के क़ानून विभाग के प्रमुख सचिव एसएमए आब्दी का जो लखनऊ मार्टिन चारिटी के ट्रस्टी भी हैं. हालांकि मायावती सरकार ने क्लब प्रबंधन को ये विश्वास दिलाया है कि वो हैलीपैड के चारो तरफ 30 फीट ऊंची कंक्रीट की दीवार खड़ा करेगी जिससे कि क्लब की गोल्फ संबंधी गतिविधियां प्रभावित न हों. मगर सदस्यों का मानना है कि इससे न केवल खेल सुविधाओं पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि हेलिकॉप्टर के उड़ने से पड़ने वाला हवा का दबाव, ध्वनि प्रदूषण और मुख्यमंत्री के जबर्दस्त सुरक्षा इंतज़ाम गोल्फ कोर्स के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर देंगे. इससे न केवल खेल सुविधाओं पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि हैलिकॉप्टर के उड़ने से पड़ने वाला हवा का दबाव, कंक्रीट की तीस फुट ऊंची दीवार, ध्वनि प्रदूषण और मुख्यमंत्री के जबर्दस्त सुरक्षा इंतज़ाम गोल्फ कोर्स के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर देंगे

गोल्फरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश राजभवन में पहले से ही हेलीपैड की सुविधा है जो कि मायावती के आधिकारिक आवास के पास ही मौजूद है. इसके अलावा उनके बंगले के पास ही एक बंजर ज़मान का टुकड़ा भी है जिसका मालिकाना हक एलएमसी के पास है और जहां मायावती ने एक बार अपना जन्मदिन मनाया था.

वो गोल्फकोर्स की ज़मीन के पीछे क्यों पड़ी हुईं हैं? अगर उन्हें अपनी सुरक्षा की इतनी ही चिंता है तो वो अपने आवास में मौजूद भूमि का उपयोग क्यों नहीं करतीं गोल्फर वाई सिंह कहते हैं. तीन बार के राष्ट्रीय गोल्फ चैंपियन विजय कुमार इशारा कहते हैं, जब भी मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर आएगा या जाएगा तब हमें खेलने की मनाही होगी. उनकी सुरक्षा के चलते गोल्फरों को भारी परेशानी उठानी होगी. एक और गोल्फर भूप सिंह उत्तर भारत में इससे गोल्फ को होने वाले जबर्दस्त नुकसान की चेतावनी देते हैं. अस्सी साल से ऊपर के क्लब के सबसे बुजुर्ग सदस्य राम आडवाणी पिछले बीस सालों में कोर्स में हुए विकास और सुधारों की चर्चा करते हैं. कलकत्ता गोल्फ क्लब से लंबे समय तक जुड़े रहे लालचंद याद करते हैं कि किस तरह से जवाहरलाल नेहरू ने विभाजन के समय शरणार्थियों के लिए बनने वाले शरणार्थी कैंप के लिए इसकी ज़मीन देने से इनकार कर दिया था. यहां तक कि लालू प्रसाद यादव को भी पटना गोल्फ कोर्स से छेड़छाड़ की इजाजत नहीं दी गई थी. हम भी लखनऊ गोल्फ कोर्स को मायावती से बचाने के लिए संघर्ष करेंगे लाल चंद ने कहा.

मार्टिनपुरवा के आस-पास रहने वाले 200 से ज्यादा दलित और अल्पसंख्यक परिवार क्लब के भविष्य का दम साधे इंतज़ार कर रहे है. गोल्फ यहां के निवासियों के लिए सिर्फ खेल से कहीं बढ़ कर है. इसके दम पर यहां के लोग पुलिस विभाग, रेलवे और दूसरे सरकारी विभागों में खेल कोटे के तहत नौकरियां पा चुके हैं. क्लब में दिन भर कैडिंग करके 100 से 150 रूपए कमाने वाले विनोद कुमार इस कल्पना से ही कांप जाते हैं कि लखनऊ में गोल्फ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. 

सुरक्षा के नाम पर मायावती ने पहले ही एक स्टेडियम और दर्जन भर घरों पर कब्जा कर रखा है. अब एलजीसी की ज़मीन का भी वैसा ही हश्र होता दिख रहा है. प्रदेश के निवासियों के लिए राज्य सरकार और भू-माफिया के बीच अंतर करना ही मुश्किल हो गया है.