आलोबिंगो टेक्नोलोजी

 तमाम इश्तिहारों को देखकर मुझे कुछ बातें समझ में आ गयी हैं, जो पहले समझ में नहीं आयी थीं। मेरे खुले ज्ञान चक्षुओं से जो मुझे दिखायी पड़ रहा है, वह इस प्रकार है-

 इस देश में तमाम वैज्ञानिक आविष्कार इसलिए नहीं पाते हैं कि वैज्ञानिक और और कामों में बिजी रहते हैं। जैसे चिप्स टेकनोलोजी वैज्ञानिकों को काफी बिजी रखती है। बिंगो चिप्स के इश्तिहार में बहुत सारे वैज्ञानिक इसके प्रभावों का अध्ययन करते हैं और आखिर में इस बात पर खुश होकर डांस करते हैं कि बिंगो चिप्स बेहतरीन चिप्स हैं। वैज्ञानिकों के नृत्य की क्वालिटी अति ही घटिया है। लगता है कि उन्हे राखी सावंतजी से नृत्य सीखना पड़ेगा। 

राखी सावंतजी से याद आया कि इस देश के तमाम इनवर्टर ठीक ठाक काम नहीं करते, क्योंकि उनके पीछे एक्सपर्ट एडवाइज कुछ अलग टाइप की होती है। मसलन एक इनवर्टर के एड में राखी सावंतजी आकर बताती हैं कि यह इनवर्टर इसलिए बढ़िया है। राखीजी इनवर्टर शास्त्र की गहन अध्येता हैं, ऐसा इस विज्ञापन को देखकर प्रतीत होता है। बस मुझे डर यह लगता है कि कोई पावर कंपनी उन्हे अपना एक्सपर्ट ना बना दे। वैसे पावर संबंधी मामलों में बिपाशा बसुजी अपना क्लेम रख चुकी हैं, वह गीत गाकर -बीड़ी जलइले जिगर से पिया, जिगर मा बड़ी आग है। जिगर में व्यापक इनर्जी स्त्रोतों के संकेत बिपाशाजी दे चुकी हैं। खैर, जब राखीजी इनवर्टर पर एक्सपर्ट हो सकती हैं, तो निश्चय ही बिपाशाजी का भी आगमयी क्लेम अपनी जगह सम्मान योग्य है।

और प्रीति जिंटाजी ने बता दिया है कि क्यों कई योग्य विवाह इच्छुक युवकों को सुंदरी सुकन्या नहीं मिल पा रही है। क्योंकि उनके पास बीएसएनएल का फोन नहीं है। एक विज्ञापन के जरिये प्रीतिजी ने बताया है कि नौकरी, घर, परिवार, चाल चलन के मसले सेकंडरी मसले हैं या ये तो इशू ही नहीं हैं। असल बात है फोन। जिसके पास बीएसएनएल फोन नहीं है, उससे शादी से इनकार कर दिया प्रीतिजी ने। मेरे मुहल्ले के कई जुआरियों, शराबियों ने बीएसएनएल का कनेक्शन लेना शुरु कर दिया है। ये सब एक दिन प्रतिनिधिमंडल बनाकर प्रीतिजी के पास जाने वाले हैं, कि अब तो हमारे पास बीएसएनएल फोन है, आप कब हां कर रही हैं। प्रीतिजी ने इस इश्तिहार में यह क्लियर नहीं किया कि बीएसएनएल फोन धारियों की विवाह मेरिट लिस्ट वह कैसे बनायेंगी। प्लीज साफ कीजिये ना प्रीतिजी। 

हाल में एड देखकर मुझे पता लग गया कि इस देश में चिकित्सा की हालत बहुत खराब क्यों है। क्योंकि तमाम डाक्टर और और कामों में फंसे हैं। मतलब इश्तिहार देखकर लगता है कि अधिकांश डाक्टर टूथपेस्टों में बिजी हैं। डाक्टर तरह तरह के टूथपेस्टों पर तरह तरह के टेस्ट करके घोषित करते रहते हैं कि फलां कीटाणु मुक्त है,बाकी कीटाणु युक्त हैं। फलां में चमक ज्यादा है। एड देखकर लगता है कि कीटाणु इस देश में बहुत हैं, और सारे के सारे दांतों में रहते हैं और डाक्टरों का अधिकांश टाइम इन कीटाणुओं पर रिसर्च में गुजरता है। लगभग हर टूथपेस्ट वाला अपनी चाइस का डाक्टर पकड़ लेता है, जो कीटाणुओँ के मसले पर राष्ट्र के नाम संदेश दे देता है। 

 कुछ डाक्टर हाथों के कीटाणुओं पर भी फोकस किये रहते हैं, ताकि वो बता पायें कि उस वाले साबुन से ही इन कीटाणुओं को भगाया जा सकता है। मानो, इन कीटाणुओं और उस साबुन का कोई परस्पर कालोबोरेशन हो। खैर ये डाक्टर विकट शोध करके हमें बताते हैं कि तंदुरुस्ती की रक्षा करता है…………। यह स्वास्थ्य परियोजना कई दशकों से चल रही है।

 अब इन कीटाणुओं से फुरसत पायें डाक्टर, तो कुछ और करें वो।

खैर तरह तरह के एड देखकर मन निर्मल हो गया, ज्ञान प्राप्त हो गया है। सारी शिकायतें मिट गयी हैं.

आलोक पुराणिक

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