फिलहाल क्या लिख-पढ़ रहे हैं?
इन दिनों दो-तीन काम एक साथ कर रहा हूं. बहिरंग नाम से एक डायरी लिख रहा हूं. इसे डायरीनुमा संस्मरण कह सकते हैं. इसके अलावा एक कविता संग्रह भी हाल ही में प्रेस को दिया है जिसका नाम अभी नहीं रखा है. साथ ही आज-कल जेम्स हिंटन की कविताओं का हिंदी अनुवाद भी कर रहा हूं इसलिए इसी की पढ़ाई भी चल रही है.
किस विधा में लिखना पसंद है?
वैसे तो कविता लेखन ही मुझे प्रिय है. कविता ही मेरी मूल शैली है. लेकिन बहिरंग के जरिए मैं एक बार फिर से गद्य संसार में उतर रहा हूं. यह मेरी तीसरी गद्यात्मक रचना होगी. इससे पहले सुरों की सोहबत में प्रकाशित हुआ था.
रचना या लेखक जो आपके बेहद करीब हों?
विष्णु नागर को इधर बीच मैंने खूब पढ़ा है. उनका उपन्यास आदमी स्वर्ग में अद्भुत रचना है. इसी तरह उनकी कहानी एक जिम्मेदार आदमी भी मुझे बहुत आकर्षित करती है.
कोई रचना जो अलक्षित रह गई.
हजारी प्रसाद द्विवेदी के समकालीन एक साहित्यकार थे पीतांबर दत्त बर्थवाल. वे हिंदी के प्रथम साहित्यकार थे जिन्हें मानद उपाधि से विभूषित किया गया था. लेकिन उन्हें कोई ख्याति नहीं मिली क्योंकि उस दौर में भी आलोचक-समीक्षक व्यक्तिगत कुंठाओं की वजह से लोगों को नजरअंदाज करते थे.
रचना जिसे बेमतलब की शोहरत मिली.
रचना का लोकप्रिय होना अलग चीज है. पर वह रचना ज्यादा दिन तक नहीं चलती जिसका यथार्थ के धरातल से जुड़ाव नहीं होता. उदय प्रकाश की एक कहानी राम संजीवन की प्रेम कहानी इसी तरह की रचना है. इसमें व्यक्ति के प्रति हीनभावना दिखाई देती है.
हाल में खरीदी गई पुस्तक?
हाल ही में भारतीय दर्शन पर आधारित सत्यपाल गौतम की पुस्तक समाज दर्शन खरीदी है.
साहित्य में विमर्शों के प्रति क्या विचार हैं?
सिद्धांतत: इसके पक्ष में हूं.
अतुल चौरसिया